कृषि विशेषज्ञों से जानिए खरीफ सीजन में खरीफ फसलों की सर्वोत्तम बुवाई Kharif Sowing की तकनीक..
Kharif Sowing | देश के कई राज्यों में मानसून सक्रिय हो गया है मानसून की सक्रियता के साथ खरीफ फसलों की बुवाई का क्रम शुरू हो चुका है। किसान साठी खरीफ फसलों की बुवाई करने में लगे हुए हैं। खरीफ फसलों की बुवाई के दौरान कुछ बातों का यदि ध्यान रखा जाए तो अच्छी पैदावार होती है। बुवाई के लिए कृषि विशेषज्ञ क्या सलाह दे रहे हैं एवं बुवाई Kharif Sowing के दौरान किन बातों का ध्यान रखा जाना आवश्यक रहता है आईए जानते हैं..
बुवाई में इन बातों का ध्यान रखें
कृषि वैज्ञानिकों व कृषि विभाग के अनुसार किसान अपने खेतों में कपास की बोवनी 3 फीट बाय 1 फीट, एचडीपीएस तकनीक में 3 फीट बाय 6 इंच, भारी जमीन में मक्का की बोवनी के लिए लाइन की दूरी 2 फीट बाय 6 इंच की दूरी, पौधे की दूरी छह इंच, हल्की जमीन दो फीट बाय 1 फीट, वहीं सोयाबीन की डिबलिंग विधि में लाइन की दूरी 3 फीट व पौधे से पौधे की दूरी छह इंच, एक स्थान पर तीन-तीन दाने बोवनी Kharif Sowing करना है, अंकुरण होने पर केवल दो पौधे रखना है, जिससे अधिकतम उत्पादन लिया जा सकता है।
खरीफ फसलों को उपचारित करें
खरीफ फसलों को बुवाई Kharif Sowing से पूर्व फफूंदनाशक थायरम, कार्बेन्डाजिम या कार्बोक्सीन दवा से 3 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें।सोयाबीन, उड़द, मूंग को पीला मोजेक रोग से बचाने के लिए बीज को थायोमिथाक्जाम 30 एफएस मात्रा 10 मिली प्रति किलो बीज या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस 1.25 मिली प्रति किलो बीज से उपचारित करें। पीला मोजेक का नियंत्रण बुवाई पूर्व बीजोपचार से ही कर सकते हैं।
धान के बीज को कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम +थिरम 1 ग्राम प्रति किलो बीज या कार्बोक्सिन 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। धान के बीज को जैविक उपचार के तहत ट्राइकोडर्मा विरिडी 10 ग्राम प्रतिकिलो बीज तथा स्यूडोमोनास फ्लोरसेन्स जीवाणुनाशक 5 मिली प्रति किग्रा बीज से बीजोपचार करें। मक्का को थायरम 75 डब्ल्यूपी 3 ग्राम तथा डाऊनी मिल्डयू के लिए मेटालेक्जिल एम 25 मिली प्रति किलो बीज के हिसाब से बीज उपचार करें।
जैव उर्वरक का इस्तेमाल इस प्रकार करें
Kharif Sowing ; खरीफ फसलों को फफूंदनाशक दवा से उपचार के बाद जैव उर्वरक से उपचारित करें। दलहनी फसलों को राइजोबियम कल्चर 10 मिली प्रति किलो बीज व खाद्यान फसलों को एजेटोबैक्टर या एजोस्पेरिलम 10 मिली प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। बीज उपचार का क्रम खरीफ फसलों को पहले फफूंदनाशक, फिर कीटनाशक, उसके बाद राइजोबियम कल्चर से उपचारित करें।
खरपतवार नियंत्रण के लिए यह उपाय करें
सोयाबीन बुवाई के तुरंत बाद पेण्डा मिथलीन 30 ईसी 2.25 लीटर प्रति हैक्टेयर या डाईक्लोसुलम 26 ग्राम प्रति हैक्टेयर या सल्फेट्राजोन 750 मिली प्रति हैक्टे, छिड़कें। धान की सीधी बुवाई के तुरंत बाद पेण्डा मिथिलीन 30 ईसी 3.25 लीटर प्रति हैक्टे. या प्रेटीलाक्लोर 50 ईसी 1.5 किग्रा प्रति हैक्टे. प्रयोग करें।
उर्वरक प्रबंधन इस प्रकार करें
खरीफ के लिए डीएपी के स्थान पर एनपीके खाद का उपयोग करें। क्योंकि डीएपी से नाइट्रोजन व फॉस्फोरस तत्व की पूर्ती होती है, जबकि एन.पी.के से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस व स्फुर तीनों तत्व मिलते हैं। स्फुर पौध बढ़वार के लिए आवश्यक है। इसके उपयोग से पौधों में कीट व रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता आती है। Kharif Sowing
धान की सीधी बुवाई तकनीक
इस तकनीक में सुगंधित किस्म- पूसा-1509, पूसा 1121, पूसा-1460, पूसा-1637 व असुगंधित किस्म- आईआर-36, आईआर- 64, क्रांति, एमटीयू-1010 किस्मों का चयन करें। बुवाई में सामान्य सीड ड्रिल या जीरो टिलेज सीड ड्रिल का उपयोग करें।
बीज दर यह रखें
किसान साथी धान की बुवाई Kharif Sowing के लिए 30-40 किग्रा प्रति हैक्टेयर का बीज दर रखें। सीड ड्रिल से बुवाई में कतार की दूरी 20 सेमी, बीज की गहराई 2-3 सेमी रखें।
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