सोयाबीन में फैलने वाला पीला मोजेक वायरस क्या है? कैसे फैलता है? इससे फसल को कैसे बचाएं, जानिए

सोयाबीन की फसल में पीला मोजेक वायरस की संभावना बढ़ गई है। इस रोग व इसके Soybean me pila mojak virus niyantran नियंत्रण के बारे में जानिए…

Soybean me pila mojak virus niyantran : सोयाबीन खरीफ सीजन की प्रमुख फसल है। इस वर्ष खरीफ सीजन की शुरुआत से लेकर अब तक लगातार पानी गिरने से सोयाबीन की फसल कमजोर दिखाई दे रही है। किसान खरपतवार नियंत्रण के पश्चात अब रोग नियंत्रण पर ध्यान दे रहे हैं।

इस बीच मध्य प्रदेश राजस्थान एवं महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में सोयाबीन की अर्ली वैरायटी 9560 एवं 2034 में पीला मोजेक रोग दिखाई देने लगा है। यह रोग कैसे फैलता है एवं इसके नियंत्रण Soybean me pila mojak virus niyantran के क्या-क्या उपाय हैं, आइए जानते हैं।

पीला मोजेक रोग क्या है, जानिए

पीला मोजेक रोग Soybean me pila mojak virus niyantran (वायरस) एक प्रकार का वायरस है यह अधिकांशतः सोयाबीन की फसल में फैलता है। इस वायरस के संक्रमण के कारण अचानक फसल के पौधे सूखकर नष्ट हो जाते हैं। भारी बरसात के पश्चात अब अचानक से इंदौर उज्जैन भोपाल संभाग में यह रोग अधिक फेल रहा है। लगातार पानी गिरने की दशा में यह रोग अधिक फैलता है, कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रोग फैलने की शुरुआत फसल के निचले पत्तों से होती है

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पीला मोजेक रोग के लक्षण जानिए

पीला मोजेक रोग में सोयाबीन Soybean me pila mojak virus niyantran के पत्ते पीले पड़ने लगते हैं यह संक्रमण एक पौधे से दूसरे पौधे तक आसानी से फैलता है इससे पूरे खेत के खेत तबाह हो जाते हैं। सफेद मक्खियाँ खुले खेतों और ग्रीनहाउसों की कई फसलों में आम हैं। लार्वा और वयस्क पौधे के रस का सेवन करते हैं और पत्ती की सतह, तने और फलों पर मधुरस या हनीड्यू छोड़ते हैं।

सफेद मक्खी से सोयाबीन की पत्तियों पर पीले धब्बे व राख जैसी फफूंद प्रभावित ऊतकों पर बन जाती है। यह रोग फैलने से पत्तियां विकृत हो सकती हैं, घुमावदार हो सकती हैं या प्याले का आकार ले सकती हैं। यह काली, मोटी फफूँदी विकसित हो जाती है।

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पीला मोजेक रोग कैसे फैलता है, जानिए

पीला मोजेक रोग Soybean me pila mojak virus niyantran फैलाने के लिए प्रमुख रूप से सफेद मक्खी जिम्मेदार रहती है। भारी वर्षा एवं जल जमाव की स्थिति के पश्चात मौसम खुलने पर हल्की सी गर्माहट से यह मक्खी तेजी से विकसित होती है। सफेद मक्खी फसल के पत्तों पर लार्वा देती है, इससे भारी मात्रा में सफेद मक्खियां पनप जाती है। यह वायरस किसानों की मेहनत पर पानी फेर देता है, क्योंकि इसका संक्रमण तेज गति से फैलता है इससे किसान को सोयाबीन की फसल बचाने का मौका ही नहीं मिल पाता है।

