गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण के आसान तरीके कृषि विशेषज्ञों से जानिए..

गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण (Weed Control In Wheat) के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाना लाभदायक रहेगा, जानिए..

👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।

Weed Control In Wheat | मध्य प्रदेश में अब तक लगभग 80% रबी फसलों की बुवाई हो चुकी है।

रबी फसलों में सबसे अधिक गेहूं की बुवाई हुई है। गेहूं की फसल कई क्षेत्रों में लगभग 25 से 30 दिन की हो गई है।

किसानों के अनुसार इस समय दूसरी सिंचाई होने लगी है। इसी सिंचाई के दौरान खरपतवार नियंत्रण करना अति आवश्यक है, अन्यथा इससे इसके बाद खरपतवार की ग्रोथ सबसे अधिक हो जाएगी, जिससे फसल को नुकसान होगा। Weed Control In Wheat

गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए कौन से रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल करना है, ताकि फसल की अच्छी ग्रोथ रहे एवं बेहतर उत्पादन प्राप्त हो, आइए यह सब कृषि विशेषज्ञों से जानते हैं..

गेहूं की फसल में खरपतवार प्रबंधन

क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, इंदौर ने सलाह देते हुए बताया कि चौड़ी पती वाले खरपतवारों के लिये 2-4 डी 650 ग्राम सक्रिय तत्व / हे., अथवा मैटसल्फ्युरॉन मिथाइल 4 ग्राम सक्रिय तत्व/हे, 600 लीटर पानी में मिलाकर 30-35 दिन की फसल होने पर छिड़कें। Weed Control In Wheat

संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिये क्लॉडीनेफॉप प्रोपरजिल 60 ग्राम सक्रिय तत्व / हे, 600 लीटर पानी में मिलाकर 30-35 दिन की फसल होने पर छिड़कें।

दोनों प्रकार के खरपतवारों के लिये एटलान्टिस 400 मिलीलीटर अथवा वैस्टा 400 ग्राम अथवा सल्फोसल्फ्युरॉन 25 ग्राम सक्रिय तत्व / हे. अथवा सल्फोसल्फ्युरॉन 25 ग्राम सक्रिय तत्व / हे. मैटसल्यूरॉन मिथाइल 4 ग्राम सक्रिय तत्व/हे. 600 लीटर पानी में मिलाकर 30-35 दिन की फसल होने पर छिड़कें। Weed Control In Wheat

इसके अलावा खरपतवारों के नियंत्रण के लिए पायरोक्सासल्फोन 85@60 ग्राम/एकड़ या क्लोडिनाफॉप 60 ग्राम या फेनोक्साप्रॉप 100 ग्राम या सल्फोसल्फ्यूरॉन 25 या पिनोक्साडेन 50 ग्राम/हेक्टेयर का उपयोग किया जा सकता है।

इन्हें बुआई के 30-35 दिन बाद मि‌ट्टी में पर्याप्त नमी होने पर लगाया जा सकता है। मौसम साफ (न वर्षा, न कोहरा ओस आदि) होने पर किसानों को फसल पर छिड़काव (स्प्रे) करना चाहिए।

बथुआ के नियंत्रण के लिए यह करें किसान

धान वाले क्षेत्र में गेंहू की फसल में बथुआ की समस्या बहुत आती है। इसके नियंत्रण के लिये समय सीमा का बहुत महत्व है यदि समय से निंदाई और खरपतवारनाशी का उपयोग नहीं किया गया हो तो खर्च व्यर्थ सिद्ध होता है। Weed Control In Wheat

चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के समय से नियंत्रण किये जाने से फसल को पोषक तत्वों को होने वाले बंटवारे से निजात मिल जाती है।

बुआई के 30-35 दिनों के भीतर ही एक निंदाई हाथों से वो भी दो पौधों के बीच में छुपे खरपतवारों को निकालें। एक स्प्रे 2-4 डी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत की 500-700 ग्राम मात्रा प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें।

इसके अलावा पेन्डीमिथालिन का 1000 ग्राम/ हेक्टर की दर से छिड़काव किया जा सकता है। बुआई के 30-35 दिनों के भीतर ही एक निंदाई हाथों से वो भी दो पौधों के बीच में छुपे खरपतवारों को निकालें। एक स्प्रे 2-4 डी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत की 500-700 ग्राम मात्रा प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें। Weed Control In Wheat

