सोयाबीन की बोवनी के लिए डीएपी खाद क्यों जरूरी है एवं पैदावार बढ़ाने के लिए अन्य कौन से उपाय करें, जानें..

सोयाबीन की बोवनी के दौरान डीएपी खाद DAP in soybean sowing देने के अलावा कौन से उपाय करना चाहिए, आइए जानते हैं..

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1 सोयाबीन की बोवनी के दौरान डीएपी खाद DAP in soybean sowing देने के अलावा कौन से उपाय करना चाहिए, आइए जानते हैं..
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DAP in soybean sowing | मानसून की सक्रियता के साथ-साथ अब सोयाबीन की बोवनी का समय निकट आ चुका है। अच्छी पैदावार के लिए किसान साथी गुणवत्ता युक्त बी के साथ-साथ उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं। सोयाबीन की फसल को पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है क्या वह उन पोषक तत्व ऑन की पूर्ति डीएपी से हो जाती है। इसके अलावा कई ऐसे प्रश्न है जिनके बारे में किसान अनभिज्ञ है।

कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा समय-समय पर किए गए प्रयोगों से यह बात साबित हो चुकी है कि खेतों से फसल का अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिए उर्वरकों के संतुलित व समन्वित उपयोग की जरूरत होती है न कि उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल की। सोयाबीन की फसल में डीएपी का कितना उपयोग करें एवं इसकी महत्वता क्या है, सोयाबीन की फसल के लिए डीएपी सबसे अधिक महत्वपूर्ण क्यों है, आइए ऐसे ही सभी प्रश्नों के उत्तर जानते हैं..DAP in soybean sowing

क्या है डीएपी खाद?, जानें डिटेल

DAP in soybean sowing : डाई अमोनियम फास्फेट दुनिया की सबसे लोकप्रिय फास्फोटिक खाद है जिसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल हरित क्रांति के बाद देखने को मिला। छारीय प्रकृति वाला यह रासायनिक उर्वरक पौधों में पोषण के लिए और उनके अंदर नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी को पूरा करने के लिए किया जाता है। सोयाबीन में डीएपी से सभी पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं होती है। डीएपी में 18 प्रतिशत नत्रजन व 46 प्रतिशत स्फुर (फास्फोरस) रहता है और वह इन्हीं दो तत्वों की आपूर्ति करता है।

डीएपी खाद के फायदे

नाइट्रोजन और फास्फोरस की प्रचुरता के कारण ये पौधों को लंबे समय तक पोषक तत्वों की आपूर्ति करते हैं। डीएपी पौधों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डीएपी खाद तिलहनी और दलहनी फसलों के लिए अत्यधिक उपयुक्त है। डीएपी खाद पौधों के पोषक तत्वों के लिए अत्यधिक उपयोगी मानी जाती है। पादप कोशिकाओं के लिए बहुत उपयोगी है। DAP in soybean sowing

खेत के लिए क्या जरूरी, कितना होना चाहिए पीएच

DAP in soybean sowing खेती से बंपर उत्पादन तभी मिल सकती है जब खेत की मिट्टी की सेहत ठीक हो। इसलिए किसी भी फसल को लगाने से पहले पहले खेत की मिट्टी की जांच जरूर कराना जरूरी है। मिट्टी अम्लीय और क्षारीय है तो यह आपकी फसल की सेहत बिगाड़ सकती है, जिसका उत्पादन पर असर पड़ता है।

मिट्टी उदासीन है तो खेत की सेहत सही है। यह आपकी फसल को तंदुरुस्त रखेगी, जिससे बंपर फसल होगी। 6.5 से 7.5 तक के पीएच को उदासीन कहा जाता है। 6.5 से कम आने पर अम्लीय और 7.5 से ज्यादा पर क्षारीय मिट्टी कहा जाता है। अगर खेत की मिट्टी का पीएच 6.5-7.5 है तो मिट्टी की सेहत सही है। इसमें सारे पोषख तत्व उपलब्ध है। फसल भी बेहतर होगी।

सोयाबीन की फसल में कितना डीएपी डालें

सोयाबीन में डीएपी से सभी पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं होती है। डीएपी में 18 प्रतिशत नत्रजन व 46 प्रतिशत स्फुर (फास्फोरस) रहता है और वह इन्हीं दो तत्वों की आपूर्ति करता है। सोयाबीन के बीजों में 40 प्रतिशत प्रोटीन रहता है जिसको बनाने के लिए नत्रजन एक आवश्यक तत्व है। DAP in soybean sowing 

