गर्मी में उच्च पैदावार देने वाली मूंग की नवीनतम किस्म ‘स्टार 444’ के बारे में जानें..

गर्मी में मूंग की खेती के लिए Mung variety star 444 किस्म सबसे अधिक उपयुक्त है आईए जानते हैं इसकी सभी विशेषताएं..

Mung variety star 444 | गर्मी के सीजन में मूंग की खेती किसानों को अच्छा लाभ देती है। मूंग की खेती रबी फसलों की कटाई के तुरंत बाद की जाती है। इस फसल का रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है इसका प्रमुख कारण है इस फसल अवधि 2 महीने की होना है।

कम अवधि की फसल होने के कारण किसानों को फसल की कटाई के बाद खरीफ सीजन की तैयारी के लिए भी पर्याप्त समय मिल जाता है। मूंग की खेती के प्रति रूझान बढ़ाने के कारण मूंग के नई-नई किस्में (Mung variety star 444) कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की जा रही है। इन्हीं में से एक सबसे नवीनतम वैरायटी स्टार 444 है। गर्मी के सीजन में उच्च उपज देने की क्षमता रखने वाली मूंग की स्टार 444 वैरायटी के विषय में सब कुछ जानिए..

मूंग की स्टार 444 वैरायटी की जानकारी (Mung variety star 444)

उच्च पैदावार मूंग बीज, रोग प्रतिरोधक मूंग किस्म, और शीघ्र परिपक्वता वाले मूंग की तलाश में भारतीय किसानों के लिए “स्टार 444” एक वरदान साबित हो रहा है। यह किस्म 60-62 दिन में पक जाती हैं। किसान स्टार 444 से बिना किसी परेशानी के दोगुनी उपज ले सकते हैं।

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मूंग की स्टार 444 किस्म की विशेषताएं

Mung variety star 444 | कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई तारा 444 वैरायटी जल्दी पकने वाली मूंग की किस्म है यह वैरायटी मात्र 60-62 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, यह किस्म उन किसानों के लिए आदर्श है जो शीघ्र परिणाम चाहते हैं।

रोग प्रतिरोधक: पीला मोजेक वायरस और अन्य रोगों के प्रति सहनशीलता, स्टार 444 को उच्च पैदावार मूंग बीज बनाती है।

स्टार 444 की पैदावार कितनी होती है

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई यह किस्म (Mung variety star 444) से प्रति एकड़ 2-3 क्विंटल अतिरिक्त उत्पादन प्राप्त होता है। इससे किसानों को 25 हजार से 30 हजार तक का अतिरिक्त मुनाफा संभव है।

किसानों के बीच लोकप्रिय किस्म 

पिछले कुछ वर्षों में जिस प्रकार से मूंग की खेती का रब्बा बड़ा है। इसी के साथ मूंग की इस वैरायटी स्टार 444 (Mung variety star 444) ने भारतीय किसानों के बीच एक मजबूत पहचान और विश्वसनीयता स्थापित की है। इसकी बेजोड़ उत्पादकता और रोगों के प्रति अद्वितीय सहनशीलता ने इसे मूंग की सबसे पसंदीदा किस्म बना दिया है।

किसानों ने इस किस्म को अपनाया है क्योंकि यह उन्हें न केवल अधिक उत्पादन प्रदान करती है बल्कि बाजार में बेहतर मूल्य भी सुनिश्चित करती है। स्टार 444 की यह विशेषताएं इसे खेती की दुनिया में एक गेम चेंजर बनाती हैं।

किसानों को इस किस्म के साथ उनकी मेहनत का सही मूल्य मिलता है, जिससे उनकी आय में सार्थक वृद्धि होती है। मूंग की स्टार 444 (Mung variety star 444) के साथ, किसान अधिक सुरक्षित और आश्वस्त महसूस करते हैं, जानते हुए कि उनकी फसल अधिकतम पैदावार और सुरक्षा दोनों की गारंटी देती है।

