किसान बुवाई के लिए अपनाएं ये विधि, धान की फसल में होगा बढ़िया फुटाव, देखें डिटेल…

धान बुवाई की सबसे बेस्ट तकनीक पटेला विधि (Patela Paddy Sowing) के बारे में आईए जानते हैं..

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Patela Paddy Sowing | खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है। किसान धान की बुवाई में व्यस्त है। धान की फसल में फुटाव को बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिक किसानों को पटेला विधि अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस विधि में बिना किसी अतिरिक्त लागत के धान की फसल में अधिक फुटाव होता है। आइए आपको बताते है पटेला विधि Patela Paddy Sowing कैसे करें धान की बुवाई एवं किस तरह किसानों के लिए यह फायदेमंद रहेगा।

पटेला विधि से धान की बुवाई (Patela Paddy Sowing)

धान के बढ़िया उत्पादन में फसल के अच्छे फुटाव की बड़ी भूमिका रहती है। धान की फसल का अधिकतम फुटाव के लिए किसान विभिन्न पोषक तत्वों के साथ ही उर्वरकों का प्रयोग करते हैं, लेकिन धान की फसल में अच्छे फुटाव के लिए बासमती निर्यात प्रतिष्ठान मेरठ द्वारा विकसित की गई पटेला विधि Patela Paddy Sowing अधिक कारगर साबित हो रही है।

इस विधि Patela Paddy Sowing में किसान एक हल्के पटेला को धान की रोपाई के 15 से 25 दिनों के बीच फसल के ऊपर चलाते हैं। जिससे धान की फसल में अधिक कल्ले निकलते हैं। इससे धान की फसल की लागत कम होने के साथ ही उत्पादन भी बढ़िया होता है। इसके अलावा भूमि में वायु संचार भी बढ़ता है, जिससे पौधों की जड़ों का बेहतर विकास होता है।

इस तकनीक का प्रयोग करने पर भूमि में दरार भी नहीं पड़ती, इसके चलते पानी की बचत होती है। इसके अलावा धान में लगने वाले पत्ती लपेटक और तनाछेदक कीट प्राथमिक अवस्था में ही नष्ट हो जाते हैं। इस तकनीक का प्रयोग करने से कम लागत में धान की अच्छी पैदावार होती है। कृषि वैज्ञानिक किसानों को इस विधि का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।

कैसे करें पटेला विधि में धान की रोपाई..

कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. आईके कुशवाह का कहना है की, पटेला विधि Patela Paddy Sowing में धान की रोपाई के 15 से 25 दिनों के अंदर खेत में पानी भरकर करीब 15 किलो वजन एवं दो से तीन मीटर लंबे लकड़ी के पटेला को फसल के ऊपर रस्सी की सहायता से एक से दो बार चलाया जाता है। बासमती निर्यात प्रतिष्ठान मेरठ द्वारा विकसित यह विधि धान की फसल के फुटाव में कारगर साबित हो रही है।

बीज मात्रा कितनी रखे?

धान की उपयुक्त भूमि का प्रकार मध्यम काली मिट्टी एवं दोमट मिट्टी होता है। धान की बीज की मात्रा बुवाई की पध्दति के अनुसार अलग-अलग रखी जाती है। जैसे छिटकवां विधि से बोने के लिये 40-48 ,कतार मे बीज बोने के लिये 36-40, लेही पध्दति में 28-32 किलो, रोपाई पध्दति में 12-16 किलों तथा बियासी पध्दति में 48-60 किलो प्रति एकड़ उपयोग में लाया जाता है।

जैव उर्वरकों का उपयोग :- धान में एजोस्पिरिलियम या एजोटाबेक्टर एवं पी.एस.बी. जीवाणुओं की 5 किलो ग्राम को 50 किग्रा/हैक्टेयर सूखी सड़ी हूई गोबर की खाद में मिलाकर खेत मे मिला दें। धान के रोपित खेत में (20दिन रोपाई उपरांत) 15 किग्रा/हैक्टेयर नील हरित काई का भुरकाव 3 सेमी पानी की तह रखते हुए करें।

रोप विधि..

सामान्य तौर पर 2-3 सप्ताह के पौध रोपाई के लिये उपयुक्त होते हैं तथा एक जगह पर 2-3 पौध लगाना पर्याप्त होता है रोपाई में विलम्ब होने पर एक जगह पर 4-5 पौधे लगाना उचित होगा।

  1. जल्दी पकने वाली प्रजातियाँ उपयुक्त समय पर 15 से 15 सेमी।
  2. मध्यम अवधि की प्रजातियाँ उपयुक्त समय पर 20 से 15 सेमी।
  3. देर से पकने वाली प्रजातियाँ उपयुक्त समय पर 25 से 20 सेमी। Patela Paddy Sowing 
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