आइए जानते है बकरा पालन (Goat farming buisness) पर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है।
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Goat farming buisness | हमेशा से बकरी पालन मीट के लिए किया जाता रहा है। आज भी बाजार में बकरी के दूध से ज्यादा बकरे के मीट का कारोबार है।
संगठित ना होने की वजह से दूध का कारोबार बढ़ नहीं पा रहा है. यही वजह है कि जब जरूरत होती है तो बकरी का दूध 300 से लेकर 400 रुपये लीटर तक बिक जाता है।
जबकि बकरी के मुकाबले बकरा जल्दी मुनाफा देना शुरू कर देता है। बकरी बच्चा देने के बाद दूध देना शुरू करेगी।
वहीं बकरा छह महीने का होने पर ही मुनाफा देना शुरू कर देता है. मीट के चलते साल के 12 महीने बकरों की डिमांड बनी रहती है।
बकरीद की वजह से साल के एक महीने में ही इतने बकरे बिक जाते हैं कि पशुपालक Goat farming buisness पूरे साल का अर्थशास्त्र सुधार लेते हैं।
अब तो देश के साथ-साथ विदेशों से भी बकरे के मीट की डिमांड आ रही है।
एक्सपोर्ट के दौरान मीट में आने वाली केमिकल की परेशानियों को दूर करने के लिए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा लगातार काम कर रहा है।
वहीं एक्सपर्ट का कहना है कि आज के बाजार को देखते हुए मीट Goat farming buisness कारोबार में अब मंदी आने की संभावनाएं ना के बराबर रह गई हैं।
मीट के लिए पाले ये बकरे तो जल्द देंगे मुनाफा
Goat farming buisness | गोट एक्सपर्ट के मुताबिक वैसे तो अपने इलाके के हिसाब से मौजूद बकरे और बकरियों की नस्ल पालनी चाहिए क्योंकि वही नस्ल अच्छी तरह से ग्रोथ करेगी।
लेकिन खासतौर पर मीट के लिए पसंद किए और पाले जाने बकरों की जो नस्ल हैं उसमे बरबरी, जमनापरी, जखराना, ब्लैक बंगाल, सुजोत प्रमुख रूप से हैं।
इन्हें पालने से दोहरी इनकम होती है। क्योंकि बरबरी, जमनापरी और जखराना नस्ल की बकरियां दूध भी खूब देती हैं। : Goat farming buisness
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बकरे के मीट एक्सपोर्ट में अब नहीं आती ये परेशानी
एक्सपर्ट का कहना है कि मीट एक्सपोर्ट के दौरान मीट में केमिकल और दूसरे तत्वों की जांच होती है। जांच में पास होने के बाद ही मीट का कंटेनर आगे बढ़ाया जाता है।
कई बार एक्सपोर्ट के दौरान बकरे के मीट के कंसाइनमेंट लौटकर आए हैं। यह इसलिए होता था कि बकरों को जो चारा खिलाया जाता था उसमे कहीं न कहीं पेस्टीसाइड का इस्तेमाल हुआ होता था। : Goat farming buisness
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लेकिन अब सीआईआरजी ने आर्गनिक चारा उगाना शुरू कर दिया है। इस चारे को बकरों ने भी खाया। लेकिन जब उनके मीट की जांच हुई तो वो केमिकल नहीं मिले जिनकी शिकायत आती थी।
हालांकि सीआईआरजी मीट में आने वाली इस परेशानी को दूर करने के लिए अभी इस पर और रिसर्च कर रहा है।
मीट से जुड़ा कोर्स भी कराता है सीआईआरजी
Goat farming buisness | मीट के बढ़ते कारोबार और डिमांड को देखते हुए सीआईआरजी ने इससे जुड़ा एक कोर्स भी शुरू कर दिया है।
एक बकरे की स्लॉटरिंग कैसे करनी है। जहां बकरे की स्लॉटरिंग होनी है वहां किस तरह की साफ-सफाई रखनी है। जो व्यक्ति स्लॉटरिंग करेगा उसे क्या पहनना है और खुद की साफ-सफाई के कौन से मानक पूरे करने हैं।
बकरे को कैसे काटा जाएगा, किस तरह से उसके पीस किए जाएंगे ये सब कोर्स के दौरान बताया जाएगा। ये वो काम है जो बड़े-बड़े स्लॉटर हाउस में भी होते हैं और बाजारों में खुलीं मीट की छोटी दुकानों पर भी। ऐसे ही ट्रेंड लोगों की स्लॉटर हाउस को भी जरूरत होती है। : Goat farming buisness
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