वर्मी कम्पोस्ट से कैसे होगी दमदार कमाई, जानें इसके फायदे एवं बनाने की विधि

Benefits & Uses of Vermi Compost: कई किसान वर्मी कम्पोस्ट की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे है, जानें इसके फायदे एवं लाभ.

Benefits & Uses of Vermi Compost | पिछले 3 सालो में जैविक खेती का चलन बड़ा है। जैविक खेती के माध्यम से न बल्कि बिजनेस कर सकते है साथ ही इसके अपनी फसल की पैदावार भी बढ़ा सकते है। किसान साथी अपनी आय बड़ाने के लिए निम्न तरह के उपाय कर सकते है। वैसे तो किसान भाई नाडेप, बायोगैस स्लरी, हरी खाद, जैव उर्वरक (कल्चर), गोबर की खाद, नाडेप फास्फो कम्पोस्ट, पिट कम्पोस्ट (इंदौर विधि), मुर्गी का खाद बनाकर भी अपना व्यवसाय शुरू कर सकते है।

लेकिन आज हम आपको यहां चौपाल समाचार के इस लेख के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट (Benefits & Uses of Vermi Compost) बनाने की विधि बताने जा रहे है। जिनसे किसान साथी अच्छा मुनाफा कमा सकता है। वह इस तरह की जैविक खेती में वर्मी कम्पोस्ट का अहम रोल है। आने वाले दिनों में यह एक अच्छा कृषि व्यवसाय उभर कर सामने आ सकता है। तो आइए जानें वर्मी कम्पोस्ट के लाभ/फायदे एवं इसके बनाने की विधि..

जैविक खेती के लाभ इस तरह है (Benefits & Uses of Vermi Compost) 

  • भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृध्दि हो जाती है। सिंचाई अंतराल में वृध्दि होती है । रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से कास्त लागत में कमी आती है। फसलों की उत्पादकता में वृध्दि।
  • जैविक खाद के उपयोग करने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है। भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती हैं। भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होगा।
  • भूमि के जल स्तर में वृध्दि होती हैं। मिट्टी खाद पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण (Benefits & Uses of Vermi Compost) मे कमी आती है। कचरे का उपयोग, खाद बनाने में, होने से बीमारियों में कमी आती है। फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृध्दि अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्पर्धा में जैविक उत्पाद की गुणवत्ता का खरा उतरना।

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वर्मी कम्पोस्ट/केंचुआ खाद क्या है?

वर्मीकम्पोस्ट या केंचुआ खाद (Vermi Compost) पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है। यह वनस्पतियों, भोजन के कचरे केंचुआ (Benefits & Uses of Vermi Compost) एवं अन्य छोटे कीड़ों के द्वारा मिलकर बना हुआ होता है। वर्मी कम्पोस्ट में बदबू नहीं होती है और मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते है तथा वातावरण भी प्रदूषित नहीं होता है। तापमान नियंत्रित रहने से जीवाणु क्रियाशील तथा सक्रिय रहते हैं। वर्मी कम्पोस्ट डेढ़ से दो माह के अंदर तैयार हो जाता है।

इसमें 2.5 से 3% नत्रजन, 1.5 से 2% स्फुर तथा 1.5 से 2% पोटाश पाया जाता है। केंचुआ खाद/वर्मी कंपोस्ट सेन्द्रिय पदार्थ ह्यूमस व मिट्टी को एकसार करके जमीन के अंदर अन्य परतों में फैलाता हैं। इससे जमीन पोली होती है व हवा का आवागमन बढ़ जाता है तथा जलधारण क्षमता में बढ़ोतरी होती है। केंचुओं (Benefits & Uses of Vermi Compost) के पेट में जो रसायनिक क्रिया व सूक्ष्म जीवाणुओं की क्रिया होती है, जिससे भूमि में पाये जाने वाले नत्रजन, स्फुर एवं पोटाश एवं अन्य सूक्ष्म तत्वों की उपलब्धता बढ़ती हैं।

वर्मी कंपोस्ट/जैविक खाद तैयार कैसे करें

कचरे से खाद तैयार करने के लिए सबसे पहले उसमें से कांच-पत्थर, धातु के टुकड़े अच्छी तरह अलग करके वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिये 10×4 फीट का प्लेटफार्म जमीन से 6 से 12 इंच तक ऊंचा तैयार किया जाता है। इस प्लेटफार्म के ऊपर 2 ईट के रद्दे जोडे जाते हैं तथा प्लेटफार्म के ऊपर छाया हेतु झोपड़ी (Benefits & Uses of Vermi Compost) बनाई जाती हैं प्लेटफार्म के ऊपर सूखा चारा, 3-4 क्विंटल गोबर की खाद तथा 7-8 क्विंटल कूड़ाकरकट (गार्वेज) बिछाकर झोपड़ीनुमा आकार देकर अधपका खाद तैयार हो जाता है।

