बाजरे की फसल में फड़का रोग ( Fadka Rog in baajara fasal ) फैलने से किसान परेशान हैं इस रोग से निजात के लिए किसान यह उपाय करें…
Fadka Rog in baajara fasal : केंद्र सरकार केंद्र एवं राज्य सरकार मिलेट मिशन के अंतर्गत मोटे दाने वाली फसलों को बढ़ावा दे रही है। खरीफ के दौरान मोटे दाने वाली बाजरे की फसल राजस्थान में बहुत होती है। राजस्थान एवं मध्य प्रदेश की सीमा से लगे गांव में बाजरे की खेती होती है, इसके साथ इस वर्ष खरीफ सीजन में किसानों द्वारा राजस्थान के बड़े रकबे में बाजरे की बुवाई की है।
बाजरे की खेती करने वाले किसानों को इस बार फड़का रोग Fadka Rog in baajara fasal के कारण परेशान होना पड़ रहा है। किसानों की चिंता बारिश के कारण फड़का रोग फैलने के कारण बढ़ गई है। फड़का रोग से बाजरे की फसल चौपट हो सकती है यही कारण है कि फड़का रोग से कैसे निजात मिलेगी, इसके लिए कृषि विभाग ने एडवाइजरी भी जारी की है।
कई क्षेत्रों में फैला फड़का रोग
राजस्थान में बाजरे की बंपर बुवाई के बाद इन दिनों फसल में लगने वाला फड़का रोग Fadka Rog in baajara fasal किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। किसानों के लिए मानसूनी सीजन में क्षेत्र में हो रही झमाझम बरसात एक ओर खुशियों के रंग बिखेर रही थी, तो अब फड़का रोग आफत बना हुआ है। कृषि विभाग के अनुसार, इस बार 1.39 लाख हेक्टेयर भूमि पर बाजार की बुवाई हुई है। इस वजह से कृषि विभाग ने फसल के बचाव के लिए एडवाइजरी भी जारी कर दी है।
क्या है फड़का रोग कैसे फैलता है जानिए
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक वीडी शर्मा के मुताबिक, फड़का रोग Fadka Rog in baajara fasal का प्रकोप बरसात से 20 या 22 दिन बाद शुरू हो जाता है। इसके शिशु का प्रकोप ही ऐसा होता है, यदि समय पर इंतजाम नहीं किया जाए तो वह पूरी फसल को चौपट कर देता है।
अभी वर्तमान स्थिति में फड़का रोग शिशु अवस्था में खेत की डोर पर पौधों को खा रहा है। इसकी पहचान यह है कि यह धीरे-धीरे फसल की पत्तियों को खा जाता है। इसके बाद फसल की बारी भी बनना और उसमें दाना आना मुश्किल हो जाता है, इसीलिए यह फसल के लिए बहुत ही खतरनाक कीड़ा है जिसकी समय पर रोकथाम करना बहुत ही आवश्यक है।
फड़का रोग से बचाव के उपाय
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक वीडी शर्मा के मुताबिक, फिलहाल इसका आसानी से नियंत्रण Fadka Rog in baajara fasal किया जा सकता है। इसके लिए सिर्फ आपको फसल पर जिस जगह यह कीड़ा लगा हुआ है, वहां पर क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 6 किलो प्रति बीघा के हिसाब से भुरकाव करें और यदि आपके यहां दवाई छिड़कने की सुविधा हो तो वहां क्यूनालफॉस 25 ईसी 1ml, एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
इसके अलावा कीट नियंत्रण के लिए खेत के चारों तरफ आग या पुराने टायर जलाकर भी इसका इंतजाम किया जा सकता है। संयुक्त निदेशक का यह भी कहना है इस विधि के द्वारा फिलहाल इस कीट Fadka Rog in baajara fasal का आसानी से उपाय किया जा सकता है।
किसान इन बातों का भी ध्यान रखें
संयुक्त निदेशक वीडी शर्मा का कहना है कि जहां-जहां इस कीड़ा Fadka Rog in baajara fasal का प्रकोप है, वहां के सभी किसान मिलकर इस कीड़ा का सामुदायिक रुप से इसका इंतजाम करें, ताकि वह कीड़ा बचें नहीं अगर यह कीड़ा गलती से बचा और आगे ज्यादा पनप गया तो यह बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि जिस जगह पर आपने दवाई का छिड़काव किया है। वहां पर करीब 7 से 8 दिन तक किसी भी पशु को ना चराएं, ताकि पशुओं के भी इस रसायन से नुकसान ना हो। Fadka Rog in baajara fasal
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बाजरे की फसल में लगने वाले प्रमुख रोग
बाजरे की फसल Fadka Rog in baajara fasal को प्रभावित करने वाले कीट :–
