MP Crop Subsidy प्रदेश में केले की फसल पर आर्थिक सहायता की राशि बढ़ा दी गई है। अन्य फसलों पर कितनी मिलती है आर्थिक सहायता एवं क्या है इसकी पूरी प्रक्रिया जानिए…
MP Crop Subsidy : मध्यप्रदेश में केले की खेती बुरहानपुर जिले में बहुतायत से होती है। पिछले दिनों मौसम का प्रभाव केले की फसल पर पड़ा। जिसके कारण केले की फसल की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। किसानों की मांग को देखते हुए प्रदेश सरकार में कैबिनेट बैठक के दौरान निर्णय लेते हुए केले की फसल पर दिए जाने वाले आर्थिक सहायता की राशि अधिकतम 3 लाख से बढ़ाकर 6 लाख कर दी है। चौपाल समाचार के इस लेख में हम जानेंगे कि केले के अलावा खरीफ एवं रबी की अन्य फसलों पर कितनी आर्थिक सहायता प्रदेश सरकार द्वारा दी जाती है एवं क्या है इसकी पूरी प्रक्रिया …
केले की फसल पर दुगनी आर्थिक सहायता मिलेगी – MP Crop Subsidy
मध्यप्रदेश में केले की फसल के नुकसान होने पर 50 प्रतिशत से अधिक क्षति पर दो लाख, 33 से 50 प्रतिशत क्षति पर 54 हजार और 25 से 33 प्रतिशत क्षति होने पर प्रति हेक्टेयर 30 हजार रुपये की सहायता मिलेगी। गत दिनों हुई कैबिनेट की बैठक MP Crop Subsidy के दौरान यह निर्णय लिया गया है। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि प्राइस सपोर्ट स्कीम के अंतर्गत ग्रीष्मकालीन मूंग और उड़द के उपार्जन पर मंडी के साथ अब निराश्रित शुल्क से भी छूट दी जाएगी। प्रति सौ रुपये के उपार्जन पर डेढ़ रुपये मंडी और 20 पैसे निराश्रित शुल्क लिया जाता है।
बिजली सब्सिडी बढ़ाई गई
किसानों को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए सरकार वर्ष 2023-24 में 18 हजार करोड़ रुपये व्यय करेगी। यह राशि विद्युत वितरण कंपनियों को अनुदान MP Crop Subsidy के रूप में दी जाएगी।
किसानों की लागत कम करने के लिए सरकार 10 हार्स पावर क्षमता के स्थायी पंप कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को 750 रुपये और 10 हार्स पावर से अधिक क्षमता के स्थायी कृषि उपभोक्ताओं को डेढ़ हजार रुपये प्रति हार्स पावर की दर से बिजली बिल लेने का निर्णय लिया है।
MP Crop Subsidy इससे बिजली कंपनियों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए 12686 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा। इसी तरह एक हेक्टेयर तक भूमि वाले अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के किसानों को पांच हार्स पावर क्षमता के पंप के उपयोग पर निश्शुल्क बिजली देने पर 5142 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा।
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अन्य फसलों पर भी राहत राशि बढ़ाई गई
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार MP Crop Subsidy ने इसके पूर्व प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत देते हुए ओलावृष्टि या बारिश से फसलों का नुकसान होने पर अब किसानों को प्रति हेक्टेयर 500 से 2000 रुपए ज्यादा देने का निर्णय लिया है।
शिवराज कैबिनेट ने 25 अप्रैल को फसल मुआवजा बढ़ाने के संबंध में फैसला भी लिया था। बढ़ा हुआ फसल मुआवजा 1 मार्च 2023 से लागू किया गया है। छोटे (2 हेक्टेयर तक) और बड़े किसानों (2 हेक्टेयर से अधिक) की अलग-अलग कैटेगरी बनाई गई हैं। वर्षा आधारित, सिंचित और बारामाही फसलों में मुआवजा बढ़ाया गया है।
क्या है मुआवजे राहत राशि का प्रावधान RBC (6-4) के बारे में जानिए
MP Crop Subsidy प्राकृतिक प्रकोपों जैसे- अतिवृष्टि, ओलावृष्टि, बेमौसम बारिश, पाला, शीतलहर, कीट-इल्ली, टिड्डी प्रकोप आदि। इसी तरह बाढ़, आंधी, तूफान, भूकंप, सूखा एवं अग्नि दुर्घटनाओं से फसल नुकसानी, जनहानि या पशुहानी होती है।
ऐसे में किसानों को अप्रत्याशित नुकसानी झेलना पड़ती है। इन परिस्थितियों में शासन का यह दायित्व हो जाता है कि वह पीड़ितों को तत्काल अनुदान के रूप में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए। ताकि, विपदा का मुकाबला करने में पीड़ित व्यक्ति का मनोबल बना रहे। वह अपने परिवार को पुर्नस्थापित कर सके।
