केंचुआ खाद और केंचुए को व्यवसाय के रूप में अपना कर उज्जैन के किसान की चमकी किस्मत, देखें डिटेल..

जैविक खेती एवं इससे जुड़ा व्यवसाय करके किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं देखें उज्जैन के किसान की (Former Success Story) सक्सेस स्टोरी..

👉 व्हाट्सऐप चैनल को फॉलो करें।

Former Success Story | जैविक खेती से पर्यावरण को फायदा मिलता है। इसके साथ साथ किसान जैविक खेती अपना कर लाखों की इनकम कर रहे हैं। जैविक खेती से जुड़ा व्यवसाय करके कुछ किसान अच्छी कमाई भी कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश के ही एक किसान ने ऐसा ही कर दिखाया। यह किसान सालाना लाखों रुपए की जैविक खाद बेचकर प्रतिमाह 50 से 70 हजार रुपए से अधिक की आमदनी कर रहें है।

उक्त किसान की सफलता की कहानी को साथ लिए जैविक खाद के बारे में जानते हैं, (Former Success Story) एवं कैसे इसका व्यवसाय कर सकते हैं यह भी समझते हैं:-

बड़नगर तहसील के लालाजी ने किया कमाल

मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के बडनगर तहसील के ग्रामीण क्षेत्र लोहाना के रहने वाले किसान श्री लक्ष्मीनारायण मुकाती [लाला जी मुकाती] को कुछ साल पहले तक इस इलाके में कोई नहीं जानता था। अब उन्हें आस-पास के लोग केंचुए खाद वाले किसान के नाम से जानते है। Former Success Story

लाला जी मुकाती 12Th कक्षा तक पढाई करने के बाद वेयरहाउस में डिप्लोमा कर 5500 के मासिक वेतन पर वेयरहाउस में सुपरवाइजर की नोकरी के साथ अपनी खेती का काम करते थे।

शुरुआत में छोटे स्तर पर शुरू किया कम

कृषि कार्य के दौरान ही लाला जी एक दिन कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में आए और कीटनाशक और रासायनिक उर्वरक से मृदा की भौतिक दशा को कैसे सुधारा जाए इसकी उन्होंने जानकारी ली। Former Success Story

इसी दरमियान लालाजी केंचुआ खाद बनाने वाले किसान गिरधारी लाल पाटीदार ग्राम घिनोदा तहसील खाचरोद के संपर्क में आए। इनसे इन्होंने केचुए खाद कैसे तैयार की जाती है इसकी जानकारी ली।

इसके साथ ही इन्होंने गिरधारी लाल जी से 1 किलो केचुए 500 रुपये किलो की दर से लिए और छोटे स्तर से वर्ष 2019 के दरमियान अक्षत केचुआ खाद यूनिट के नाम से इसकी शुरुआत की। Former Success Story

केचुए की खाद से बादली गरीब किसान की किस्मत

2019 के बाद लगातार किसान केंचुआ के खाद बनाने लगे। 5 साल में ही लाला जी मुकाती मालामाल हो गए हैं। गरीब किसान की किस्मत एक केचुए ने बदल दी। इस केंचुए से बनी खाद से किसान लखपति बना। हर साल वह 8 लाख रुपए कमा रहा है। यह खाद आइसीनिया फोटिडा किस्म के केंचुए से तैयार की जा रही है। Former Success Story

👉 व्हाट्सऐप चैनल को फॉलो करें।

सिलसिलेवार जाने किसान की सफलता की कहानी

किसान के सफलता की यह कहानी 2019 में शुरू हुई थी। हालांकि, क्वांटिटी कम होने की वजह से पहले साल अपनी ही खेती में प्रयोग कर मृदा में सुधर किया। लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ यह बढ़ता ही चला गया और व्यावसायिक रूप ले लिया। Former Success Story

लाला जी मुकाती ने बताया पिछले साल से वे हर दो महीने के गैप पर केंचुआ का उपयोग कर साल में 500-700 क्विंटल खाद तैयार कर लेते हैं और लगभग 10 क्विंटल केचुए बेच रहे है। एक क्विंटल खाद की बाजार कीमत करीब 800-1000 रुपए है और केचुए 300 रुपये किलो से बेच रहे है। इस तरह से पूरे साल में इस खाद से 8-10 लाख रुपए की आय होती है।

उन्होंने बताया कि पूरे साल में मेंटेनेंस का खर्चा करीब 3-4 लाख रुपए आता है वे वर्षभर में 6-7 लाख रुपए सालाना कमाई करते हैं। और इस हिसाब से हर महीने की आय 50,000-70,000 रुपए है। लाला जी ने बताया कि वेयरहाउस में एक साल की जो कमाई थी वह अब यहां से एक महीने में कमा रहा हूं। यहां से काम शुरू करने के बाद आय 5 गुना बढ़ गई है। वहीं, प्लांट पर 2 लोगों को रोजगार भी दे रखा है। Former Success Story

अब जानिए किस प्रकार तैयार होती है केंचुए से जैविक खाद

केंचुआ खाद बनाने के लिए सर्वप्रथम बैड तैयार करना होता है। इन बैड में पहले से ही लाखों केंचुए छोड़े होते हैं। इस गोबर को इन बैड्स में 15 दिन तक छोड़ा जाता है। बीच-बीच में किसान इसकी देखभाल करता है और 15 दिन की अवधि में केंचुए इसे खाकर खाद तैयार कर देते हैं। Former Success Story

