उज्जैन-इंदौर, मालवा क्षेत्र के किसानों ने गेहूं की इस किस्म से लिया बंपर उत्पादन, अब अन्य किसानों को भी मिलेगा फायदा..

प्रतिकूल मौसम के बावजूद इस वर्ष गेहूं की नई वैरायटी से कई किसानों Successful Farmer ने अच्छी पैदावार ली है, आईए इस बारे में जानते हैं..

Successful Farmer ; कृषि वैज्ञानिक गहन रिसर्च एवं अथक प्रयासों के बाद कृषि जिंसों को विकसित करते हैं। शुरुआत में एक-दो वर्षों तक अलग-अलग परिस्थितियों, मौसम एवं जलवायु, मिट्टी में इनका ट्रायल होता है। इसके बाद इन किस्मों को चिन्हित करके नोटिफाई किया जाता है, फिर किसानों को इन किस्मों के बीज उपलब्ध करवाए जाते हैं, वहीं बीज कंपनियों को भी बीज दिया जाता है।

इस वर्ष गेहूं की ऐसी ही एक नवीनतम किस्म ने प्रतिकूल मौसम के बावजूद अच्छा उत्पादन दिया है। अपने उत्पादन क्षमता के कारण इस वर्ष गेहूं की यह किस्म सबसे अधिक चर्चा में बनी हुई है। जिन किसानों को इस किस्म का बीज मिला था, उन Successful Farmer किसानों ने इसकी अच्छी पैदावार ली है। अब आने वाले दिनों में अन्य किसानों को भी इसका फायदा मिलेगा। आईए जानते हैं गेहूं की इस नवीनतम किस्म के बारे में सब कुछ..

मध्य भारत के लिए सबसे उपयुक्त किस्म

Successful Farmer ; कृषि वैज्ञानिकों ने अथक परिश्रम एवं लंबे शोध के बाद गेहूं की नई वैरायटी विकसित की है। लंबे शोध के बाद इस किस्म को मध्य भारत क्षेत्र के लिए तैयार किया गया है। क्योंकि यह वैरायटी पूसा ओजस्वी पौष्टिक प्रायद्वीपीय क्षेत्र के लिए भी उपयोगी होगी। इस वर्ष गेहूं की इस किस्म को कई किसानों ने बोया और बीज तैयार किया।

यही किस्म आने वाले समय में गेहूं उत्पादक राज्यों के खेतों में लहलहाती दिखेगी। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई गेहूं की यह वैरायटी HI 1650 पूसा ओजस्वी के नाम से जानी जाएगी। गेहूं की इस वैरायटी के बारे में पैदावार से लेकर अन्य सभी विशेषताओं के बारे में आइए विस्तार पूर्वक जानते हैं। : Successful Farmer

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HI 1650 पूसा ओजस्वी इन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के इंदौर स्थित क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित की गई गेहूं की इस HI 1650 वैरायटी को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान के कोटा, उदयपुर और उत्तर प्रदेश के झांसी संभाग के लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अनुशंसित की गई है। : Successful Farmer

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उत्पादक एवं अवधि

पूसा ओजस्वी का विज्ञानी नाम एचआइ 1650 है अधिक सिंचाई वाले क्षेत्र में नवंबर माह में बोई जाएगी। किसानों के अनुसार इस वर्ष इस वैरायटी का उत्पादन प्रतिकूल मौसम होने के बावजूद 70 से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहा। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि अनुकूल परिस्थितियों में यह वैरायटी 60 से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन देती है। : Successful Farmer

एक हेक्टेयर में 100 किग्रा बीज की बुआई होगी। 90 से 95 सेमी पौधे की ऊंचाई होगी और 115 से 120 दिन में फसल पक जाएगी। 1000 दानों का वजन 45 से 50 ग्राम रहेगा। लंबे आकार का दाना चमकीला और कठोर रहेगा।

एचआई 1650 पूसा ओजस्वी बिज दर

एचआई 1650 पूसा ओजस्वी का बीज दर 25 किलो प्रति बीघा एवं 100 किलो प्रति हेक्टेयर रहेगा। गेहूं की यह वैरायटी पौष्टिकता के साथ-साथ खाने के लिए उपयुक्त रहेगी। इसका उत्पादन प्रति हेक्टेयर 60 से 80 क्विंटल है।

बीज जनित रोगों के नियंत्रण के लिए बीज को कार्बोक्सिन 1.25 ग्राम/किग्रा, फिप्रोनिल 6 ग्राम/किग्रा, या क्लोरपाइरीफॉस 8 मिली/किग्रा बीज से उपचारित करना चाहिए। बीज और उर्वरक की बुआई या तो अलग-अलग करनी चाहिए या उर्वरक को बीज सह उर्वरक ड्रिल का उपयोग करके बीज से 2-3 सेमी अधिक गहराई पर बोना चाहिए। पंक्तियों के बीच अनुशंसित दूरी 20 सेमी है। : Successful Farmer

