चना की फसल से प्राप्त करना चाहते है बेहतर उपज? ध्यान दें किसान, मिलेगी अच्छी उपज…

चने की फसल (Gram Cultivation) में अक्सर चने की इल्ली और उकटा रोग लगता है। आइए जानते है किस प्रकार किसान इनका नियंत्रण पा सकते है।

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Gram Cultivation | चना आपके क्षेत्र की प्रमुख रबी फसल है और चने की इल्ली से पूर्व में हर वर्ष अच्छा खासा संघर्ष करना पड़ता था जब जाकर चना बच पाता है।

अच्छी उपज के किसानों को रोगों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। फसल में यदि किसी भी प्रकार का रोग लग जाता है, वह धीरे धीरे फसल को नष्ट कर देता है।

वर्तमान में इल्ली के प्रभावी नियंत्रण के लिये एकीकृत कीट नियंत्रण के बिंदुओं की परख हो चुकी है। वही, साथ ही चने की फसल Gram Cultivation में हर वर्ष उकटा रोग आता है।

इन रोगों से बचाव के लिए किसानों के लिए निम्न बिंदुओ को अपनाना चाहिए। फसल के रोग मुक्त होने से उपज में अवश्य बढ़ोतरी होगी। आइए आपको बताते है चने की इल्ली और उकटा रोग से बचाव के तरीके।

चने की इल्ली के नियंत्रण हेतु निम्न बिंदुओ पर ध्यान दें…

Gram Cultivation | चना की इल्ली के प्रभावी नियंत्रण के लिये एकीकृत कीट नियंत्रण के बिंदुओं की परख हो चुकी है। आप भी निम्न बिंदुओं को अपनाकर हानि से बच सकते हैं :- 

खेत में सोयाबीन के पौधों को तुरन्त उखाड़ कर चारे जैसा उपयोग कर लें ऐसा करने से चने की मादा को अंडे देने से रोका जा सकता है।

खेत में जगह-जगह टी आकार की खूटियां लगा दें ताकि चिडिय़ा/मिट्ठू उस पर बैठकर इल्लियों को खा सकें।

इल्ली की प्रथम अवस्था पर पहले जैविक कीटनाशी का उपयोग करें। : Gram Cultivation

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चने की पत्तियों की तुड़ाई करें।

इल्ली दिखने पर यदि हानि के स्तर से ऊपर अर्थात् 3 इल्ली प्रति मीटर कतार में दिखे और चने की घेटियां बनना शुरू हो गई हो तो एक छिड़काव प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. 1.5 लीटर या क्विनालफॉस 25 ई.सी. 1 लीटर 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। : Gram Cultivation

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चने की फसल में हर वर्ष उकटा रोग के नियंत्रण या बचाव के उपाय

Gram Cultivation | चने का उकटा रोग सामान्य रूप से आता है। उकटा रोग की फफूंदी मिट्टी में रहती है। तथा साल दर साल पनपती रहती है। इस रोग के नियंत्रण के बजाय बचाव के उपाय अधिक कारगर हैं कृपया आप निम्न करें :-

ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करके मिट्टी में छुपी फफूंदी को नष्ट करें।

बुआई पूर्व बीज का उपचार ट्राईकोडर्मा 5 ग्राम/किलो बीज के हिसाब से अथवा 2 ग्राम थाईरम/किलो बीज का करें।

हर वर्ष एक ही जमीन में चने की खेती नहीं करें।

रोग रोधी जातियां जैसे जे.जी. 315, जे.जी. 74, जे.जी. 11, जे.जी.130, जे.जी.16 भारती, जे.जी.63, जे.जी.322, विजय श्वेता, काक 2, बी.जी. 1053 इत्यादि ही लगायें। : Gram Cultivation

चना के साथ अलसी की अंतरवर्तीय फसल लगायें दो कतार चने के साथ 1 कतार अलसी की लगायें।

ट्राईकोडर्मा 5 ग्राम/लीटर पानी में घोल बनाकर सीमित क्षतिग्रस्त क्षेत्रों में मिट्टी में डालें।

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