खरीफ सीजन में सोयाबीन के विकल्प के तौर पर किन फसलों Best Kharif Crops को बोने से अधिक फायदा मिलेगा जानिए..
Best Kharif Crops | सोयाबीन की खेती से जिस प्रकार किसानों को घाटा हो रहा है, उसको देखते हुए किसान अब खरीफ सीजन में सोयाबीन का विकल्प तलाशने में लग गए हैं। सोयाबीन के विकल्प के तौर पर खरीफ सीजन में अन्य फसलों को स्थान देने के बारे में किसान कि रुचि बढ़ने लगी है। कृषि वैज्ञानिक भी इस दिशा में कार्य कर रहे हैं।
कृषि वैज्ञानिकों ने खरीफ सीजन के लिए सोयाबीन के विकल्प के तौर पर अन्य फसलों को विकसित करने की दिशा में कार्य करने लगे हैं। इधर दूसरी ओर सरकार भी कुछ ऐसी पॉलिसी बनाने में जुट गई है जिससे सोयाबीन के स्थान पर किसानों को अन्य फसलों से भी भरपूर फायदा मिले। खरीफ सीजन के लिए सोयाबीन के विकल्प के रूप में बेहतर साबित होने वाली अन्य दो फसलों Best Kharif Crops के बारे में आईए जानते हैं..
घाटे का सौदा बनी सोयाबीन की खेती
सोयाबीन के वर्षों से कमजोर भाव मिलने से यह खेती घाटे का सौदा बन चुकी है। जानकार किसानों के अनुसार सोयाबीन के बीज में भी बड़ा खेल होने से ग्रेडिंग सोयाबीन बीज बन जाता है। यही कारण है कि वर्षों पहले जो बीज तैयार हुआ था, वहीं बीज किसानों को व्यापारी दे देते हैं। इससे जहां एक ओर उपज कम हो रही है। Best Kharif Crops
वहीं दूसरी ओर मंडियों में भाव कम मिलने के कारण भी किसानों को घाटा उठाना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के कई जिलों में सोयाबीन के नकली बीज का यह व्यापार खूब फल-फूल गया। बीज का अर्थ उपचारित किया गया दाना बीज होता है, जिसे बीज प्रक्रिया कहा जाता है। सोयाबीन का सही बीज नहीं मिलने एवं भाव लगातार कम होने के कारण किसानों के लिए सोयाबीन की खेती घाटे का सौदा बन गई है।
देश के कुछ राज्यों में खरीफ फसल के दौरान सोयाबीन की खेती वर्षों से की जा रही है। जिसके कारण एक मोनोकल्चर बन गया है। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी कम हो रही है एवं सोयाबीन की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी लगातार काम हो गई है। यही कारण है की खरीफ में सोयाबीन की फसल के दौरान लागत अधिक होती है।
यह फसलें देगी किसानों का अच्छा फायदा
खरीफ सीजन में सोयाबीन के स्थान पर किसानों को अच्छा फायदा देने वाली दो फसलें ज्वार एवं मक्का है। इन दोनों फसलों Best Kharif Crops की खेती करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने ज्वार की नई किस्म को विकसित किया है। वहीं मक्का के संबंध में सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। जानकार किसानों का मानना है कि मक्का एवं ज्वार की खेती करने का अगर समूचा गांव या अधिकांश किसान अपनाए तो इस पर पक्षियों का खतरा भी नहीं रहेगा। Best Kharif Crops
… तो किसान भूल जाएंगे सोयाबीन
Best Kharif Crops कभी सोयाबीन किसानों को मालामाल करती थी, अब कर्जदार बनाने लगी है लेकिन सबकुछ ठीक रहा तो किसानों के लिए अच्छी खबर भी आ रही है। वर्षों पुरानी मक्का उपज जल्दी से जल्दी मालामाल करने लगेगी और सोयाबीन से किसानों का पीछा छूट जाएगा। मक्का से एथेनॉल यानी बॉयोडीजल बनाने का अनुसंधान पूरा हुआ व इसकी अनुमति मिली तो संपूर्ण मालवा में पीली मक्का से खेत लबालब होंगे।
