एमपी में किसानों को नरवाई जलाने पर देना होगा 15 हजार रुपए का जुर्माना। इंदौर में 16 अप्रैल तक चलेगा जागरूकता अभियान (Awareness Campaign)
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Awareness Campaign | मध्यप्रदेश में पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए प्रशासन ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। दरअसल, प्रदेश में नरवाई जलाने एवं पर्यावरण प्रदूषण करने पर किसानों से जुर्माना वसूला जाएगा।
इंदौर जिले में गेहूं की कटाई के बाद फसल अवशेष (नरवाई) को जलाने से रोकने के लिए विशेष अभियान शुरू किया गया है। कलेक्टर आशीष सिंह ने प्रचार रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
यह रथ जिले के सभी विकासखंडों की ग्राम पंचायतों में जाएगा। कृषि विभाग के अनुसार, नरवाई जलाने से पर्यावरण में प्रदूषण फैलता है। साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। : Awareness Campaign
इसलिए 5 से 16 अप्रैल तक हर ग्राम पंचायत में किसान संवाद कार्यक्रम होंगे। इनमें कृषि विभाग के अधिकारी, पटवारी और पंचायत सचिव मौजूद रहेंगे। मध्य प्रदेश सरकार ने नरवाई जलाने पर दंड का प्रावधान किया है।
किसानों को कितना देना होगा जुर्माना | Awareness Campaign
बता दें की, 2 एकड़ तक की जमीन वाले किसानों को 2,500 रुपए प्रति घटना जुर्माना देना होगा। 2 से 5 एकड़ तक की जमीन वालों को 5,000 रुपए और 5 एकड़ से अधिक जमीन वालों को 15,000 रुपए प्रति घटना का दंड भरना होगा।
कृषि विभाग किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन की तकनीकी जानकारी भी देगा। अधिकारियों का कहना है कि नरवाई को खेत में ही गलने देना या अन्य तरीकों से इसका प्रबंधन करना खेती के लिए फायदेमंद है। : Awareness Campaign
नरवाई जलाने से होती है हानियां
Awareness Campaign | उप संचालक कृषि सीएल केवड़ा ने बताया- खेत में गेहूं एवं अन्य फसलों के अवशेषों को जलाने से अनेक हानियां होती है। जमीन में उपस्थित लाभदायक सूक्ष्म जीवाणु केंचुए नष्ट हो जाते हैं, जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती है।
भूमि कठोर हो जाती है, जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम हो जाती है। नरवाई में आग लगाने से आसपास की खड़ी फसलों में आग लगने से एवं जन/धन हानि की आशंका रहती है। पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है। वातावरण के तापमान में वृद्धि होती है, जिससे धरती गर्म होती है।
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नरवाई प्रबंधन के आसान उपाय | Awareness Campaign
स्ट्रॉरीपर (भूसा मशीन) से भूसा बनाया जा सकता है। वेलर मशीन द्वारा बेल बनाकर कागज उद्योग, बायो मॉस डेयरी में भूसा की पूर्ति की जा सकती है। मल्चर मशीन द्वारा फसल अवशेषों को बारीक काट कर खेत में जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम वाले हार्वेस्टर का प्रयोग करें। खेत में कल्टीवेटर, रोटावेटर या डिस्क हेरो की सहायता से फसल अवशेषों को भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जीवांश खाद की बचत की जा सकती है। : Awareness Campaign
पशुओं के लिए भूसा और खेत के लिए बहुमूल्य पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ने के साथ मिट्टी की संरचना को बिगड़ने से बचाया जा सकता है। नरवाई में आग लगाने पर पुलिस द्वारा प्रकरण भी कायम किया जा सकता है।
नरवाई के उचित प्रबंधन से मिलेगी अतिरिक्त आय
Awareness Campaign | किसानों से जिला प्रशासन, किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, कृषि अभियांत्रिकी विभाग ने आग्रह किया है कि फसल कटाई के बाद फसल अवशेष में आग नहीं लगाए।
नरवाई का उचित प्रबंधन कर भूमि वातावरण को नुकसान न पहुंचाते हुए पशुओं के लिये भूसा, जैविक खाद तैयार करे। जिससे फसल उत्पादन के अतिरिक्त भी आय प्राप्त की जा सकती है।
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