अंगूर की खेती है मुनाफे की खेती, इसमें कमाई कितनी है, जानें खेती की संपूर्ण जानकारी

Viticulture 2023: अंगूर की खेती की जानकारी देखें लेख में…

Viticulture 2023 | गर्मी के सीजन में आने वाले अंगूर से आपको बता दे की, आप एक एकड़ से लाखो की कमाई कर सकते है। किसान अंगूर की खेती से प्रतिवर्ष 1 एकड़ से 5 लाख रुपए तक की कमाई कर सकता है।

इसकी खेती में एक बार लागत लगाए जाने के बाद कमाई का सिलसिला चलता रहता है यही कारण है कि किसान अब पारंपरिक खेती से खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। हालांकि अंगूर की खेती शुरुआत में थोड़ी महंगी रहती है किंतु मुनाफा अच्छा होने के कारण किसानों के लिए यह फायदे का सौदा ही साबित होगी। अंगूर की खेती के विषय में विस्तार से जानिए।

अंगूर की प्लांटिंग में अधिक खर्च

अंगूर की खेती Viticulture 2023 थोड़ी महंगी जरूर है। क्योंकि इसके प्लांट खरीदने और बागवानी करने में ज्यादा खर्चा लगता है। खेती की तैयारी और प्लांट का खर्चा मिलाकर 1 एकड़ में करीब 13 लाख रुपए की लागत आती है।

फिर भी यह खेती फायदेमंद है, क्योंकि एक बार प्लांट लगाने के बाद आप 15-20 साल तक लाभ ले सकते हैं। हर साल आपको प्लांटिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी। बस मेंटेनेंस का खर्चा आएगा। अंगूर की खेती के लिए ऑर्गेनिक खाद इस्तेमाल की जा सकती है। गाय का गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल करने से केमिकल फर्टिलाइजर के खर्च को बचाया जा सकता है।

ऐसे करें अंगूर की खेती

अंगूर की खेती Viticulture 2023 के लिए काली दोमट मिट्टी और रेतीली मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है। मिट्टी का पीएच से 5-7 तक होना चाहिए। इसके लिए गर्म और शुष्क जलवायु की जरूरत होती है। यानी तापमान 25 से 30 डिग्री के बीच हो तो प्रोडक्शन बढ़िया होता है। ध्यान रहे इससे ज्यादा तापमान हुआ तो फलों में रोग भी लग सकते हैं।

जहां तक टाइम पीरियड की बात है, देश के अलग-अलग हिस्सों में मौसम के हिसाब से अलग-अलग समय पर प्लांटिंग की जाती है। मसलन नॉर्थ इंडिया में फरवरी-मार्च, साउथ इंडिया में दिसंबर-जनवरी और बाकी हिस्सों में नवंबर से जनवरी के बीच की जाती है।

अंगूर की प्लांटिंग के लिए 9 फीट की लाइन से री रखी जाती और पौधे से पौधे के बीच दूरी 5 फीट रखी जाती है। इस तरह एक एकड़ Viticulture 2023 जमीन पर 950 प्लांट लगते हैं। करीब 2 से 3 साल बाद प्लांट से फल निकलने लगता है। पहले साल प्रोडक्शन थोड़ा कम होता है, लेकिन उसके बाद अच्छा प्रोडक्शन होने लगात है। एक एकड़ जमीन में करीब 1200-1300 किलो अंगूर पैदा होता है।

अंगूर की प्रमुख वैराइटी

  • अरका श्याम : इसके फल का साइज मीडियम और कलर ब्लैक होता है। टेस्ट हल्का मीठा होता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल शराब Viticulture 2023 और दवाइयां बनाने में किया जाता है।
  • अरका नील मणि : यह ब्लैक चंपा और थॉम्पसन सीडलेस के बीच एक क्रॉस है। प्रति हेक्टेयर 25 टन तक प्रोडक्शन होता है।
  • अरका कृष्णा : यह ब्लैक चंपा और थॉम्पसन के बीच एक क्रॉस है। इसका फल ब्लैक कलर का होता है। जूस बनाने के लिए यह सबसे बेहतर वैराइटी होती है। क्योंकि इसमें सीड नहीं होते हैं।
  • अरका राजसी : यह अंगूर कलां और ब्लैक चंपा Viticulture 2023 के बीच एक क्रॉस है। इसका फल गहरे भूरे रंग का होता है। करीब 30 टन प्रति हेक्टेयर तक प्रोडक्शन होता है।
  • बंगलौर ब्लू : यह वैराइटी मुख्य रूप से दक्षिण भारत में उगाई जाती है। इसका फल अच्छी क्वालिटी का होता है। जूस और शराब बनाने में इसका इस्तेमाल होता है।

ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से करें सिंचाई

प्लांटिंग Viticulture 2023 करने के 10 से 15 दिन बाद ग्रोथ दिखने लगती है। यानी इसके बाद इसकी केयर की जरूरत पड़ती है। सर्दी के मौसम में 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जरूरत पड़ती है। ड्रिप इरिगेशन तकनीक से सिंचाई करना सबसे बेहतर होता है। इससे आसानी से प्लांट को उसके जरूरत के मुताबिक पानी मिल जाता है।

कम पानी वाले इलाकों में भी इस तकनीक की मदद से अंगूर की अच्छी खेती की जा सकती है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि बरसात के सीजन में प्लांट को खास देखभाल की जरूरत पड़ती है। इस मौसम में अगर प्लांट को पानी से नहीं बचाया गया तो नुकसान हो सकता है।

एक बार लागत, बार-बार कमाई

देश के महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत के राज्यों में अंगूर की अच्छी खेती Viticulture 2023 होती है। एक एकड़ जमीन पर अंगूर की खेती के लिए करीब 4 से 5 लाख रुपए का खर्चा आता है। दो से तीन साल बाद प्लांट तैयार होने के बाद फल निकलने लगते हैं। एक एकड़ जमीन पर करीब 10 टन का प्रोडक्शन होता है। ऐसे में अगर 80 रुपए किलो के हिसाब से भी फल बिकते हैं तो 8 लाख रुपए तक का सेल हो जाता है। यानी एक एकड़ जमीन पर अंगूर की खेती से तीन से चार लाख रुपए की कमाई हो जाती है।

अच्छी बात यह है कि अंगूर का प्लांट Viticulture 2023 एक बार तैयार होने के बाद 15-20 साल तक फल देता है। यानी बार-बार प्लांटिंग नहीं करनी पड़ती है। इसके साथ ही अगर बड़े शहरों में अगर आप फल पहुंचा पाते हैं। दवा और बियर कंपनियों से कॉन्टैक्ट कर पाते हैं तो और अधिक कमाई होती है। क्योंकि दवा और बियर बनाने वाली कंपनियां बड़े लेवल पर अंगूर खरीदती हैं।

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