इस समय मक्का के प्रमुख उत्पादक में छिंदवाड़ा, खातेगांव, कन्नौज और कुछ क्षेत्र झाबुआ का बताया गया है। एथेनॉल का प्लांट 500 करोड का बताया जाता है। इस समय मक्का का उपयोग स्टार्च ग्लूको से पोल्ट्री फार्म के अलावा बीमारी की कड़वी दवा पर मक्का का कोट होता है। यानी इसके पाउडर से दवा का कड़वापन समाप्त होता है। अभी तक गन्ने का छिलका एथेनॉल के काम आ रहा है। इस समय शिवपुरी, अशोक नगर तरफ तो किसानों ने सोयाबीन उपज छोड़ Best Kharif Crops मक्का उपज अपनाना शुरू कर दिया है। प्रति बीघा 12 से 14 क्विंटल की पैदावार मिलने से
खरीफ सीजन के लिए मक्के की टॉप 5 किस्में
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार खरीफ सीजन Best Kharif Crops में मक्के कि यह पांच किस्में किसानों को अच्छा फायदा देगी। मक्का की गंगा-5 प्रजाति मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के किसानों की बेहद ही मुफीद है। इस किस्म पर मौसम की मार का भी असर नहीं पड़ता। इसके पौधे मजबूत होते हैं। इस मक्का के दाने पीले रंग के होते हैं। मक्का की इस किस्म को अगर समय से बोया जाए तो यह 50 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन देती है।
मक्का की हाइब्रिड प्रजाति पार्वती को अगेती और पछेती दोनों समय बोया जा सकता है। यह फसल 90 से 100 दिनों में तैयार होती है। इस किस्म से 45 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन मिलता है। यह राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के किसानों को अच्छा उत्पादन देती है। Best Kharif Crops
मक्का की पूसा हाइब्रिड-1 किस्म 80 से 50 दिन में पककर तैयार होती है। मक्का की इस किस्म से करीब 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन मिलता है। यह तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में किसानों की पहली पसंद है। मक्का की शक्तिमान नाम की प्रजाति अधिक पैदावार की वजह से किसानों की पहली पसंद है। यह 90 से 110 दिन में तैयार होती है। इस किस्म से 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन मिलता है। यह किस्म ज्यादातर मध्य प्रदेश और राजस्थान में उगाई जाती है।
मक्का की शक्ति-1 प्रजाति 55 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन देती है। यह किस्म 95 दिनों में पककर तैयार होती है। इस मक्का को लोग खाने के लिए बेहद पसंद करते हैं। जिसकी वजह से यह भारत के ज्यादातर इलाकों में उगाई जाती है। इसमें पौष्टिकता भी ज्यादा पाई जाती है। Best Kharif Crops
ज्वार की यह किस्म किसानों को मालामाल करेगी
सोयाबीन की खेती का विकल्प Best Kharif Crops तलाश करते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने इस समस्या का निदान निकाल लिया है। सोयाबीन की खेती के स्थान पर अच्छा मुनाफा देने वाली ज्वार की किस्म को कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। मध्य प्रदेश में खरीफ सीजन में सोयाबीन की खेती बहुतायत होती है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक एमपी के अधिकांश जिलों में लगातार एक ही फसल की खेती प्रति सीजन में की जाती है।
वैज्ञानिकों ने इसी समस्या का निदान निकलते हुए ज्वार की अधिक उपज वाली किस्म RVJ -2357 विकसित की है। ज्वार की यह नवीनतम किस्म कम पानी में अच्छा उत्पादन देती है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक ज्वार की फसल कम वर्षा में भी अच्छी उपज दे सकती है । एक ओर जहां ज्वार सूखे का सक्षमता से सामना कर सकती है । वही कुछ समय के लिये भूमि में जलमग्नता भी सहन कर सकती है। Best Kharif Crops
