जबरदस्त फायदा देने वाली गेहूं की खेती – बुवाई से लेकर अंतिम सिंचाई तक की जानकारी कृषि वैज्ञानिकों से जानें..

गेहूं की खेती (Wheat Cultivation) के लिए शुरुआत से अंत तक क्या करना जरूरी है, आइए कृषि वैज्ञानिकों से जानते हैं..

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Wheat Cultivation | किसान साथी रबी सीजन के दौरान गेहूं की बोवनी करने के लिए खेतों की तैयारी में जुटे हुए हैं।

गेहूं की खेती से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए इसके विषय में कई किसानों को अधिक जानकारी नहीं है, क्योंकि अधिकांश किसान परंपरागत तरीके से ही खेती करते आ रहे हैं।

भारतीय कृषि अनु. संस्थान, क्षेत्रीय गेहूँ अनुसंधान केद्र, इन्दौर के कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक किसानों को खरीफ फसल कटते ही एक साप्ताह के अंदर खेत की तैयारी तथा सिंचाई जल-उपयोगिता बढ़ाने के लिये कल्टीवेटर से दो बार जुताई तथा पठार (पाटा) करें। छोटे किसान बैल चालित बखर के द्वारा जुताई कर सकते हैं।

इसके साथ ही गेहूं की फसल Wheat Cultivation के लिए और क्या-क्या करना चाहिए लिए इस खबर में डिटेल जानते हैं..

Wheat Cultivation | गेहूँ की फसल के लिए जुताई

क्षेत्रीय गेहूँ अनुसंधान केद्र, इन्दौर के कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गेहूँ की खेती की तैयारी तथा सिंचाई जल – उपयोगिता बढ़ाने के लिये खरीफ फसल कटते ही एक साप्ताह के अंदर जुताई तथा पठार करें।

बुवाई का समय द्वारा जुताई कर सूखे खेत में ही आवश्यकतानुसार संतुलित उर्वरक डालकर उथली बुवाई कर

सिंचाई करें। सूखे में बुवाई कर ऊपर से दिया गया पानी गेहूँ फसल Wheat Cultivation में लंबे समय तक काम आता है।

गेहूं की बुवाई का समय

अगेती बुवाई (कम पानी वाली प्रजातियाँ ) 20 अक्टूबर से 5 नवम्बर, समय से बुवाई ( 4-5 पानी वाली प्रजातियाँ ) 10 से 25 नवम्बर तथा पछेती बुवाई दिसम्बर में कर देना चाहिये ।

उर्वरक नत्रजनः स्फुर: पोटाश संतुलित मात्रा अर्थात 4:2:1 के अनुपात में डालें। : Wheat Cultivation

ऊँचे कद की (कम सिंचाई वाली ) जातियाँ में नत्रजन : स्फुर : पोटाश की मात्रा 80:40:20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

बुआई से पूर्व ही देना चाहिये। बौनी शरबती किस्मों को नत्रजन : स्फुर : पोटाश की मात्रा 120:60:30 तथा मालवी किस्मों को 140:70:35 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर दें।

पूर्ण सिंचित प्रजातियों में नत्रजन की आधी मात्रा तथा स्फुरव पोटाश की पूर्ण मात्रा बुवाई पूर्व खेत में बोना चाहिए। शेष बचे हुए नत्रजन की आधी मात्रा 20 दिन बाद वाले सिंचाई के साथ देना चाहिये। : Wheat Cultivation

खेतों में जिंक सल्फर जरूर डालें

गेहूं-सोयाबीन फसल चक्र वाले अधिकतर खेतों में बहुधा जिंक तथा सल्फर तत्वों की भी कमी हो जाती है। इसके लिये 25 किलो प्रति हेक्टेयर जिंक सल्फेट, प्रत्येक तीसरे वर्ष, बोनी से पहले भुरक कर मिट्टी में मिला दें।

