ICAR इंदौर ने बंपर पैदावार देने वाली सोयाबीन की 4 नई उन्नतशील किस्मों की पहचान की, देखें डिटेल…

आइए जानते है कौन सी है वह भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर (Soybean New Variety) द्वारा पहचानी गई 4 सोयाबीन की नई सोयाबीन।

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Soybean New Variety | भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर की अखिल भारतीय समन्वित सोयाबीन अनुसंधान परियोजना की मार्च 2024 में कर्णाटक के कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ में 54वीं वार्षिक समूह की बैठक हुई। इस अवसर पर वैरायटी आइडेंटीफिकेशन समिति ने सम्पूर्ण भारत के लिए 4 किस्मों की पहचान (3 किस्में मध्य क्षेत्र के लिए जबकि 1 किस्म उतरी पहाड़ी क्षेत्र के लिए) की गयी। आइए जानते है कौन सी है वह सोयाबीन की 4 नई उन्नतशील Soybean New Variety किस्में…

सोयाबीन की इन 4 किस्मों की पहचान की गई

  1. सोयाबीन जेएस 23-03 किस्म (Soybean JS 2303 Variety)
  2. सोयाबीन जेएस 23-09 किस्म (Soybean JS 2309 Variety)
  3. सोयाबीन आरएससी 11-42 किस्म (Soybean RSC 1142 Variety)
  4. सोयाबीन एनआरसी 197 किस्म (Soybean NRC 197 Variety)

अब आइए जानते है इनकी विस्तारपूर्वक डिटेल

1. सोयाबीन जेएस 23-03 किस्म (Soybean JS 2303 Variety) :- इसका विकास जवाहर नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा किया गया हैं जो कि अखिल भारतीय सोयाबीन अनुसंधान परियोजना का केंद्र भी हैं। वर्ष 2021 से 2023 के दौरान मध्य क्षेत्र में लगातार किये गए परीक्षणों में मात्र 93 दिनों की अवधि में इसने 2167 किग्रा./हे की औसत दर से प्रचलित किस्म की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त किया हैं। इस किस्म में बैंगनी रंग के फूल आते हैं तथा काली नाभिका एवं रोयेरहित फलियाँ होती हैं। Soybean New Variety

परीक्षणों के दौरान चारकोल रॉट, एन्थ्रेक्नोज, रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट एवं पीला मोजेक वायरस जैसे अनेक रोगों के लिए माध्यम प्रतिरोधिता प्रदर्शित की हैं। इसमें बैंगनी रंग के फूल आते हैं, नुकीली आकार की पत्तियां देखी जाती हैं एवं पीले बीजों पर काले रंग की नाभिका होती हैं। इस किस्म को मध्य क्षेत्र (सम्पूर्ण मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र का मराठवाड़ा एवं विदर्भ क्षेत्र, राजस्थान, गुजरात तथा मध्य उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए उपयुक्त पाई गई हैं। Soybean New Variety

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2. सोयाबीन जेएस 23-09 किस्म (Soybean JS 2309 Variety) :– जे.एस. सीरिज की अन्य किस्मों की तरह इसका विकास भी जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर द्वारा किया गया हैं जो कि अखिल भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान परियोजना का केंद्र भी हैं। वर्ष 2021 से 2023 के दौरान मध्य क्षेत्र में लगातार किये गए परीक्षणों में मात्र 92 दिनों की अवधि में इसने 2104 किग्रा./हे. की औसत दर से प्रचलित किस्म की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त किया हैं। Soybean New Variety

इस किस्म में बैंगनी रंग के फूल आते हैं तथा काली नाभिका एवं रोयेरहित फलियाँ होती हैं। परीक्षणों के दौरान इस किस्म में चारकोल रॉट के लिए मध्यम से उच्च प्रतिरोधिता दर्शाई है। इसके अतिरिक्त एन्थ्रेक्नोज एवं पीला मोज़ेक रोग के लिए भी यह मध्यम प्रतिरोधी देखी गई। रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट एवं पीला मोजेक वायरस जैसे अनेक रोगों के लिए मध्यम प्रतिरोधिता प्रदर्शित की हैं।

इसके फूलों का रंग बैंगनी हैं, तथा नुकीली आकार की पत्तियां देखी जाती हैं एवं पीले बीजों पर काली रंग की नाभिका होती हैं। इस किस्म को मध्य क्षेत्र (सम्पूर्ण मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र का मराठवाड़ा एवं विदर्भ क्षेत्र, राजस्थान, गुजरात तथा मध्य उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए उपयुक्त पाई गई है। Soybean New Variety

3. सोयाबीन आरएससी 11-42 किस्म (Soybean RSC 1142 Variety) :- इसका विकास इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा किया गया हैं जो कि अखिल भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान परियोजना का केंद्र भी हैं। वर्ष 2021 से 2023 के दौरान पूर्वी क्षेत्र में लगातार किये गए परीक्षणों में इसने 2299 किग्रा./हे. की औसत दर से प्रतिस्पर्धी किस्म की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त किया हैं। यह किस्म अधसीमित वृद्धि वाली हैं तथा इसमें बैंगनी रंग के फूल आते हैं। Soybean New Variety

इस किस्म में इंडियन बड ब्लाइट रोग तथा बैक्टीरियल पुस्तुले के लिए मध्यम प्रतिरोधिता हैं जबकि रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट के लिए मध्यम प्रतिरोधिता हैं। यह चक्र भृंग के लिए मध्यम प्रतिरोधी हैं। इसकी औसत परिपक्वता अवधि 101 दिन हैं। इस किस्म को पूर्वीक्षेत्र (छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल) के लिए उपयुक्त पाया गया हैं।

4. सोयाबीन एनआरसी 197 किस्म (Soybean NRC 197 Variety) :- मार्कर असिस्टेड सिलेक्शन पद्धति से इसका विकास भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान द्वारा किया गया हैं। यह उत्तर पहाड़ी क्षेत्र की प्रथम किस्म हैं जो अपौष्टिक कुनीत्ज ट्रिप्सिन इन्हिबिटर से मुक्त हैं। Soybean New Variety

यह हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों के लिए उपयुक्त पाई गई है। यह 113 दिन में पकने वाली किस्म शीघ्र समयावधि की किस्म हैं जो की पहाड़ी क्षेत्रों के लिए अत्यंत उपयुक्त विकल्प हैं। इसकी पत्तियों का आकार नुकीला होता है। इसकी औसत उत्पादकता 1624 किग्रा/हे. देखी गयी और परीक्षणों में 2072 किग्रा / हे. की अधिकतम उत्पादन क्षमता देखी गई है। Soybean New Variety 

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