जिसकी 10-15 दिन तक झारे से सिंचाई करते हैं, जिससे कि अधपके खाद का तापमान कम हो जाए। इसके पश्चात 100 वर्ग फीट में 10 हजार केंचुए के हिसाब से छोड़े जाते हैं। केचुए छोड़ने के पश्चात् टांके को जूट के बोरे से ढंक दिया जाता हैं, और 4 दिन तक झारे से सिंचाई करते रहते हैं ताकि 45-50 प्रतिशत नमी बनी रहें। ध्यान रखे अधिक गीलापन (Benefits & Uses of Vermi Compost) रहने से हवा अवरूध्द हो जावेगी ओर सूक्ष्म जीवाणु तथा केंचुऐ मर जावेगें या कार्य नही कर पायेंगे।

45 दिन के पश्चात सिंचाई करना बंद कर दिया जाता है और जूट के बोरों को हटा दिया जाता है। बोरों को हटाने के बाद ऊपर का खाद सूख जाता है तथा केंचुए नीचे नमी में चले जाते है। तब ऊपर की सूखी हुई वर्मी कम्पोस्ट को अलग कर लेते हैं। इसके 4-5 दिन पश्चात पुन: टांके की ऊपरी खाद (Benefits & Uses of Vermi Compost) सूख जाती है और सूखी हुई खाद को ऊपर से अलग कर लेते हैं इस तरह 3-4 बार में पूरी खाद टांके से अलग हो जाती है और आखरी में केंचुए बच जाते हैंजिनकी संख्या 2 माह में टांके में, डाले गये केंचुओं की संख्या से, दोगुनी हो जाती हैं।

ध्यान रखें कि खाद हाथ से निकालें गैंती, कुदाल या खुरपी का प्रयोग न करें। टांकें से निकाले गये खाद को छाया में सुखा कर तथा छानकर छायादार स्थान में भण्डारित किया जाता है । वर्मी कम्पोस्ट की मात्रा गमलों में 100 ग्राम, एक वर्ष के पौधों में एक किलोग्राम तथा फसल में 6-8 क्विंटल प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। वर्मी वॉश (Benefits & Uses of Vermi Compost) का उपयोग करते हुए प्लेटफार्म पर दो निकास नालिया बना देना अच्छा होगा ताकि वर्मी वॉश को एकत्रित किया जा सकें

केंचुए खाद (Vermi Compost) के लाभ

  • केंचुएँ के खाद का उपयोग भूमि, पर्यावरण एवं अधिक उत्पादन की दृष्टि से लाभदायी है।
  • यह भूमि की उर्वरकता, वातायनता को तो बढ़ाता ही हैं, साथ ही भूमि की जल सोखने की क्षमता में भी वृद्धि करता हैं।
  • वर्मी कम्पोस्ट वाली भूमि में खरपतवार कम उगते हैं तथा पौधों में रोग कम लगते हैं।
  • पौधों तथा भूमि के बीच आयनों के आदान प्रदान में वृद्धि होती हैं।
  • वर्मी कम्पोस्ट (Benefits & Uses of Vermi Compost) का उपयोग करने वाले खेतों में अलग अलग फसलों के उत्पादन में 25-300% तक की वृद्धि हो सकती हैं।
  • मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती हैं।
  • वर्मी कम्पोस्ट युक्त मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश का अनुपात 5:8:11 होता हैं अतः फसलों को पर्याप्त पोषक तत्व सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं।
  • इसमें नत्रजन, स्फुर, पोटाश के साथ अति आवश्यक सूक्ष्म कैल्श्यिम, मैग्नीशियम, तांबा, लोहा, जस्ता और मोलिवड्नम तथा बहुत अधिक मात्रा में जैविक कार्बन पाया जाता है।

केंचुआ खाद/वर्मी कम्पोस्ट खाद के उपयोग में सावधानियां

  • जमीन में केचुँआ खाद (Benefits & Uses of Vermi Compost) का उपयोग करने के बाद रासायनिक खाद व कीटनाशक दवा का उपयोग न करें।
  • केचुँआ को नियमित अच्छी किस्म का सेन्द्रिय पदार्थ देते रहना चाहिये।
  • उचित मात्रा में भोजन एवं नमी मिलने से केचुँए क्रियाशील रहते है।

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