भारतीय गेहूँ एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा तैयार गेंहू की DBW 303, DBW 187, DBW 222 किस्मों (Wheat Top Varieties) में बारे में जानें।
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Wheat Top Varieties | इस समय देश के कुछ हिस्सों में गेंहू की बुवाई लगभग शुरू होने को है। किसानों की आय बढ़ाने एवं कृषि विकास करने के लिए जहां एक तरफ सरकार अलग अलग कदम उठा रही है।
वही, कृषि वैज्ञानिक भी नई नई किस्मों को एकड़ कर रहे है। इसी कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा गेंहू की खेती करने वाले किसानों के लिए कई उन्नत किस्में ईजाद की है।
यहां हम इन्हीं में से 3 उन्नत किस्मों के बारे में बताने वाले है। इसमें गेंहू की डीबीडब्ल्यू 303, डीबीडब्ल्यू 187, डीबीडब्ल्यू 222 किस्म शामिल है। Wheat Top Varieties
आइए आपको बताते है इन तीनों उन्नत किस्मों की अवधि, पैदावार, गुण एवं खासियत सहित अन्य सभी जानकारी…
Wheat Top Varieties | गेहूं की DBW-303 किस्म को करण वैष्णवी वैरायटी के नाम से भी जाना जाता है। यह किस्म उत्तर–पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के सिंचित क्षेत्र के लिए उपर्युक्त है।
किसान भाई इस किस्म की खेती कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते है। इससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी मिलेगा। इस किस्म को भारतीय गेंहू एवं जौ अनुसंधान, करनाल ने तैयार किया है। Wheat Top Varieties
इस किस्म के गेहूं से बनी रोटियां भी बहुत स्वादिष्ट व सेहतमंद मानी जाती हैं। इस किस्म की यह खासियत है की इसकी खेती कर अगले साल के लिए अपना बीज तैयार कर सकते हैं।
इसकी अगेती बुआई का समय 25 अक्टूबर से 5 नवंबर तक है। इस समय अवधि के बीच अगर आप अगर बुवाई करते है, तो अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। गेहूं की इस किस्म की फसल 145 – 156 दिन में पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है।
लगभग 70 से 80 दिनों के आसपास पौधे में बाली आ जाती है। इस किस्म से औसत पैदावार 81.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा अधिकतम पैदावार 97.4 क्विंटल हेक्टेयर तक प्राप्त कर सकते है। Wheat Top Varieties
2. गेंहू की डीबीडब्ल्यू 187 (करण वंदना) किस्म
गेंहू की डीबीडब्लयू 187 वैरायटी को करण वंदना के नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म को भारतीय गेहूं व जो अनुसंधान, करनाल ने तैयार किया है। इस किस्म की खासियत है कि यह रोग प्रतिरोधी है।
इन क्षेत्रों के लिए उपर्युक्त : यह प्रजाति पंजाब हरियाणा दिल्ली राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजनों को छोड़कर) पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी मंडल को छोड़कर) हिमाचल प्रदेश (ऊना व पाटा घाटी) जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों (जम्मू और कठुआ जिले) और उत्तराखंड (तराई क्षेत्र) के सिंचित क्षेत्रो में समय पर से बुआई के लिए उपयुक्त है। Wheat Top Varieties
यह किस्म सिंचित समय पर बुवाई की स्थिति मे उत्तर-पूर्वी राज्यों के मैदानी इलाकों इस में मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल के लिए अनुशंसित है।
गुण व विशेषताएं : सामान्य गेहूं में प्रोटीन 10 से 12% और आयरन 30 से 40% होता है लेकिन करण वंदना DBW-187 में 12% प्रोटीन 42% आयरन पाया जाता है। इस प्रजाति के गेहूं में प्रोटीन और जैविक रूप से आयरन जिंक और अन्य महत्वपूर्ण खनिज अन्य गेहूं की तुलना में ज्यादा पाया जाता है। यह किस्म पत्तों के झुलसने और उनके अस्वस्थ दशा जैसी महत्त्वपूर्ण बीमारियों के खिलाफ बेहतर प्रतिरोधी है। Wheat Top Varieties
बुआई का समय – अगेती बुवाई के लिए आप 25 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच बुवाई कर सकते है या फिर 5 नवंबर से 25 नवंबर के बीच समय पर बुवाई कर सकते है।
