Fungus in Soybean crop : खेतों में अंकुरित फसल की हालत देखकर किसान हुए नाराज। दोबारा करनी पड़ रही बोवनी, जानें फंगस रोग को नियंत्रित करने के उपाय.
Fungus in Soybean crop | देशभर में लगभग 75 से 90 फीसदी सोयाबीन की बोवनी हो चुकी हैं। कई जगह मध्यप्रदेश में अब सोयाबीन की फसल में फंगस रोग का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इसकी मुख्य वजह है एक ही समय में बारिश होने और मौसम खुलना। जिस वजह से सोयाबीन को फसल में फंगस रोग तेजी से फैल रहा है। यहां तक की किसानों को दोबारा सोयाबीन की बोवनी करनी पड़ रही है। ऐसे में सभी किसानों को ध्यान देने की आवश्यकता है की कही आपकी फसल में भी तो फंगस रोग Fungus in Soybean crop का प्रकोप नही है। यदि इसके लक्षण देखने को मिलते है तो हो जाए सावधान! और जल्द ही अपनाए यह उपाय…
पीला सोने पर कॉलर रोट फंगस का प्रकोप – Fungus in Soybean crop
देपालपुर क्षेत्र के कुछ किसानों ने लाल तुवर की भी बुवाई की थी, लेकिन जो उम्मीद किसानों ने बनाई थी। वह उम्मीद अब उम्मीद अब तुड़ती नजर आ रही है। निम्न व मध्यमवर्गीय किसानों ने जैसे-तैसे खेत में सोयाबीन व लाल तुवर की बुवाई तो कर दी फसल अंकुरित होते ही पूरी फसल पर जल दाग फंगस ने ले ली। जहां एक तरफ खेतों में लग रहा है कि फसल अंकुरित हो गई।
किसानों में हर्ष का माहौल भी था, लेकिन अंकुरित Fungus in Soybean crop फसल धीरे-धीरे सुखना शुरू हो गई। जब फसल पैदा होने के पहले ही बर्बादी की ओर चली गई। किसानों ने पौधे को उखाड़ कर देखा तो पौधे ऊपर से हरा, लेकिन उस की जमीनी जड़ सूख रही थी। इस वजह से किसानों ने एक बार फिर अपनी अंकुरित फसल पर कल्टीवेटर चलाकर दोबारा सोयाबीन की बुवाई शुरू की। जल दाग फंगस की बीमारी 1-2 खेतों में नहीं कई गांव में सुरसा जैसा मुंह खोल कर पूरी फसल को निगल ली।
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किसानों को दोबारा बोवनी करनी पड़ रही
इंदौर जिले के गिरोडा, जलोदिया पंथ, चांदेर, बेगंदा खजराया, ऐरवास, हरनासा, देपालपुर, बिरगोदा सहित कई गांवों में हजारों बीघा जमीन में बुवाई की सोयाबीन की फसल बर्बाद Fungus in Soybean crop हो गई। इस बीमारी की वजह से दोबारा खेतो में मेहनत कर ट्रैक्टर से सोयाबीन की बुवाई का कार्य शुरू कर दिया है। कई छोटे-बड़े किसानों ने 6000 क्विंटल से ज्यादा कीमत का अच्छा सोयाबीन का बीज खरीद कर सोयाबीन की बुवाई की थी।
किसानों की कमर टूटी
बुवाई की और अंकुरित फसल बर्बाद होने लग जाए तो इन छोटे तथा मध्यमवर्गीय किसानों की तो कमर ही टूट गई। कई किसानों के पास स्वयं का ट्रैक्टर नहीं होने से हजारों रुपए खर्च कर बीज खरीदा।
किराए के ट्रैक्टर से बुवाई करवाई थी, लेकिन फसल अंकुरित Fungus in Soybean crop होते ही खत्म होना शुरू हो गई। देपालपुर सहित कई गांव के जंगलों में लगातार ट्रैक्टर से पहले अंकुरित फसल को कल्टीवेटर करते हुए दोबारा फिर हजारों रुपये खर्च कर सोयाबीन बीज खरीदकर बुवाई करवाई जा रही है।
कालर रॉट फंगस के मुख्य लक्षण – Fungus in Soybean crop
यह स्थिति बोवनी के तुरंत बाद अधिक बारिश एवं मिट्टी में नमी अधिक होने की स्थिति में फसलों में कालर रॉट नामक फंगस से फसले प्रभावित हुई है। फंगस रोग से मुख्यत फसलों की जड़े सूखकर टूट जाती है। इस रोग के लगने से पौधा हरा रहता है बाकी, यह जड़ों की ओर से दुखता चला जाता है।
कालर रॉट फंगस नियंत्रण के लिए यह उपाय अपनाए
कालर रॉट फंगस Fungus in Soybean crop से प्रभावित फसलों को बचाने के लिए किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि काबेंडाजिम 40 प्रतिशत 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर या थायरम 37.5, कार्बोक्शिन 37, 5: 1 लीटर पानी में 2.5 ग्राम का घोल बनाकर प्रभावित क्षेत्रों में छिड़काव करें। साथ ही साथ जिस क्षेत्र में बोवनी करना शेष हैं उन क्षेत्र में अनुशंसित फफूंद नाशक दवाई एफ आईआरसे बीज उपचार करके ही बुवाई करें।
खजराया के किसान टिंकू बजेसिंह नागर, फूलसिंह नागर, संजय नागर, महेश पटेल, प्रकाश पटेल, अहिरवास के किसान राजेश दरबार, बेगंदा के मुंशीराम, अरुण रामप्रसाद, रघुनाथ गिरोड़ा के किसान सज्जनसिंह पटेल, मनोहर चौधरी, बाल मकुंद पटेल, जितेंद्र पंवार, सालिगराम ड्राइवर, तुलसीराम मौर्य, शांतिलाल सोलंकी, गजराज सोलंकी सहित कई किसानो के पूरे खेतो में सोयाबीन पूर्ण रूप से खराब हो गई।
अब दोबारा किसान महंगे दामों पर बीज खरीदकर उसे उपचारित करने ले लगे है व खेत तैयार होते ही रात-दिन कार्य में जुट गए है। दो-तीन दिन बारिश रुक गई तो किसान एक बार फिर दोबारा सोयाबीन Fungus in Soybean crop के साथ लाल तुवर की बुवाई कर देंगे।
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