एचआई 1650 पूसा ओजस्वी गेहूं की विशेषताएं

Successful Farmer : कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गेहूं की इस किस्म की हाइट मीडियम रहेगी। बताया जा रहा है कि तेजस गेहूं की हाइट के समान ही इस गेहूं की हाइट है। हाइट मीडियम सामान्य होने के कारण बारिश एवं हवा के दौरान गिरने की समस्या नहीं रहेगी। मोटे तने और कम लंबाई के कारण फसलें जमीन पर नहीं लेटेंगी और खूब पैदावार होगी। इसके अलावा इसकी प्रमुख खासियत विशेषता यह है ही इसकी बाली में 70 से 80 दाने रहते हैं एक रो में चार दाने रहेंगे।

अगले सीजन में मिलेगा बीज

कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा नोटिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। वहीं गेहूं की इस HI 1650 किस्म की क्वालिटी और पोषण तत्वों की जांच करनाल स्थित कृषि अनुसंधान केंद्र में पूरी हो चुकी है। आने वाले सीजन में किसानों को इसका बीज उपलब्ध करवाया जाएगा।

बीज के लिए पिछले वर्ष भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र द्वारा किसानों को एचआई 1650 पूसा ओजस्वी के एक दो किलो ब्रीडर बीज उपलब्ध करवाए गए थे। किसानों को आगामी सीजन से यह किस्म उपलब्ध हो सकेंगी। अभी अनुसंधान केंद्र में इसके बीज तैयार किया जा रहे हैं। : Successful Farmer

मध्य प्रदेश में गेहूं उत्पादन 20 लाख टन कम होगा

मध्य प्रदेश में दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक इस वर्ष 2023-24 में लगभग 20 लाख टन गेहूं उत्पादन कम होने का अनुमान है जबकि देश में लगभग 14 लाख टन गेहूं उत्पादन बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। गेहूं राज्य समझे जाने वाले मध्य प्रदेश में गेहूं उत्पादक किसानों को बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि झेलना पड़ी, वहीं दलहन-तिलहन का रकबा बढ़ा है। जो गेहूं के एवज में ही है। इसी के साथ-साथ देश में चल रहे विधानसभा लोकसभा चुनाव के कारण किसान किसानी भी प्रभावित हुई है।

मध्य प्रदेश कृषि विभाग के दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के मुताबिक इस वर्ष गेहूं, तिल एवं गन्ने का उत्पादन घटने की संभावना है। इस वर्ष राज्य में गेहूं 92.10 लाख हेक्टेयर में बोया गया है तथा उत्पादन 329.72 लाख टन होने का अनुमान है जबकि गत वर्ष 349.77 लाख टन गेहूं उत्पादन हुआ था इस वर्ष उत्पादन में कमी का कारण रकबे में कमी, बेमौसम बरसात एवं ओलावृष्टि को माना जा रहा है।

केन्द्र सरकार ने मध्य प्रदेश को इस वर्ष लगभग 100 लाख टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदने का लक्ष्य दिया है। जबकि देश में कुल 320 लाख टन गेहूं की खरीदी एमएसपी पर की जाएगी। मध्य प्रदेश के लिए गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष खरीदी लक्ष्य लगभग 40 फीसदी ज्यादा है। गत वर्ष लगभग 71 लाख टन गेहूं की खरीदी हुई थी। : Successful Farmer

गेहूं की फसल को खासा नुकसान हुआ

कई राज्यों में हुई बेमौसम बारिश रबी फसलों और खासकर गेहूं की फसल के लिए नुकसानदायक साबित हुई है। हालांकि सरसों और चना सहित कुछ अन्य रबी फसलों की अधिकांश कटाई की तैयारी पूरी हो चुकी है इसलिए उसके उत्पादकों को ज्यादा कठिनाई नहीं हुई। पंजाब केंद्रीय पूल में गेहूं का सर्वाधिक योगदान देने वाला राज्य है जहां इस बार 130-132 लाख टन की खरीद का लक्ष्य रखा गया है।

उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश व राजस्थान में गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हो गई है। इस बेमौसमी बारिश से गेहूं की फसल प्रभावित हुई तो किसानों के साथ-साथ सरकार की चिंता भी बढ़ जाएगी। सरकार ने इस बार 310-320 लाख टन की खरीदी की लक्ष्य रखा है ताकि केंद्रीय बफर स्टॉक का स्तर ऊंचा उठाया जा सके। : Successful Farmer , Successful Farmer

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