रोग प्रबंधन हेतु बीजोपचरित : अगेती बुवाई वाले एचवाईपीटी स्थिति जिसमे 150% एनपीके (225 किलो नाइट्रोजन: 90 किलो फॉस्फोरस : 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टर) और वृद्धिनियंत्रकों क्लोरमाक़्वेटक्लोराइड (CCC) @ 0.2% + टेबुकोनाजोल 250 ई सी @ 0.1% का दो बार छिड़काव (पहले नोड पर और फ्लैग लीफ) लाभकारी है। Wheat Top Varieties
वृद्धि नियंत्रकों की 100 लीटर पानी में 200 मिली लीटर क्लोरमाक़्वेटक्लोराइड और 100 मिलीलीटर टेबुकोनाजोल (वाणिज्यिक उत्पाद मात्रा टैंक मिक्स) प्रति एकड़ मात्रा का प्रयोग करें।
फसल पकने की अवधि : क्षेत्र में मौजूदा किस्मों मसलन, एचडी 2967, के 0307, एचडी 2733, के 1006 और डीबीडब्ल्यू 39 की तुलना में इस किस्म की पैदावार में काफी फायदा हुआ है। बुवाई के 77 दिनों बाद करण वंदना फूल देती है और 120 दिनों बाद परिपक्व होती है।
उत्पादन क्षमता : इसकी औसत ऊँचाई 100 सेमी है जबकि क्षमता 64.70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। 10 में 7.7 अंक और 43.1 लौह सामग्री के साथ इस किस्म की चपाती की गुणवत्ता बहुत बेहतर होती है। Wheat Top Varieties
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3. गेंहू की डीबीडब्ल्यू 222 (करण नरेंद्र) किस्म
गेंहू की डीबीडब्ल्यू 222 वैरायटी को करण नरेंद्र नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म को भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान, करनाल ने तैयार किया है। यह किस्म 2019 में किसानों के बीच में आई। Wheat Top Varieties
गेहूं की बुवाई का सही समय : गेहूं की इस उन्नत किस्म की बुवाई 25 अक्टूबर से 25 नवंबर तक करना चाहिए। इसके बीज की मात्रा 40 किलो प्रति एकड़ लगती है। इसके पौधे की ऊंचाई 100 सेंटीमीटर तक होती है। वहीं इसका तना थोड़ा मोटा होने के कारण इसकी जड़ मिट्टी में अधिक गहराई तक जाती है।
DBW 222 किस्म की विशेषताएं : इस किस्म की खासियत है कि इसका पौधा जब आधा फीट का होते बालियां आने लगती है इस कारण से अच्छी पैदावार होती है। रोटी बनाने के लिए यह काफी अच्छी किस्म मानी जाती है। वहीं इसका तना थोड़ा मोटा होने के कारण इसकी जड़ मिट्टी में अधिक गहराई तक जाती है। इसलिए तेज हवा चलने पर भी इसका पौधा गिरता नहीं है। इसके साथ ही यह किस्म रोग प्रतिरोधी भी है। Wheat Top Varieties
DBW 222 किस्म में सिंचाई व्यवस्था : गेहूं की डीबीडब्ल्यू 222 कम पानी में पकने वाली वैरायटी है। जहां अन्य गेहूं की किस्मों में बुवाई से लेकर कटाई तक 6 सिंचाई तक करना पड़ती है वहीं इस किस्म में सिर्फ 4 सिंचाई की जरुरत होती है। इस तरह डीबीडब्ल्यू 222 किस्म 20% पानी की बचत करती हैं। इस बीमारी में किसी तरह की बीमारी भी कम आती।
गेंहू के किसान भाई के लिए वैज्ञानिक सलाह
25 अक्टूबर से 10 नवंबर तक अगेती वाली किस्में जो ज्यादा खाद पानी व उपजाऊ भूमि के लिए: WH 1270, DBW 187, DBW 303, DBW 327, PBW 872 की बिजाई कर सकते है क्योंकि ये किस्में बिजाई के समय थोड़ा उच्च तापमान को भी सहन कर जाती हैं, जिससे इनके जमाव व फ़ुटाव पे कोई प्रतिकूल प्रभाव नही पड़ता। बीज की मात्र 40 किलोग्राम ही प्रति एकड़ प्रयोग करें। Wheat Top Varieties
समय की बिजाई नवम्बर के पहले सप्ताह से तीसरे सप्ताह तक जो किस्में बिजी जा सकती हैं: WH 1105,WH 1184, HD 3086,DBW 222,DBWH 221,PBW 826,HD 3386 किस्म।
नोट : यमुनानगर व अंबाला जिलों को छोड़ कर कम नमी वाले क्षेत्रों जैसे भिवानी व झज्जर में WH 711 की बिजाई भी की जा सकती हैं। Wheat Top Varieties
HAU हिसार द्वारा जारी सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली WH1270 किस्म
गेंहू की WH1270 किस्म HAU हिसार द्वारा निकाली गई अब तक की सबसे ज्यादा पैदावार देने वाली गेहूं की किस्म। जो अनुकूल परिस्थितियों में 90 मन प्रति एकड़ उपज दे सकती है। अधिक खाद प्रबंधन से हाईट सामान्य गेहूं की तुलना में थोड़ी अधिक रहती है। Wheat Top Varieties
लॉजिंग (गिरने की समस्या) से बचने के लिए 2 स्प्रे PGR (लिहोसिन) + फोलिकुर (tebuconazole) की कर दें। जिससे तना थोथा नहीं रहेगा धागे भर जायेंगे तो गिरेगी नहीं , 25 अक्टूबर से 5 नवंबर का समय बिजाई के लिए सबसे उपयुक्त है।
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