इसके अलावा पेन्डीमिथालिन का 1000 ग्राम/ हेक्टर की दर से छिड़काव किया जा सकता है।

👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।

गेहूं में बथुआ नियंत्रण के उपाय

गेहूं धान वाला में बथुआ की समस्या बहुत आती है। इसके नियंत्रण के लिये समय सीमा का बहुत महत्व है यदि समय से निंदाई और खरपतवारनाशी का उपयोग नहीं किया गया हो तो खर्च व्यर्थ सिद्ध होता है। Weed Control In Wheat

चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के समय से नियंत्रण किये जाने से फसल को पोषक तत्वों को होने वाले बंटवारे से निजात मिल जाती है। बुआई के 30-35 दिनों के भीतर ही एक निंदाई हाथों से वो भी दो पौधों के बीच में छुपे खरपतवारों को निकालें ।

एक स्प्रे 2-4 डी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत की 500-700 ग्राम मात्रा प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें।

इसके अलावा पेन्डीमिथालिन का 1000 ग्राम / हेक्टर की दर से छिड़काव किया जा सकता है। Weed Control In Wheat

गेहूं में कंडुआ रोग के उपचार के उपाय

गेहूं में कंडुआ रोग एक ऐसा रोग है जिसका उपचार रोग आने के बाद संभव नहीं होता है। वास्तविकता यह है कि कंडुआ रोग की फफूंदी बीज के साथ भीतरी भाग में छुपी रहती है जो अंकुरण के साथ-साथ तने से होती हुई विकसित बालियों तक पहुंच जाती है। Weed Control In Wheat

रोगग्रस्त पौधे एवं स्वस्थ पौधों में कोई फर्क नहीं दिखता और जब बाली झंडे में से फूटती है तब दानों की जगह काली फफूंदी दिखाई देती है जिस पर एक पतली झिल्ली भी रहती है रोग की फफूंदी हवा से उड़कर खेतों में फूलते गेहूं की बालियों में

परागीकरण क्रिया के समय ही दानों में फिर से छुप कर बैठ जाती है रोगग्रस्त दाने भी सामान्य दानों के जैसे ही दिखते हैं जिनको बोने पर कई गुना बढ़कर कंडुआ आने वाले साल में दिखता है। आप निम्न उपाय करें । Weed Control In Wheat

जिस खेत में गेहूं पर कंडुआ दिखा हो उस खेत का बीज आने वाले साल में कतई नहीं लगायें। यदि लगाना ही पड़े तो विटावैक्स नामक दवा की दो ग्राम मात्रा / किलो बीज के हिसाब से अनिवार्य रूप से उपचारित करके ही बोयें। रोगग्रस्त व बालियों को पॉलीथिन के बैग में इकट्ठा करके नष्ट करते रहें।

खेती किसानी की नई नई जानकारी से अपडेट रहने के लिए आप हमारे व्हाट्सएप चैनल को फॉलो कर सकते है।

👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।

यह भी पढ़िए….👉पूसा तेजस का स्थान लेगी गेहूं की यह नई वैरायटी, देखें गेहूं की उच्च उत्पादन देने वाले दो वैरायटियों की जानकारी..

👉 करनाल संस्थान द्वारा तैयार की गई गेहूं की 3 उन्नत किस्मों की विशेषताएं व खेती के बारे में जानें…

👉इस वर्ष किसानों को गेहूं के यह नई किस्म मालामाल करेगी, उपज क्षमता एवं विशेषताएं जानिए.. 

👉 गेंहू की इस खास किस्म से किसान ने एक हेक्टेयर से निकाला था 102 क्विंटल उत्पादन, जानें पूरी डिटेल

प्रिय पाठकों…! 🙏 Choupalsamachar.in में आपका स्वागत हैं, हम कृषि विशेषज्ञों कृषि वैज्ञानिकों एवं शासन द्वारा संचालित कृषि योजनाओं के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आप हमारे टेलीग्राम एवं व्हाट्सएप ग्रुप से नीचे दी गई लिंक के माध्यम से जुड़कर अनवरत समाचार एवं जानकारी प्राप्त करें.

Leave a Comment