गोबर, मुर्गी की खाद डालें मृदा की उर्वरता तथा जल-धारण क्षमता को बनाये रखने के लिए अंतिम जुताई के समय गोबर की खाद 10 टन प्रति हेक्टेयर या मुर्गी की खाद 2.5 टन प्रति हेक्टेयर या हरी खाद (जैसे सनई या दैंचा) का उपयोग प्रत्येक तीन वर्षों में कम से कम एक बार अवश्य करें। : Wheat Cultivation

खाद तथा बीज अलग-अलग बोयें, खाद गहरा (ढाई से तीन इंच) तथा बीज उथला (एक से डेढ़ इंच गहरा ) बोयें, बुवाई पश्चात पठार / पाटा न करें।

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उन्नत एवं प्रमाणित बीज ही बोएं

कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि अक्सर किसान साथी अप्रमाणित बीज को ही बो देते हैं, जिसके कारण पैदावार कम होती है। किसानों को प्रमाणित एवं नवीन वैरियटयों के बीज बोना चाहिए, ताकि मौसम एवं वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार अच्छी पैदावार मिल सके। : Wheat Cultivation

क्षेत्रीय गेहूँ अनुसंधान केद्र, इन्दौर के कृषि वैज्ञानिकों मैं किसानों के लिए सलाह जारी की है कि गेहूं की उन्नत किस्मों कोई खेतों में बोएं। इसके अलावा बीज की प्रमाणिकता एवं विश्वसनीयता के लिए जहां से भी बीज खरीदे पक्का बिल अवश्य लें।

गेहूं की उन्नत किस्में 

Hi 1650 (3 से 5 पानी 14 से 16 क्विंटल उत्पादन)

HI 8830 (4 से 6 पानी 15 se 18 क्विंटल उत्पादन)

HI 1655 ( 1 से 2 पानी 8 se 10 क्विंटल उत्पादन) : Wheat Cultivation

C 306 (1-2 पानी 5 से 8 क्विंटल उत्पादन)

लोक 1 (2 से 4 पानी 10 से 13 क्विंटल उत्पादन)

पूर्णा (3 से 4 पानी 10 से 13 क्विंटल उत्पादन)

पूसा अहिल्या (3 से 5 पानी 12 से 15 क्विंटल उत्पादन)

GW 513 (4 se 5 पानी 12 se 16 क्विंटल उत्पादन)

GW 322 (5 se 6 पानी 15 से 16 क्विंटल उत्पादन)

पूसा वकुला (4 से 5 पानी 14 से 16 क्विंटल उत्पादन)

पूसा तेजस (5 se 6 पानी 15 से 16 क्विंटल उत्पादन) : Wheat Cultivation

पोषण (5 se 6 पानी 15 से 16 क्विंटल उत्पादन)

पूसा मंगल (5 se 6 पानी 16 क्विंटल उत्पादन )

पूसा मालवी (5 se 6 पानी 15 से 16 क्विंटल उत्पादन)

प्रधान (5 se 6 पानी 15 से 16 क्विंटल उत्पादन)

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(नोट :– गेहूं की यह सभी वैरायटियां वसुंधरा सीड्स उज्जैन पर उपलब्ध है। इन्हें लेने के लिए संपर्क करें – ऑफिस – 51, राजस्व कॉलोनी, टंकी पथ, उज्जैन – 456010 (म. प्र. )

फोन – 2530547 मो. नंबर – 9301606161, 9425332517 ; गोडाउन का पता – बड़ी उद्योगपुरी, मक्सी रोड, महावीर तोल काँटे के पास गोल्डन टाइल्स के सामने, उज्जैन (म. प्र. ) मो. 9302139253, 9669176048 )

Wheat Cultivation | बीज की मात्रा

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक बीज की मात्रा 1000 दानों के वजन के आधार पर निर्धारित करें। 1000 दानों का जितना ग्राम हो उतना किलो ग्राम बीज एक एकड़ में बोयें ।

बुवाई के बाद खेत में दोनों ओर से (आडी तथा खड़ी) नालियाँ प्रत्येक 15-20 मीटर पर बनायें तथा बुवाई के तुरन्त बाद इन्हीं नालियों द्वारा बारी बारी से क्यारियों में सिंचाई करें।

