Agriculture news : एमपी के 8 जिले सूखे की चपेट में आ गए हैं। इन जिलों में पानी नहीं गिरने से फसल बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गई है।
Agriculture news : मध्य प्रदेश में मानसून ने 26 जून को दस्तक दी थी। तब से लेकर अब तक प्रदेश के कई जिलों में अच्छी बारिश हुई। कुछ जिलों में बारिश के कारण फसलों को नुकसान हुआ। वहीं प्रदेश के कुछ ऐसे भी जिले हैं जहां पर बारिश बहुत ही कम हुई। जिसके कारण अब फसलें बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गई है।
बहुत कम बारिश वाले जिलों में नीमच एवं मंदसौर सम्मिलित है। इसके साथ प्रदेश के सतना, अशोक नगर, बड़वानी, ग्वालियर, खंडवा, खरगोन जिलों में भी बहुत कम बारिश हुई। कम बारिश के दौरान फसलों को काफी नुकसान होने की संभावना है। Agriculture news ऐसे में किसान साथियों को क्या करना चाहिए एवं प्रदेश में आगे मौसम की क्या स्थिति रहेगी आइए जानते हैं…
प्रदेश में इस तारीख तक वर्षा होने के आसार कम
वर्तमान में मध्य प्रदेश के मौसम को प्रभावित करने वाली कोई भी मौसम प्रणाली सक्रिय नहीं है। इस वजह से मध्य प्रदेश में मानसून की गतिविधियों में कमी आने लगी है। हालांकि वातावरण में बड़े पैमाने में नमी रहने के कारण कहीं-कहीं छिटपुट बौछारें पड़ रही हैं। Agriculture news
मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में मध्य प्रदेश के मौसम को प्रभावित करने वाली कोई भी मौसम प्रणाली सक्रिय नहीं है। इस वजह से अब धीरे-धीरे बादल छंटने लगे हैं। कहीं-कहीं हल्की धूप निकलने लगी है। इस वजह से दिन के तापमान में भी बढ़ोतरी होने लगेगी।
Agriculture news मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार के पास हवा के ऊपरी भाग में बना चक्रवात काफी कमजोर पड़ने के साथ बांग्लादेश की तरफ चला गया है। मानसून ट्रफ भी हिमालय की तलहटी में पहुंच गई है। हालांकि पाकिस्तान और उससे लगे जम्मू कश्मीर पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात मौजूद है। गुजरात और उसके आसपास भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है।
बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर में भी अभी कोई मौसम प्रणाली सक्रिय नहीं है। वर्तमान में हवा का रुख लगातार पश्चिमी बना हुआ है। इससे हवाओं के साथ आ रही नमी के कारण बादल बने हुए हैं। तापमान बढ़ने की स्थिति में स्थानीय स्तर पर कहीं-कहीं हल्की बौछारें भी पड़ सकती हैं। Agriculture news
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ऐसा मौसम 15 अगस्त तक रहेगा
Agriculture news मौसम विज्ञानियों के मुताबिक 15 अगस्त तक मौसम का मिजाज इसी तरह बना रह सकता है। इस दौरान आंशिक बादल बने रहेंगे। धूप निकलने के कारण तापमान बढ़ने पर कहीं-कहीं बौछारें भी पड़ सकती हैं। उधर, बुधवार को सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक उज्जैन एवं धार में 0.2 मिलीमीटर वर्षा हुई।
सोयाबीन की फसल बर्बाद होने की कगार पर
मध्य प्रदेश के सतना, अशोकनगर, बड़वानी, ग्वालियर, खंडवा, खरगोन, नीमच एवं मंदसौर जिलों में सबसे कम 16 इंच से कम बारिश हुई है। जिसके कारण फैसले सूखने लगी है। खासकर सोयाबीन की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सोयाबीन फसल की जड़ें उथली रहती है जिसके कारण अब जड़ सूखने लगी है, जिससे सोयाबीन के पौधे मुरझाने लगे हैं। Agriculture news
4 से 5 दिनों की अवधि में फसलों को यदि पानी नहीं मिलता है तो पैदावार बहुत कम होगी। देखा जाए तो इधर देखा जाए तो प्रदेश में 15 जून से अब तक ओवरऑल 11% बारिश ज्यादा हो चुकी है। प्रदेश में सबसे कम बारिश वाले जिलों में शामिल मंदसौर जिले में अब तक औसत 379 एमएम बारिश दर्ज हुई है। यह जिले की औसत औसत बारिश की 46 फीसदी है। जिले की औसत बरसात 826.5mm है। कुल मिलाकर इस बार आधा श्रावण बीत जाने के बाद भी नदी तालाब कुएं खाली है।
IMD भोपाल के अनुसार पूर्वी हिस्से में अभी भी औसत 14% तक बारिश ज्यादा हुई है, जबकि पश्चिमी हिस्से में 9% ज्यादा बारिश हो चुकी है। प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में बारिश का आंकड़ा 35.63 इंच तक पहुंच चुका है। वहीं, सिवनी-मंडला में 32 इंच या इससे ज्यादा बारिश हो गई है। इंदौर, जबलपुर, अनूपपुर, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, शहडोल, नर्मदापुरम और रायसेन में आंकड़ा 28 इंच या इससे ज्यादा पानी गिर चुका है। बालाघाट, कटनी, पन्ना, उमरिया, बैतूल, भिंड, देवास, हरदा, रतलाम, सीहोर और विदिशा में 24 इंच के पार आंकड़ा पहुंच गया है। Agriculture news
अब तो लोकल सिस्टम से बारिश की उम्मीद
Agriculture news कम बारिश वाले जिलों में बारिश के लिए अब प्रार्थनाओं का दौर शुरू हो गया है। मंदसौर जिले के सीतामऊ तहसील के ग्राम सेमलिया रानी के किसान राधेश्याम पाटीदार ने बताया कि क्षेत्र में सोयाबीन की फसल सूखने की कगार पर है।
उधर मौसम जानकारों के अनुसार फिलहाल प्रदेश में कोई सिस्टम एक्टिव नहीं है लिहाजा अगले पांच छह दिनों तक बारिश की संभावना नही बन रही। हालांकि लोकल सिस्टम एक्टिव होने से कही कही बारिश हो सकती है, लेकिन तेज बारिश नही होगी। नया सिस्टम एक्टिव होने के बाद ही प्रदेश में फिर बारिश शुरू होगी। Agriculture news
बारिश नहीं होने पर किसान फसल बचाने के लिए यह करें
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जिन जिलों में सबसे कम बारिश हुई है एवं बारिश के कारण पौधे मुरझाने लगे हैं वहां पर किसान रासायनिक दवाइयों एवं उर्वरकों का इस्तेमाल नहीं करें। हालांकि इस दौरान पोषक तत्व / टानिक फसलों को दे सकते हैं। सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि किसान अपने खेतों में ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर, इत्यादि के माध्यम से पर्याप्त मात्रा मेंनमी बनाएं रखे। Agriculture news
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