एमपी के बाद महाराष्ट्र में सोयाबीन की खेती अधिक होती है यहां पर केडीएस सोयाबीन में Pila mosaic in kds Soybean का अटैक आया है यह करें किसान..
Pila mosaic in kds Soybean | खरीफ फसलों में सोयाबीन की फसल प्रमुखता से बोई जाती है इस वर्ष सोयाबीन की फसल पर संकट के बादल छाए हुए हैं। मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल अगस्त महीने में सुखे एवं सितंबर माह में लगातार बारिश के कारण लगभग आधी खराब हो चुकी है।
मध्य प्रदेश में सोयाबीन की कटाई का काम चल रहा है। एमपी में सोयाबीन की अर्ली वैरायटीयां बोई जाती है। जबकि महाराष्ट्र में सोयाबीन की लेट वैरायटी केडीएस को बोया जाता है। यहां पर सोयाबीन की पिछली वैरायटी केडीएस लगभग 120 दिन की अवधि वाली सोयाबीन को किस बोते हैं।
महाराष्ट्र में सोयाबीन 85 से 90 दिन की अवधि का हो गया है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक सोयाबीन की यह अवस्था महत्वपूर्ण रहती है, इस दौरान फली में दानों का विकास होता है। इस अवस्था में यदि सोयाबीन की फसल पर बीमारी, लगातार बारिश के कारण फफूंद एवं पानी की कमी के कारण नमी नहीं होने पर विपरीत असर पड़ता है। जिसके चलते दानों का पर्याप्त विकास पर्याप्त नहीं हो पाता और पैदावार पर बुरा असर पड़ता है। Pila mosaic in KDS Soybean
पीले मोजैक से बचाव के लिए तत्काल उपाय करना जरुरी
एमपी में मौसम की मार के कारण सोयाबीन की फसल पर बहुत बुरा असर पड़ा, यही कुछ अब महाराष्ट्र में भी दिखाई देने लगा है, यहां पर केडीएस सोयाबीन की वैरायटी में पीले मोजैक का भयंकर अटैक हुआ है। जिसके कारण सोयाबीन 85 से 90 दिन की अवस्था में पीली पड़ गई है।
पीले मोजैक संक्रमण Pila mosaic in KDS Soybean से बचाव के लिए किसानों को समय रहते तत्काल उपाय करने की आवश्यकता है। अन्यथा यह संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है और सोयाबीन की फसल को पूरी तरह चौपट कर देता है। इस आर्टिकल के द्वारा हम जानते हैं की पीला मोजैक क्या है एवं इससे बचाव के क्या-क्या तरीके हैं..
महाराष्ट्र में क्यों फैला पीला मोजक
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पीला मोजक Pila mosaic in KDS Soybean देरी से बुवाई होने के कारण फैलता है। शुरुआत में यह कुछ इलाकों में मिलता है एवं धीरे-धीरे सब जगह फैल जाता है। जिसके कारण फसल पीली पड़ जाती है। एक रात में हरी दिखने वाली सोयाबीन की फसल अगले दिन पीली होकर सूखने की कगार पर पहुंच जाती है। यह स्थिति लगभग महाराष्ट्र के सभी जिलों में देखने को मिल रही है। इस रोग के प्रकोप के कारण महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में रातों-रात पीली पड़ने लगी।
जिले के सभी हिस्सों में यही स्थिति होने से उत्पादन घटने की आशंका से किसान भयभीत हैं। महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में सबसे ज्यादा साढ़े चार लाख हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों ने सोयाबीन की बुआई की है। पिछले कुछ वर्षों में, किसानों ने नकदी फसल के रूप में सोयाबीन की ओर रुख किया है। लेकिन मौसम की अनियमितता के कारण किसानों को अब विपरीत स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। Pila mosaic in KDS Soybean
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पीला मोजेक वायरस रोग व इसके नियंत्रण के बारे में जानिए
पीला मोजेक रोग (वायरस) एक प्रकार का वायरस है यह अधिकांशतः सोयाबीन की फसल में फैलता है। इस वायरस के संक्रमण के कारण अचानक फसल के पौधे सूखकर नष्ट हो जाते हैं। यह रोग लगातार पानी गिरने के बाद मौसम में अचानक सूखापन आने के कारण फैलने लगता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रोग फैलने की शुरुआत फसल के निचले पत्तों से होती है Pila mosaic in KDS Soybean