Wheat Cultivation | सिंचाई कब एवं कितनी करें

अर्द्धसिंचित / कम सिंचाई (1-2 सिंचाई) वाली प्रजातियों में एक से दो बार सिंचाई 35-40 दिन के अंतराल पर करें। पूर्ण सिंचित प्रजातियों में 20-20 दिन के अन्तराल पर 4 सिंचाई करें।

रोग प्रबंधन

रोग व नीदा नियत्रंण के लिये जीवनाशक रसायनों का उपयोग वैज्ञानिक संस्तुति के आधार पर ही करें।

खेत में दीमक या अन्य किसी कीट की संभावना हो तो कोई भी कीटनाशी धूल 20-25 कि.ग्रा./हेक्टेयर अंतिम जुताई के समय भुरक कर दें। : Wheat Cultivation

दीमक की रोकथाम के लिये क्लोरोपाईरीफॉस की 0.9 ग्राम सक्रिय तत्व या थाईमेथोकझाम 70 डब्ल्यू.पी. ( क्रुसेर 70 डब्ल्यू.पी.) 0.7 ग्राम सक्रिय (1 g/kg) तत्व या फीपरोनिल ( रेजेन्ट 5 एफएस) 0.3 ग्राम सक्रिय (6 g/kg) तत्व प्रति किलोग्राम द्वारा बीज उपचारित करें।

गेहूं में यूरिया का इस्तेमाल कब करें

Wheat Cultivation | सूखे की बोवनी 1 नवंबर 20 दिन के पश्चात पहला पानी 22 दिन पर सिजेन्टा (syjenta) का एक्सियल खरपतवारनाशी और 25 दिन पर यूरिया की पहली डोज 40 से 42 दिन पर दूसरा पानी यूरिया की दूसरी डोज और वायर का फंगीसाइड नेटिव गाबोट आने पर यूरिया की तीसरी डोज और 80 से 90 के दिन में चौथा पानी दें।

एक बात का विशेष ध्यान रखें की 80 दिन बाद पानी नहीं देना है। ज्यादा पैदावार के चक्कर में आखिरी पानी एक्स्ट्रा लगा दिया तो गेहूं की फसल को गिरने कट्टर रहेगा और गेहूं की गुणवत्ता खराब होगी पैदावार भी कम होगी।

संतुलित मात्रा में खाद का उपयोग करें

Wheat Cultivation | कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक सिंचित गेहूं की फसल के लिये नाइट्रोजन 120 किग्रा प्रति हेक्टेयर, फास्फोरस 60 किग्रा प्रति हेक्टेयर और पोटाश 40 किग्रा प्रति हेक्टेयर के मान से आवश्यकता होती है, जिसकी पूर्ति कृषक डीएपी के अतिरिक्त विभिन्न उर्वरक विकल्प के माध्यम से कर सकते हैं।

कृषि विभाग के अधिकारीयों ने उर्वरक उपयोग करने के लिये किसानों को सलाह दी है कि गेहूं फसल में संतुलित मात्रा में उर्वरक का उपयोग करने हेतु डीएपी के स्थान पर एनपीके उर्वरक सबसे अच्छा विकल्प है।

युरिया 213 किलो, एनपीके 187 किलो, एमओपी 17 किलो प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। इसी तरह युरिया 260 किलो, एसएसपी 375 किलो, एमओपी 66 किलो प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है। : Wheat Cultivation

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक बाजार में एनपीके के विभिन्न विकल्प 12:32:16 या 10:26:26 एवं 16:16:16 एवं 20:20:0:13 के नाम से उपलब्ध है। बुवाई के समय एनपीके से फसलों में संतुलित मात्रा में पोषक तत्व आधार रूप से पौधे को उपलब्ध हो जाते हैं। इसके उपयोग से अलग से अन्य खाद की मात्रा देने की आवश्यकता नहीं होती है।