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गर्मी के लिए अन्य मूंग की उन्नत प्रजातियां

Mung variety star 444 | गर्मी के सीजन के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा नरेन्द्र मूंग-1, मालवीय जागृति (एच.यू.एम. 12), समा्रट (पी.डी.एम. 139), मालवीय जनप्रिया (एच.यू.एम. 6), मेहा (आई.पी.एम. 99-125), पूसा विशाल, मालवीय जन कल्याणी (एच.यू.एम.-16), मालवीय ज्योति (एच.यू.एम. 1), टी.एम.वी. 37, मालवीय (एच.यू.एम. 12), आई.पी.एम. 2-3, आईपीएम 2-14, के.एम. 2241 (स्वेता), केएम-2195 (स्वाती), आई.पी.एम. 205-7 (विराट) किस्में भी अनुशंसित की गई है।

कब करें मूंग की बुवाई

गर्मी में मूंग की बुवाई रबी फसलों की कटाई के तुरंत बाद की जा सकती है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक बसंत कालीन प्रजातियों Mung variety star 444 की बुआई 15 फरवरी से 15 मार्च तथा ग्रीष्म कालीन प्रजातियों के लिए 10 मार्च से 10 अप्रैल का समय उपयुक्त होता है। जहाॅ बुआई अप्रैल के प्रथम सप्ताह के आसपास हो वहाॅ प्रजाति सम्राट एवं एच.यू.एम.-16 की बुआई की जाये।

मूंग की फसल के लिए यह उपाय कारगर रहेगा

Mung variety star 444 | मूंग की खेती का रकबा जैसे-जैसे बढ़ रहा है वैसे-वैसे इसकी उपज अधिक से अधिक लेने की प्रति स्पर्धा चलने लगी है। मूंग की अच्छी किस्म का कई किसान चयन नहीं कर पाते। ऐसी स्थिति में वह अधिक से अधिक उर्वरकों एवं पेस्टिसाइड का उपयोग कर उपज बढ़ाने का प्रयास करते हैं, जो स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए हानिकारक है।

मूंग की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को समुद्री वनस्पति (शैवाल) का प्रयोग करना चाहिए। मछुआरों द्वारा भारत के दक्षिण पूर्व तट पर समुद्र में उगाई गयी लाल समुद्री वनस्पति (शैवाल) से निकाला जाता है।इसके सार में बहुत से उपयोगी खनिज, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, अमीनों एसीड, एन्जाइम्स, होर्मोन्स, पोषक तत्व इत्यादि निहित है।

समुद्री शैवाल के लाभ

  • Mung variety star 444 | भूमि से पोषक तत्वों की अवशेषण क्षमता में वृद्वि करता है।
  • फसल की आंतरिक विकास और वृद्वि करने वाली क्रियाओं को प्रोत्साहित करना।
  • प्रतिकूल अवस्थाओं और रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का विकास।
  • भूमि में सूक्ष्म जीवों की संख्या को बढ़ाता है जिससे भूमि स्वास्थ्य में सुधार आता है।
  • जड़ों का बेहतर विकास, शाखाओं के बनने में, फूल, फलन और बीज के विकास में योगदान देता है।

समुद्री शैवाल का उपयोग कब और कैसे करें

तरल समुद्री शैवाल के सार का उपयोग : कृषि वैज्ञानिक मूंग की फसल में समुद्री सवाल का उपयोग करने की सलाह देते हैं। इसके लिए 625 मिली/हेक्टेयर का पहला छिड़काव बुवाई के 20 दिन बाद, दूसरा छिड़काव फूल आने से एक सप्ताह पहले तथा तीसरा छिड़काव फूल आने के एक सप्ताह बाद करना चाहिए। सैम्पू का दो पैकिट मिला देने से यह स्टीकर का काम करता है।

दानेदार समुद्री शैवाल के सार का उपयोग : पहला बुवाई के 20-30 दिन बाद तथा दूसरा 40-45 दिन बाद 20-25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।

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