केंचुओं के गोबर खाने के बाद उनका मल ही खाद के रूप में सामने आता है। इस खाद में जिप्सम, पोटाश, कॉपर सहित कई उर्वरक तत्व मिले रहते हैं। ऐसे में किसानों के लिए यह खाद काफी उपयोगी साबित होती है। लाला जी के खेत के बाहर किसानो की लाइन लगती है। किसान का ये आइडिया आस-पास के किसानों को काफी पसंद आ रहा है।

किसान इस खाद को पसंद कर रहे हैं। यही कारण है कि लाला जी के खेत के बाहर सामान्यत: किसानों की लाइन दिख जाती है। कई बार तो किसानों को इस वर्मी कम्पोस्ट के लिए एडवांस ऑर्डर भी देना पड़ता है। Former Success Story

किसानों ने बताया कि हर 15 दिनों में लाला जी के प्लांट में आते हैं और ट्रॉली भरकर ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि इससे फसल की पैदावार भी अच्छी हो रही है और बीमारियां भी कम लग रही है। केचुए की भी दो प्रजातियां हैं। डेट्रीटीव्होरस : ये प्रजाति जमीन के ऊपरी सतह पर पाई जाती है,ये लाल रंग के होते हैं। जीओफेगस: ये प्रजाति जमीन के अंदर पाई जाती है, इस तरह के केंचुए रंगहीन होते हैं।

ऐसे तैयार होता है वर्मीबैड

खाद को तैयार करने के लिए वर्मीबैड तैयार करना होता है। यह ईट और चूने का बना होता है। बाजार में अब प्लास्टिक के कट्टों से बने भी वर्मी बैड मिलने लगे हैं। इनकी लम्बाई और चौड़ाई का क्षेत्रफल 100 स्क्वायर फीट और ऊंचाई 3 से 4 फीट होती है। Former Success Story

जैविक पदार्थ : जैविक पदार्थ के लिए सूखा हुआ कार्बनिक पदार्थ, सूखी हरी घास, खेत से निकला कचरा और गोबर का इस्तेमाल करते हैं। इन्हें वर्मी बैड में भरने से पहले इसमें से कचरा, कांच और पॉलिथीन को निकाल दिया जाता है।

केंचुआ खाद तैयार करने में पानी की भी जरूरत होती है। जब वर्मी कम्पोस्ट तैयार होता है तो पानी जैविक पदार्थों की नमी को बनाए रखता है। जहां ये खाद तैयार की जाती है वहां खासतौर पर वातावरण का काफी ध्यान रखा जाता है। वर्मी बेड को धूप से बचाकर छायादार जगह पर रखना होता है, क्योंकि तेज धूप से केंचुऐ मर जाते हैं। Former Success Story

जैविक खेती और अश्वगंधा से अच्छा लाभ अर्जित किया

लाला जी कहते है कृषि विभाग के कृषि विस्तार अधिकारी श्री चेतन जी पटेल के मार्गदर्शन में केचुआ खाद बनाने के अलावा जिवामृत, घन जिवामृत तैयार करते है और पूर्ण रूप से जेविक खेती करते है। साथ ही इस वर्ष 2024-25 में इन्होने अश्वगंधा की खेती कर अच्छा लाभ लिया और अन्य किसानो को प्ररित किया। Former Success Story

लाला जी कृषि विभाग का हमेशा आभार व्यक्त करते है और कहते है कृषि विभाग में मार्ग दर्शन में बहुत सिखने को मिलता है और विभिन्न योजनाओ का लाभ भी। खाद बनाने के अलावा जिवामृत, घन जिवामृत, तैयार करते है और पूर्ण रूप से जैविक खेती करते है।

सफल किसान ने यह उपलब्धि हासिल की

लालाजी मुकाती जी को ग्रीन टीवी द्वारा आयोजित किसान महाचौपाल जो की बडनगर में आयोजित की गई थी उसमे केचुआ खाद और जेविक खेती के लिए प्रशस्ति देकर वरिष्ठ वैज्ञानिको द्वारा सम्मानित किया गया है। Former Success Story

 👉 व्हाट्सऐप चैनल को फॉलो करें।

खेती किसानी की नई नई जानकारी से अपडेट रहने के लिए आप हमारे व्हाट्सएप चैनल को फॉलो कर सकते है।

यह भी पढ़िए….👉 एमपी के लिए रिलीज हुई गेंहू की 3 बेहतरीन किस्में, रोगप्रतिरोधक और खाने योग्य भी, देखें सभी खासियतें

👉कृषि वैज्ञानिकों ने ईजाद की चने की नई रोग प्रतिरोधी किस्म, बुवाई का समय निकलने पर भी उत्पादन बढ़ेगा, देखें डिटेल..

👉 जून-जुलाई तक करें बाजरे की इन टॉप किस्मों की बुवाई, मिलेगा जबरदस्त फायदा..

👉 पिछले साल सोयाबीन की इन टॉप 3 नई किस्मों ने किया कमाल, निकाला था सबसे ज्यादा उत्पादन, देखें डिटेल..

प्रिय पाठकों…! 🙏 Choupalsamachar.in में आपका स्वागत हैं, हम कृषि विशेषज्ञों कृषि वैज्ञानिकों एवं शासन द्वारा संचालित कृषि योजनाओं के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आप हमारे टेलीग्राम एवं व्हाट्सएप ग्रुप से नीचे दी गई लिंक के माध्यम से जुड़कर अनवरत समाचार एवं जानकारी प्राप्त करें.

Leave a Comment