नुकसानी के सर्वे के लिए शासन MP Crop Subsidy ने राजस्व विभाग को जिम्मा दिया। विभाग के पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर से लेकर संभागायुक्त के पास सर्वे और सहायता राशि जारी करने का जिम्मा रहता है, जो कि जमीनी स्तर पर जाकर नुकसानी का आकलन करते हैं।
यदि क्षति हुई है, तो शासन द्वारा स्वीकृत एवं निर्धारित मानदंडों के आधार पर आर्थिक सहायता का प्रकरण MP Crop Subsidy बनाते हैं। प्रभावित व पीड़ितों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि को लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत दी गई समयावधि में जारी करना होता है।
अन्य फसलों क्या नुकसान पर यह मिलेगा मुआवजा
2 हेक्टेयर से कम के लिए मुआवजा ( MP Crop Subsidy )
- वर्षा आधारित : 25 से 33% पर 5500 , 33 से 50% पर 8500 एवं 50% से अधिक 17000 रूपए प्रति हैक्टेयर में।
- सिंचाई आधारित : 25 से 33% पर 9500 , 33 से 50% पर 16000 एवं 50% से अधिक 32000 रूपए प्रति हैक्टेयर में।
- बारहमासी : 25 से 33% पर 9500 , 33 से 50% पर 19000 एवं 50% से अधिक 32000 रूपए प्रति हैक्टेयर में।
6 महीने की अवधि ( MP Crop Subsidy )से पहले फसल क्षति पर :-
बारहमासी : 25 से 33% पर 16000 , 33 से 50% पर 21000 एवं 50% से अधिक 32000 रूपए प्रति हैक्टेयर में।
6 महीने की अवधि के बाद फसल क्षति पर :-
सब्जी, मसाले व ईसबगोल : 25 से 33% पर 19000 , 33 से 50% पर 27000 एवं 50% से अधिक 32000 रूपए प्रति हैक्टेयर में।
2 हेक्टेयर से ज्यादा के लिए मुआवजा ( MP Crop Subsidy )
- वर्षा आधारित : 25 से 33% पर 5000 , 33 से 50% पर 7300 एवं 50% से अधिक 14600 रूपए प्रति हैक्टेयर में।
- सिंचाई आधारित : 25 से 33% पर 7000 , 33 से 50% पर 14500 एवं 50% से अधिक 29000 रूपए प्रति हैक्टेयर में।
- बारहमासी : 25 से 33% पर 7000 , 33 से 50% पर 19000 एवं 50% से अधिक 32000 रूपए प्रति हैक्टेयर में।
6 महीने की अवधि से पहले फसल क्षति पर :-
बारहमासी : 25 से 33% पर 13000 , 33 से 50% पर 19000 एवं 50% से अधिक 32000 रूपए प्रति हैक्टेयर में।
6 महीने की अवधि के बाद फसल क्षति पर :-
सब्जी, मसाले व ईसबगोल : 25 से 33% पर 15000 , 33 से 50% पर 19000 एवं 50% से अधिक 32000 रूपए प्रति हैक्टेयर में।
किसानों को मुआवजा देने की यह है प्रक्रिया ( MP Crop Subsidy )
- जिला स्तर पर नुकसान के सर्वे के लिए राजस्व, कृषि, उद्यानिकी और पंचायत व ग्रामीण विकास विभाग के कर्मचारियों की टीम बनती है।
- पटवारी और कृषि विभाग के मैदानी अधिकारी नजरी सर्वे करते हैं। रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाती है। उसी के आधार पर नुकसान का प्रारंभिक आकलन होता है।
- कटाई के समय सर्वे टीम प्रभावित खेतों पर पहुंचती है। गांव में चार जगह फसल के एक हिस्से की कटाई कर उत्पादन की जांच करती है। इसे फसल कटाई प्रयोग कहते हैं।
- इसी की मदद से औसत उत्पादन निकालते हैं। सामान्य औसत उत्पादन से यह जितना कम होता है, उतना प्रतिशत नुकसान माना जाता है।
- इसी के आधार पर नुकसान की रिपोर्ट बनती है। रिपोर्ट को ग्राम पंचायत के नोटिस बोर्ड पर लगाकर दावे-आपत्ति मांगते हैं। ग्राम सभा की बैठक में भी रिपोर्ट पढ़कर सुनाने का प्रावधान है।
- तहसील-जिला स्तर पर दावा-आपत्ति की सुनवाई के बाद अंतिम सूची जारी होती है। उसी के आधार पर मुआवजा बनता है।
- राज्य सरकार ( MP Crop Subsidy )से इसी आधार पर जिले के लिए मुआवजे की रकम मंजूर होती है। रकम जिला कोषालय में भेजी जाती है। प्रशासन इसे संबंधित किसानों के खाते में भेजता है।
गाय-भैंस, मुर्गा-मुर्गी, ऊंट-बकरी को भी मदद
MP Crop Subsidy प्राकृतिक प्रकोप से यदि पशुहानि होती है तो इसके लिए भी आर्थिक सहायता का प्रावधान आरबीसी में है। दूधारू गाय, भैंस, ऊंट के लिए 30 हजार रूपए तथा भेड़, बकरी और सुअर के लिए 3 हजार रूपए निर्धारित है। गाय-भैंस के बछड़े से लेकर गधा, पोनी और खच्चर के लिए 16 हजार रूपए, घोड़े के लिए 10 हजार रूपए की सहायता है। मुर्गा-मुर्गी के लिए 60 रूपए और चूजा के लिए 20 रूपए है।
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