पीला मोजेक रोग Soybean me pila mojak virus niyantran फैलाने वाली सफेद मक्खी एक विनाशकारी कीट है, इसके एक बार फसल में लगने से यह पूरे खेत में फैल जाता है। यह बहुभोजी कीट पत्तियों का रस चूसते है। जिससे की पत्तियां प्याले के आकार में मुड़ जाती है और पीली पड़ जाती है। यह कीट ही पीला मोजेक रोग को पूरे खेत में फैलाता है। इस रोग की रोकथाम जल्दी करनी चाहिए।

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किसान पीला मोजेक रोग के नियंत्रण के लिए यह करें

पीला मोजेक Soybean me pila mojak virus niyantran के नियंत्रण हेतु रोग ग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा रोग फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए उपरोक्त दी गई दवाओं का उपयोग करें। वैज्ञानिकों ने बताया कि खेत में सफेद मक्खी हैं तो ऐसी स्थिति में केवल थायमिथोक्सोजाम 25 डब्ल्यू.जी. 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ उपयोग करें।

वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को उपरोक्त कीटों एवं बीमारियों से बचाव के लिए सलाह दी गई। वैज्ञानिकों ने बताया कि तनामक्खी, चक्रभृंगव सफेद/ हरे मच्छर के नियंत्रण हेतु टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. 250 एम.एल. या थायक्लोरप्रिड 21.7 एस.सी. 750 एम.एल. या लेम्डासायहेलोथ्रिन + थायमिथोक्सोजाम 125 ग्राम. याबीटासायफ्लूथ्रिन + इमिडाक्लोरपिड 350 एम.एल. प्रतिहेक्टेयर का 500 लीटर पानी के साथ उपयोग करें।Soybean me pila mojak virus niyantran

पत्ती खाने वाली इल्ली, हरी अर्द्ध कुंडल इल्ली, तंबाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली की रोकथाम के लिए स्पाइनेटोरम 11.7 एस.सी. 450 एम.एल. प्रति हेक्टेयर या प्रोपेनोफॉस 50 ई.सी. 1.25 ली. याइमा बेक्टिनबेंजोएट 5 एस.जी. 300 ग्राम या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250 एम.एल. /हेक्टेयर) या इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. 350 एम.एल. या फ्लूबेंडियामाइड 150 एम.एल. या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. 150 एम.एल. प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

फफूंद जनित एन्थ्रेकनोज नामक बीमारी के नियंत्रण Soybean me pila mojak virus niyantran हेतु टेबूकोनाझोल 625 मिली. या टेबूकोनाझोल + सल्फर 1 किग्रा. या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 प्रतिशत डब्ल्यू.जी. 500 ग्रामयापायरोक्लोस्ट्रोबीन + इपिक्साकोनाजोल 50 जी/एल एस.ई (750 एम.एल. प्रति हेक्टेयर) या हेक्साकोनोझोल 5 प्रतिशत ईसी. 800 मिली. प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।

घोंघा/ स्नेल की रोकथाम के लिए खेत के किनारे झाडि़यों में 10 प्रतिशत नमक के घोल का छिड़काव करें और खड़ी फसल में डायफिनोथ्यूराम 50 डब्ल्यू.पी. 800 ग्राम/हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें तथा इसके साथ-साथ घोंघा को इकट्ठा करके कीट नाशकयुक्त या नमक युक्त पानी में डालकर समय-समय परनष्टकरतेरहनाचाहिए ताकिइनकी संख्या को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है और इनकी रोकथाम Soybean me pila mojak virus niyantran के लिए ब्लीचिंग पाउडर का भुरकाव खेत के किनारे पर झाडि़यों में करना चाहिए।

अफलन की समस्या के सुधार के लिए घुलनशील बोरोन 500 ग्राम + चिलेटेडलोहा (आयरन) 500 ग्राम + चिलेटेड कैल्शियम 500 ग्राम या मैंकोजेब + कार्बंडाजिब 1.25 किग्रा. 500 लीटरपानी के साथ प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। 10 दिन बाद दुबारा दोहरायें तो काफी हद तक नुकसान को कम करने में आसानी होगी।Soybean me pila mojak virus niyantran

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