ज्वार का पौधा अन्य अनाज वाली फसलों की अपेक्षा कम प्रकाश सष्लेषन एवं प्रति इकाई समय में अधिक शुष्क पदार्थ का निर्माण करता है। कृषि वैज्ञानिको द्वारा तैयार की गई की एक नई किस्म RVJ -2357 की बुवाई करके किसान एक हेक्टर में 18 से 20 क्विंटल ज्वार का उत्पादन कर सकता है। ज्वार के भाव आजकल मंडी में 3000 रूपये क्विंटल से ज्यादा चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसानों के लिए ज्वार की यह किस्म अत्यंत लाभकारी रहेगी। 1 हैकटेयर में ज्वार की यह किस्म बोने पर किसानों को 55000 रुपए तक की आमदनी हो सकती है। Best Kharif Crops
इन फसलों की खेती के दौरान इन बातों का ध्यान रखें
Best Kharif Crops कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार किसानों को थोड़ी मात्रा में इस बीज से नया बीज तैयार करके अपने खेतों में ज्वार एवं मक्का की बुवाई कर रकबा धीरे धीरे बढ़ाना चाहिए। जिससे मोनो क्रॉप पैटर्न से छुटकारा तो मिले ही और सोयाबीन के स्थान पर एक ऐसी फसल की किस्म विकसित हो जो अधिक लाभदायक सिद्ध हो।
कृषि विज्ञान केंद्र उज्जैन के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ आर पी शर्मा के मुताबिक किसानों को बीज के प्रति जागरूक रहना होगा। जागरूकता के अभाव के कारण किसानों को कई बार नुकसान उठाना पड़ता है। हाल ही में काले गेहूं को लेकर इसी तरह की घटनाएं हुई है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ आर के शर्मा ने किसानों से अपील की है कि वे नई किस्म के बारे में नवाचार करने के पहले कृषि वैज्ञानिकों या कृषि अधिकारियों से संपर्क अवश्य करें, ताकि किसी तरह का नुकसान ना हो। उन्होंनें कहा कि मालवा क्षेत्र में किसानों की जागरूकता के कारण ही बीज प्रतिस्थापन seed replacement rate की दर 34 प्रतिशत के लगभग चल रही है जो कि संतोषजनक है।
डॉ शर्मा ने कहा कि किसान वर्तमान मे कीटनाशकों pesticides का अतिशय प्रयोग कर रहे हैं, साथ ही खरपतवार नाशक दवा का भी जमकर उपयोग किया जा रहा है। इससे भूमि की उपजाऊ शक्ति नष्ट हो रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को घर पर ही गोबर से बने खाद का उपयोग करना चाहिए साथ ही नीम आदि से बनी हुई कीटनाशकों का उपयोग करके वे अपनी भूमि की उर्वरता बढ़ा सकते है। Best Kharif Crops
किसान प्रमाणित बीज ही खरीदें
Best Kharif Crops बोवनी के समय किसानों को बीज अत्यधिक महंगा मिलता है वहीं बीज की प्रमाणिकता पर भी कई सवाल उठाते हैं। इससे बचने के उपाय के विषय में बताते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ शर्मा ने कहा कि शासकीय बीज उत्पादन केन्द्रों द्वारा किसानों को पर्याप्त मात्रा में प्रमाणिक बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। इस बीज को वे अपने यहां शुरुआत में एक बीघा में बोकर आने वाली फसल के लिए बीज का उत्पादन कर सकते हैं।
यह क्रम निरन्तर रखते हुए महंगे बीज की खरीद से बच सकते हैं व खुद ही बीज का उत्पादन कर सकते हैं। अच्छे बीज और बीज उपचार का महत्व बताते हुए डॉ शर्मा ने कहा कि अच्छे बीज का उपयोग करने व बीज उपचार culture करने से उत्पादन का 35 प्रतिशत हिस्सा सुरक्षित हो जाता है। यदि अच्छा बीज व बीज उपचार नहीं होगा तो जहां 100 किलो उत्पादन होना चाहिए वँहा 65 किलो ही उपज होगी। Best Kharif Crops
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