जानें, इस लीफ माइनर रोग (Diseases in mustard) की पहचान, लक्षण एवं बचाव/नियंत्रण के लिए क्या करना होगा..
Diseases in mustard | रबी सीजन की फसलों में गेहूं बाद सरसों का प्रमुख स्थान है। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश सहित कई राज्यों में सरसों की खेती की जाती है। सरसों की फसल अब 50 से 60 दिनों की हो गई है। सरसों में फूल आने लगे है। लेकिन इसी बीच सरसों में घातक लीफ माइनर रोग का प्रकोप देखा जा रहा है। बता दे की, राजस्थान के करौली जिले में इस रोग का प्रकोप देखा गया था।
यह रोग जिले के कई इलाकों की सरसों फसल में फैल गया है। किसानों के बीच यह रोग चिंता का विषय बन गया है। अगर समय रहते इस रोग Diseases in mustard पर ध्यान नहीं दिया तो, फसल नुकसान की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में यदि आपने भी सरसों की बुवाई की है तो, इस रोग के बारे में अवश्य जान ले, किसान भाई किस तरह यह रोग की पहचान कर सकेंगे एवं इसके बचाव के लिए क्या क्या उपाय अपनाने चाहिए, जानें आर्टिकल में पूरी जानकारी..
सरसों में लीफ माइनर रोग की पहचान
Diseases in mustard | सरसों का लीफ माइनर कीट दिखने में छोटी मक्खी जैसा होता है। यह अपने अंडे सरसों के पौधों की पत्तियों की सतह पर छोड़ देता है। कुछ समय बाद इसमें से छोटे कीट पत्तियों में सुरंग बना देते हैं और फिर पत्तियों में सर्पाकार धारियां बन जाती है।
धीरे-धीरे यह फसल के दानों पर अपना असर दिखाना शुरू कर देता है। इससे तेल की मात्रा पर प्रभाव पड़ता है। बता दें कि लीफ माइनर कीट Diseases in mustard सरसों की फसल को काफी नुकसान पहुंचाता है, इसके प्रकोप से सरसों की पैदावार पर असर पड़ता है। समय रहते ध्यान नहीं दिया तो यह सरसों को फसल के लिए घातक साबित हो सकता है।
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सरसों में लीफ माइनर रोग के लक्षण
Diseases in mustard/लीफ माइनर कीट का असर फसल की बुवाई से लेकर कटाई तक बना रहता है। यह कीट सरसों के पौधों की पत्तियों मे सुरंग बनाकर ऊतकों को खाता है। इससे सरसों की पत्तियों में सफेद लाइन बन जाती है और इससे क्लोरोफिल नहीं बन पाता है। इससे सरसों का उत्पादन कम हो जाता है। वहीं इस कीट के प्रकोप के कारण सरसों का दाना कमजोर बनने के कारण तेल की मात्रा भी कम हो जाती है।
लीफ माइनर कीट से सरसों की फसल को बचाने के उपाय
लीफ माइनर कीट (Diseases in mustard) से ग्रसित पत्तियों को तोड़कर जला देना चाहिए जिससे उनमें रहने वाले लार्वा या प्यूपा मर जाए। इसके लिए किसान यांत्रिक विधियों को अपना सकते हैं। इसके अलावा इसके प्रकोप को रोकने लिए कीटनाशक रसायन का प्रयोग भी किया जा सकता है। इसके लिए डाइमेथोएट एक एमएल प्रति लीटर, लेम्डासाइहेलोथी एक लीटर प्रति एमएल, साइबरमैथ्रीरीन एक एमएल प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।
इसके अलावा आप फैनवेलरेट पाउडर 6 किलो प्रति बीघा भुरकाव इस कीट के प्रकोप से बचाव के लिए फसल पर कर सकते हैं। किसानों को सलाह है कि Diseases in mustard के लिए फसल पर किसी भी कीटनाशक का प्रयोग करने पहले अपने निकटतम कृषि विभाग से संपर्क करके कृषि विशेषज्ञों देखरेख या सुझाव के बाद ही दवा का इस्तेमाल करें।
सरसों में अन्य कीट–रोगों का नियंत्रण ऐसे करें..
Diseases in mustard | सरसों कुल की फसलों पर लगभग तीन दर्जन से भी अधिक हानिकारक कीटों का आक्रमण होता है। इसमें माहूँ एवं आरा मक्खी मुख्य कीट हैं। माहूं कीट लगभग 35 से 70 प्रतिशत तक उपज मे हानि एवं 5 10 प्रतिशत तक तेल की प्राप्ति मे कमी करता है।
जब कीट का प्रकोप औसतन 25 कीट Diseases in mustard प्रति पौधा या 10 प्रतिशत पौधों पर हो जाए, तो निम्न से किसी एक कीटनाशक का प्रयोग जैसे इमिडाक्लोरोप्रिड (17.8 प्रतिशत) का 20–25 ग्राम या मोनोक्रोटोफ़ास 35 डब्ल्यू.एस.सी. सक्रिय तत्व/हेक्टेयर या डाइमेथोएट 30 ई.सी. या मिथाइल डिमेटान 25 ई.सी. या क्यूनलफाँस 25 ई.सी. या फाँस्फोमिडान 85 डब्ल्यू.एस.सी. 250 मि.ली. या थायमिडान 25 ई.सी. 1000 मि.ली. प्रति हैक्टेयर की दर से 600–800 लीटर पानी मे घोल बनाकर छिड़काव करें।
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