इसके लिए फसल को लगभग 250 किलो प्रति हे। नत्रजन की आवश्यकता होती है। 20 किलो प्रति हे. नत्रजन उर्वरक के रूप में देते हैं। इसकी शेष मात्रा लगभग 230 किलो प्रति हे. सोयाबीन के पौधों की जड़ों की गांठों में स्थित राइजोबियम बैक्टीरिया वातावरण से अवशोषित कर पौधों को उपलब्ध कराते हैं।

DAP in soybean sowing नत्रजन व स्फुर के अतिरिक्त अब सोयाबीन में कहीं – कहीं पोटाश की कमी भी नजर आ रही है। इसकी कमी के कारण पौधों की पत्तियों के बाहरी किनारों पर पीलापन दिखाई देता है। इसकी आपूर्ति के लिए आप 20 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर के मान से अवश्य दें।

सोयाबीन व अन्य तिलहनी फसलों में इन तत्वों के अतिरिक्त गंधक (सल्फर) को भी आवश्यकता होती है क्योंकि गंधक तेल बनाने की प्रक्रिया का एक आवश्यक तत्व है। इसकी आपूर्ति आप बिना अतिरिक्त खर्च के स्फुर की आपूर्ति डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट से करने लगे। इसमें 16 प्रतिशत स्फुर के साथ 12 प्रतिशत गंधक भी रहता है जो सोयाबीन में गंधक की आवश्यकता के लिए पर्याप्त है। DAP in soybean sowing

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क्या डीएपी डालने से ही बढ़ती है सोयाबीन की पैदावार

DAP in soybean sowing : सोयाबीन सहित अन्य फसलों की पौषक तत्वों की आपूर्ति के लिए किसान डीएपी का इस्तेमाल करता है। पैदावार बढ़ाने के लिए डीएपी का अंधाधुंध उपयोग करता है। अधिकतर किसानों को लगता है की, सिर्फ डीएपी खाद डालने से ही उनकी फसल अच्छी होगी। लेकिन इस पर कृषि विशेषज्ञों ने अपनी राय जताते हुए कहा की, सिर्फ डीएपी के उपयोग से ही अच्छी पैदावार नही ली जाती। यानी यूं कहे की, फसल में सभी पौषक तत्वों की आपूर्ति नहीं होती है। फसलों के लिए विभिन्न पौषक तत्वों की आवश्यकता होती है।

खेत के अनुसार उर्वरक का इस्तेमाल करें

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फसलों में उर्वरकों के उपयोग से पहले यह जानना जरूरी है कि मिट्टी की प्रकृति कैसी है अर्थात मिट्टी भारी है या हल्के किस्म की। ऐसा इसलिये आवश्यक है क्योंकि जब भूमि में उर्वरकों का उपयोग किया जाता है तब उसका बहुत बड़ा भाग मिट्टी की निचली सतह में बहकर चला जाता है, जिसका फसल में कोई उपयोग नहीं हो पाता।

बलुई या हल्की मिट्टी में नाइट्रोजन युक्त उर्वरक जैसे सोडियम नाइट्रेट, कैल्शियम नाइट्रेट आदि का रिसाव चिकनी मिट्टी की अपेक्षा अधिक होता है। इसलिये हल्की मिट्टी में नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये, अन्यथा फसलों को जरूरत के मुताबिक उर्वरक प्राप्त नहीं होंगे और उत्पादन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। DAP in soybean sowing

इस तरह करें फसलों में खाद-उर्वरक का छिड़काव

आज के समय में फसल उत्पादन के लिए किसान यूरिया, डीएपी सहित अन्य खाद उर्वरक का उपयोग करते हैं, पर इन उर्वरकों का अधिकतम लाभ तब ही मिलता है जब इनका उपयोग सही समय और संतुलित मात्रा में किया जाए अन्यथा यह व्यर्थ ही चला जाता है।

DAP in soybean sowing : कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए प्रयोगों के अनुसार एक ही तरह के खाद-उर्वरकों का उपयोग करने से फसलों को उचित पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है। इसलिये किसानों को मिट्टी की प्रकृति को ध्यान में रखकर संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिये। ऐसा करके किसान उर्वरकों की खपत काफी कम कर सकते हैं और अपना आर्थिक बोझ भी कम कर सकते हैं।

संतुलित उर्वरकों के उपयोग से बढ़ती है पैदावार

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर किये गये प्रयोगों से यह बात साबित हो चुकी है कि खेतों से अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के लिये उर्वरकों के संतुलित व समन्वित उपयोग की जरूरत होती है न कि उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल की।