सफेद लट : इससे 20 से 100% तक नुकसान की आशंका। समय पर उपचार से काबू नहीं किया तो नुकसान होता है।
दीमक : यह बाजरे की फसल को 10 प्रतिशत तक प्रतिवर्ष नुकसान पहुंचाती है। इसका असर जयपुर, टोंक, बूंदी, करौली, दौसा, अलवर, सीकर, अजमेर में देखने में आता है। इसमें अजमेर, टोंक, करौली और दौसा सर्वाधिक प्रभावित जिले हैं।
तना छेदक : यह प्रारंभिक और सिट्टे आने की अवस्था में नुकसान पहुंचाता है। प्रारंभिक अवस्था में पौधा आगे नहीं बढ़ पाता और डेड हर्ट बनाता है। विलंब वाली अवस्था में इस कीट से सिट्टा सफेद हो जाता और उसमें कोई दाना नहीं बनता है।
तना मक्खी : बाजरे में लगने वाला प्रमुख कीट है। संकर किस्मों में इसका प्रभाव ज्यादा दिखता है। यह कीट पौधे की प्रारंभिक और इयरहैड स्टेज दोनों का नुकसान पहुंचाता है। प्रारंभिक अवस्था में डेड हर्ट बनाता है, जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है और सिट्टा नहीं आता। लेट अवस्था में आने पर सिट्टे पर छोटे-छोटे नुकसान के लक्षण दिखाई देते हैं। Fadka Rog in baajara fasal
ग्रास होपर : यह कीट पहाड़ी क्षेत्र में जहां बाजरा उगाया जाता है, वहां नुकसान पहुंचाता है। सीरियस अटैक आने पर केवल पत्तियों के मुख्य शिरे को छोड़कर पूरी पत्ती को खा जाता है। जिससे दाने व चारे की उपज पर काफी असर आता है।
चने की सूंडी : यह कीट से जयपुर के शाहपुरा तहसील क्षेत्र में मिलता है। यह बाजरे के कच्चे दाने खा जाता है, जिससे उपज और गुणवत्ता प्रभावित होती है।
चाफर बीटल : यह कीट सिट्टे पर परागण की अवस्था पर आक्रमण करता है। कई बार एक ही सिट्टे पर 20-25 प्रौढ़ तक मिलते हैं। यह परागणों, कच्चे दाने को खाता है जिससे उपज प्रभावित होती है। यह सीकर क्षेत्र में काफी है।
बाजरा क्यों महत्वपूर्ण है, बाजरा खाने के फायदे क्या है जानिए
Fadka Rog in baajara fasal
- बाजरे में काफी एनर्जी होती है, जिस वजह से यह ऊर्जा का एक अच्छा स्त्रोत भी है।
- बाजरा के दानो मे, ज्वार से अच्छी गुणवत्ता के पोषक तत्व पाये जाते है।
- बाजरा दानो मे 12.4 प्रतिशत नमी, 11.6 प्रतिषत प्रोटीन, 5 प्रतिषत वसा, 76 प्रतिशत कार्बोहाईड्रेटस तथा 2.7 प्रतिशत मिनरल पाये जाते हैं।
- बाजरा शरीर में एनर्जी को उत्पन्न करता है, यदि आप अपने वजन को घटाना चाहते है, तो बाजरा खाना आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है, क्योकि बाजरा खाने के बाद देर तक पेट भरा हुआ महसूस होता है, जिस वजह से बार-बार भूख नहीं लगती है, और इस वजह से भूख कंट्रोल में रहता है। Fadka Rog in baajara fasal
- बाजरा कोलेस्ट्रॉल के लेवेल को भी नियंत्रित करता है, जिससे दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा काफी हो जाता है।
- बाजरा मैग्नीशियम और पोटैशियम का काफी अच्छा स्त्रोत है, जिस वजह से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में सहायता मिलती है।
- बाजरे में फाइबर की मात्रा काफी अच्छी होती है, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में सहायता करता है।| बाजरे का सेवन करने से कब्ज की समस्या नहीं होती है, और भोजन भी ठीक तरह से पचता है, यदि आप पाचन की समस्या से जूझ रहे है, तो बाजरे का सेवन करना आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है। Fadka Rog in baajara fasal
- न्यूट्रिशन जरनल के अध्ययन के अनुसार भारत वर्ष के 3 साल तक के बच्चे यदि 100 ग्राम बाजरा के आटे का सेवन करते है तो वह अपनी प्रतिदिन की आयरन (लौह) की आवष्यकता की पूर्ति कर सकते है तथा जो 2 साल के बच्चे इसमे कम मात्रा का सेवन करे।
- बाजरा का आटा विशेषकर भारतीय महिलाओ के लिए खून की कमी को पूरा करने का एक सुलभ साधन है। Fadka Rog in baajara fasal
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aapka bahut bahut dhanvad ese hi hume krishi se jodi hui janakariya dete rahe