सोयाबीन में ज्यादा नमी से लग रही एंथ्रोक्रनोज बीमारी, उपज पर पड़ेगा असर, नियंत्रण के लिए यह दवाई डाले

Soyabean me anthracnose Rog : मध्यप्रदेश, राजस्थान, और महाराष्ट्र में देखा गया एंथ्रोक्रनोज बीमारी का प्रकोप, जल्द करें यह उपाय..

Soyabean me anthracnose Rog | मालवा के पीले सोने में अब एंथ्रोक्रनोज बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगे है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, और महाराष्ट्र के कुछ जिलों में एंथ्रोक्रनोज बीमारी का प्रकोप है। खासकर इस बीमारी से सोयाबीन के पौधे मुरझाकर नीचे गिर जाते है। जिससे पौधे की बड़वार रुक जाती है एवं इसका सीधा असर फसल की उपज पर पड़ता है।

एंथ्रोक्रनोज बीमारी Soyabean me anthracnose Rog का संक्रमण एक छोटे से हिस्से से शुरू होता है। जो बाद में पूरे खेत में फैल जाता है। यदि जल्द ही बीमारी की पहचान कर ले। आर्टिकल में एंथ्रोक्रनोज बीमारी के लक्षण एवं इसके लिए दवाई कौन सी डालें इत्यादि सभी जानकारी दी गई है। सभी जानकारी जानने के लिए लेख को अंत तक पढ़ें…

सोयाबीन में लगने वाला एन्थ्राक्नोज़ रोग : Soyabean me anthracnose Rog

यह बीमारी कोलेटोट्राइकम ट्रंकेटम नाम के फफूंद से फैलती है तथा वातावरण में लगातार वर्षा एवं अधिक नमी होने पर ज्यादा प्रकोप करती है । इसका फफूंद बीज, भूमि व ग्रसित पौधों के अवशेषों में जीवित रहता है। इससे उगने वाले बीज के बीजपत्रों पर गहरे भूरे रंग के धब्बे विकसित होते है। इस रोग का संक्रमण फसल की सभी अवस्थाओं में देखा जा सकता है लेकिन इसके लक्षण साधारणतया फूल- दाने भरते समय तना, पर्णवृन्त व फलियों पर गहरे भूरे रंग के किसी भी आकार के धब्बे के साथ पीलेपन के रुप में प्रकट होते है।

एन्थ्राक्नोज़ रोग के बारे में जरूरी बातें

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक एन्थ्राक्नोज़ रोग Soyabean me anthracnose Rog में फसल की पत्तियों पर छोटे-छोटे काले धब्बे बन जाते हैं जिसके कारण पत्तियाँ झड़ने लगती हैं। किस रोग की उच्चतम अवस्था में पत्तियों के मध्य की शिराएं काली पड़ जाती है। उग्र अवस्था में शाखाएं शीर्ष से नीचे की तरफ सूखने लगती हैं। आमतौर पर देखने में आता है कि यह रोग मिर्ची की फसल को अधिक प्रभावित करता है किंतु अधिक पानी गिरने के कारण सोयाबीन की फसल को भी नुकसान पहुंचाने लगा है। 

एंथ्रोक्रनोज बीमारी का वीडियो देखें 👇👇

बाद में यह धब्बे फफूंद की काली संरचनाओं से ढ़क जाते है तब इन्हें खुली आंखों से भी देखा जा सकता है। पत्तियों की पिछली सतह की शिराओं का पीला-भूरा होना, पत्तियों का मूड़ना व झड़ना भी इसी बीमारी Soyabean me anthracnose Rog का लक्षण है। इस रोग के संक्रमण से फलियों पर छोटे-छोटे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है जो बाद में फलियों को पीली स भूरे रंग में परावर्तित कर बीज सिकुड़ जाता है जो कि अंकुरण योग्य नहीं होता। कभी-कभी पत्तियां हरी होने पर भी फलियां भूरी होने के लक्षण दिखाई देते है।

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सोयाबीन में लगने वाले एन्थ्राक्नोज़ रोग के लक्षण

Soyabean me anthracnose Rog: एन्थ्राक्नोज़ प्रायः बिना किसी लक्षण के सोयाबीन के तने, फलियों और पत्तियों को संक्रमित कर सकता है। हो सकता है कि लक्षण सिर्फ़ प्रजनन विकास की अवस्था में ही दिखाई दें। जब मौसम गर्म और नम होता है, तनों और फलियों पर असामान्य छोटे काले धब्बे दिखने लगते हैं।

सोयाबीन मैं होने वाले यह धब्बे छोटे काले धब्बों से स्वयं भी ढके हो सकते हैं। पत्तियां मुड़ने लगती हैं और शिराएं भूरी हो जाती हैं। बहुत अधिक संक्रमित फलियों में छोटे, फफूंद लगे हुए बंजर बीज पैदा होते हैं। छोटे पौधों में जल्द हुए संक्रमण Soyabean me anthracnose Rog से वे मर जाते हैं। पत्तीयों पर शिराओं का पीला-भूरा होना, मुड़ना एवं झड़ना इस बीमारी के लक्षण है ।

एन्थ्राक्नोज़ बीमारी के लिए यह दवाई छिड़के

इस बीमारी के नियंत्रण के लिये बौवनी के समय अनुशंसित रसायनों के साथ बीजोपचार अवश्य करें। अगर आपके खेत या प्लॉट में इस प्रकार का कोई पौधा दिखे तो उसको निकालकर खेत से बाहर करे ताकि वह वही कंट्रोल हो जाएं। यदि संक्रमण पूरे खेत में फेल गया है तो उसके लिए दवाई का उपयोग करें।

Soyabean me anthracnose Rog सोयाबीन में इस बीमारी का प्रकोप होने पर इसकी प्रारंभिक अवस्था में जब पत्तियों की पिछली सतह की शिराएं भूरी पड़ने पर थायोफिनेट मिथाईल 2 ग्राम / ली. पानी या टेबूकोनाझोल 1.25 मिली. / ली. पानी या टेबूकोनाझोल + सल्फर / 2 ग्रा / ली. पानी या हेक्साकोनाझोल 5 ईसी 1.6 मिली. / लीटर की दर से या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 ईसी 1 ग्रा / ली. पानी के साथ ( 500 लीटर पानी / हे.) फसल Soyabean me anthracnose Rog पर छिड़काव करने की सलाह है।

नोट : – खेती किसानी में रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल करने के पहले उन पर दिए गए निर्देशों को जरूर पढ़ें। कृषि विशेषज्ञ की राय लें। किसी भी अप्रिय स्थिति के लिए चौपाल समाचार जिम्मेदार नहीं रहेगा।

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