एक ही तरह के उर्वरकों का उपयोग करने से फसलों को उचित पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति क्षीण हो जाती है। इसलिये कृषकों को मिट्टी की प्रकृति को ध्यान में रखकर संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिये । ऐसा करके किसान उर्वरकों की खपत काफी कम कर सकते हैं और अपना आर्थिक बोझ भी कम कर सकते हैं। DAP in soybean sowing

किसान कब एवं कैसे करें खाद-उर्वरक का छिड़काव

DAP in soybean sowing : कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार उर्वरकों को हमेशा पौधों की जड़ों के आसपास देना चाहिये। जमीन के ऊपर उर्वरक बिखेरने से वह पौधों की जड़ों तक नहीं पहुंच पाते। नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों को एक बार में न देकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में फसल की आवश्यकतानुसार दो या तीन बार में देना चाहिये।

साथ ही उर्वरक देते समय भूमि में नमी होना भी आवश्यक है, क्योंकि पौधों की जड़ें घोल के रूप में पोषक तत्व ग्रहण करती हैं। खड़ी फसलों में उर्वरकों का प्रयोग पानी में घोलकर करना चाहिये।

नत्रजन, स्फुर व पोटाश जैसे यूरिया, डीएपी व पोटेशियम सल्फेट को पानी में घोलकर खड़ी फसलों में दिया जा सकता है। जैविक खादों जैसे गोबर खाद, कम्पोस्ट अथवा हरी खाद के प्रयोग से भी रासायनिक उर्वरकों की खपत कम की जा सकती है। साथ ही खरपतवारों को निकालकर उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिये अन्यथा वे भी उर्वरकों से पोषक तत्व ग्रहण कर लेते हैं और उत्पादन क्षमता घट जाती है। DAP in soybean sowing उर्वरकों का उपयोग मृदा के पीएच मान के आधार पर ही करना चाहिये, क्योंकि सभी उर्वरक हर प्रकार की जमीन में उपयुक्त नहीं होते।

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डीएपी असली है या नकली, इसकी पहचान कैसे करें?

DAP in soybean sowing : कृषि उत्पादन बढ़ाने में उर्वरकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। किसान खुद आसान तरीके अपनाकर असली उर्वरकों की पहचान कर सकते हैं। सीधी के उपसंचालक (कृषि) श्री संजय कुमार श्रीवास्तव ने किसानों को असली डीएपी की पहचान करने के कुछ आसान तरीके सुझाए हैं।

असली डीएपी की पहचान – कठोर दानेदार, भूरा, काला या बादामी रंग का होता है। नाखूनों से तोड़ने पर यह आसानी से नहीं टूटता। यूरिया की तरह डीएपी भी मुट्ठी में भरकर फूंक मारने पर हल्का गीला हो जाता है। इसके दानों में चूना मिलाकर हाथ से रगड़ने पर तीक्ष्ण गंध आती है। तवे पर धीमी आंच में गरम करने पर इसके दाने फूलकर बड़े हो जाते हैं। DAP in soybean sowing

अनुशंसित मात्रा में ही करें उर्वरक का उपयोग

डीएपी उर्वरकों का उपयोग अनुशंसित मात्रा से अधिक हो रहा है। जिससे जमीन की उर्वरक क्षमता धीरे-धीरे कम होती जा रही है और लगातार किसान अत्यधिक मात्रा में डीएपी उर्वरक का उपयोग कर रहे हैं। डीएपी उर्वरक में नत्रजन तो कम मात्रा में होता है परंतु फास्फोरस तत्व ज्यादा मात्रा में होता है। DAP in soybean sowing

जिससे फसलें नाइट्रोजन उर्वरक का तो उपयोग कर लेती है परंतु फास्फोरस तत्व एक ही स्थान पर जमीन में पड़ा रहता है जिससे फसल के पौधे इस तत्व का संपूर्ण उपयोग नहीं कर पाते हैं और जमीन में फास्फोरस अधिक मात्रा में संग्रहित होने के कारण जमीन की उर्वरक क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है।

इसका सबसे अच्छा उपाय यह है कि डीएपी उर्वरक के स्थान पर किसानों को एनपीके उर्वरक उपलब्ध कराया जाए जिससे कि उनकी फसलों का उत्पादन तो अधिक होगा ही और जमीन भी खराब नहीं होगी। एनपीके उर्वरक में सभी तत्व समान मात्रा में होते हैं और फसल की आवश्यकता के अनुसार मात्रा में होने के कारण फसल इसका संपूर्ण उपयोग कर लेती है। इसके अतिरिक्त तत्व जमीन में संग्रहित नहीं होता है और फसल की उत्पादकता भी अच्छी होती है। DAP in soybean sowing 

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