पीला मोजेक रोग के लक्षण
Pila mosaic in KDS Soybean पीला मोजेक रोग में सोयाबीन के पत्ते पीले पड़ने लगते हैं यह संक्रमण एक पौधे से दूसरे पौधे तक आसानी से फैलता है इससे पूरे खेत के खेत तबाह हो जाते हैं। सफेद मक्खियाँ खुले खेतों और ग्रीनहाउसों की कई फसलों में आम हैं। लार्वा और वयस्क पौधे के रस का सेवन करते हैं और पत्ती की सतह, तने और फलों पर मधुरस या हनीड्यू छोड़ते हैं।
सफेद मक्खी से सोयाबीन की पत्तियों पर पीले धब्बे व राख जैसी फफूंद प्रभावित ऊतकों पर बन जाती है। यह रोग फैलने से पत्तियां विकृत हो सकती हैं, घुमावदार हो सकती हैं या प्याले का आकार ले सकती हैं। यह काली, मोटी फफूँदी विकसित हो जाती है। Pila mosaic in KDS Soybean
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कैसे फैलता है पीला मोजेक रोग
पीला मोजेक रोग फैलाने Pila mosaic in KDS Soybean के लिए प्रमुख रूप से सफेद मक्खी जिम्मेदार रहती है। भारी वर्षा एवं जल जमाव की स्थिति के पश्चात मौसम खुलने पर हल्की सी गर्माहट से यह मक्खी तेजी से विकसित होती है। सफेद मक्खी फसल के पत्तों पर लार्वा देती है, इससे भारी मात्रा में सफेद मक्खियां पनप जाती है। यह वायरस किसानों की मेहनत पर पानी फेर देता है, क्योंकि इसका संक्रमण तेज गति से फैलता है इससे किसान को सोयाबीन की फसल बचाने का मौका ही नहीं मिल पाता है।
पीला मोजेक रोग Pila mosaic in KDS Soybean फैलाने वाली सफेद मक्खी एक विनाशकारी कीट है, इसके एक बार फसल में लगने से यह पूरे खेत में फैल जाता है। यह बहुभोजी कीट पत्तियों का रस चूसते है। जिससे की पत्तियां प्याले के आकार में मुड़ जाती है और पीली पड़ जाती है। यह कीट ही पीला मोजेक रोग को पूरे खेत में फैलाता है। इस रोग की रोकथाम जल्दी करनी चाहिए।
पीला मोजेक रोग के नियंत्रण के लिए किसान यह करें
Pila mosaic in KDS Soybean पीला मोजेक के नियंत्रण हेतु रोग ग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा रोग फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए उपरोक्त दी गई दवाओं का उपयोग करें। वैज्ञानिकों ने बताया कि खेत में सफेद मक्खी हैं तो ऐसी स्थिति में केवल थायमिथोक्सोजाम 25 डब्ल्यू.जी. 100 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ उपयोग करें।
फफूंद जनित एन्थ्रेकनोज नामक बीमारी के नियंत्रण हेतु टेबूकोनाझोल 625 मिली. या टेबूकोनाझोल + सल्फर 1 किग्रा. या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 प्रतिशत डब्ल्यू.जी. 500 ग्रामयापायरोक्लोस्ट्रोबीन + इपिक्साकोनाजोल 50 जी/एल एस.ई (750 एम.एल. प्रति हेक्टेयर) या हेक्साकोनोझोल 5 प्रतिशत ईसी. 800 मिली. प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। Pila mosaic in KDS Soybean
घोंघा/ स्नेल की रोकथाम के लिए खेत के किनारे झाडि़यों में 10 प्रतिशत नमक के घोल का छिड़काव करें और खड़ी फसल में डायफिनोथ्यूराम 50 डब्ल्यू.पी. 800 ग्राम/हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें तथा इसके साथ-साथ घोंघा को इकट्ठा करके कीट नाशकयुक्त या नमक युक्त पानी में डालकर समय-समय परनष्टकरतेरहनाचाहिए ताकिइनकी संख्या को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है और इनकी रोकथाम के लिए ब्लीचिंग पाउडर का भुरकाव खेत के किनारे पर झाडि़यों में करना चाहिए। Pila mosaic in KDS Soybean
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