संतुलित उर्वरक के उपयोग से उत्पादन लागत में कमी होती है और साथ ही उत्पादकता में वृद्धि होती है। इसलिये किसान डीएपी उर्वरक के स्थान पर एनपीके उर्वरक का उपयोग करें। मिट्टी परीक्षण के अनुशंसा अनुसार संतुलित मात्रा में उर्वरक का उपयोग करें। : Wheat Cultivation

पोषक तत्वों का प्रबंधन इस प्रकार करें

बेहतर पैदावार के लिए अच्छे बीज के साथ साथ संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन भी बहुत जरुरी है। जब पोषक तत्वो के प्रबंधन की बात आती है तो किसान भाइयों को सबसे पहले जो दो उर्वरक नजर आते है- यूरिया और DAP। इन दोनों उर्वरको से पौधों को केवल नाइट्रोजन और फॉस्फोरस मिलते है। : Wheat Cultivation

हवा और पानी से मिलने वाले तत्वों को छोड़ दिया जाए तो 12 और पोषक तत्व है जिनकी जरुरत पौधों को होती है। जिसमे पोटाश, कैल्शियम, मैग्नेसियम, सल्फर और बाकी सूक्ष्म पोषक तत्व है। जब DAP का उपयोग किया जाता है तो केवल दो पोषक तत्व ही पौधों को मिलते है।

DAP में दो मुख्य पोषक तत्व होते है 18 प्रतिशत नाइट्रोजन और 46 प्रतिशत फॉस्फोरस। जबकि सुपर फॉस्फेट को एक फॉस्फोरस वाले उर्वरक के रूप में जाना जाता है जिसमे 16 प्रतिशत फॉस्फोरस होता है। : Wheat Cultivation

लेकिन इसके साथ दो पोषक तत्व और भी खेत में जाते है एक सल्फर (11 प्रतिशत) और दूसरा कैल्शियम (21 प्रतिशत)। आजकल जिंक और बोरोन युक्त सुपर फॉस्फेट भी बाजार में उपलब्ध है, जिससे इन पोषक तत्वों की पूर्ति भी जमीन में हो जाती है जो की अलग से किसान केवल कुछ नकदी फसल के अलावा उपयोग नहीं करता है।

मिटटी परिक्षण के आंकड़े बताते है की भारत में बहुतायत में गंधक, जिंक और बोरोन की कमी दिखने लग गयी है। जिसका पता आसानी से किसान को नहीं लगता है क्योकि सभी फसल में इन पोषक तत्वों की कमी के लक्षण स्पष्ट रूप से नहीं दिखते है। लेकिन अंतिम परिणाम उपज की कमी के रूप में जरूर दिखाई देते है। सही उपज की प्राप्ति के लिए खाद और उर्वरको और पोषक तत्वों की सही मात्रा का उपयोग करना आवश्यक है। : Wheat Cultivation

नाइट्रोजन और फॉस्फोरस DAP से दें या यूरिया और सुपर फॉस्फेट से देवे या NPK 12 : 32 : 16 से पौधे उसको एक ही तरीके से लेते है। DAP के प्रति आपका ज्यादा लगाव आपको ठगी की और ले जाता है जब कोई DAP के स्थान पर कुछ और ही दे देता है।

पौधों को पोषक तत्वों की सही मात्रा दी जानी चाहिए फिर वो 12:32:16 हो या सुपर फॉस्फेट इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। लगभग 1 किलो DAP (कीमत 27रुपए) के स्थान पर आप 400 ग्राम यूरिया (कीमत 2.35 रुपए) और 2 किलो 875 ग्राम सुपर फॉस्फेट(कीमत 25.35) कुल 27.70 का उपयोग करके बेहतर परिणाम कम खर्च में प्राप्त कर सकते है। : Wheat Cultivation

सुपर फॉस्फेट उपयोग करने वाले किसानो को अलग से सल्फर देने की जरुरत नहीं है। इसलिए ज्यादा पैसा खर्च करने की जगह संतुलित पोषक तत्वों को देने पर खर्च कर ज्यादा लाभ मिलेगा।

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