गेहूं के लिए वर्तमान मौसम प्रतिकूल.. 55 से 85 दिन की गेहूं की फसल में यह स्प्रे करें और गारंटेड पैदावार बढ़ाएं..

प्रतिकूल मौसम में गेहूं की पैदावार बढ़ाने Increase yield wheat के उपाय के बारे में जानिए..

Increase yield wheat | रबी फसलों के लिए यह वर्ष संतोषजनक नहीं है। क्योंकि मौसम की प्रतिकूलता के कारण फसलों पर विपरीत असर पड़ रहा है। मौसम किस कदर प्रतिकूल बना हुआ है, इसका अंदाजा इस बात से लगाए जा सकता है कि सालों बाद दिसंबर माह में शीतलहर का दौर नहीं चला।

नए वर्ष की शुरुआत के दौरान मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में बूंदाबांदी के आसार हैं, इसके बाद ठंड का एक और दौर आएगा। लेकिन इन सब के बीच गेहूं की पैदावार (Increase yield wheat) पर विपरीत असर पढ़ने की संभावना बढ़ गई है। ऐसी स्थिति में गेहूं एवं अन्य रबी फसलों के लिए क्या लाभदायक है एवं कौन-सी दवाई के इस्तेमाल से गेहूं की उपज बढ़ जाएगी, आईए जानते हैं..

सालों बाद शीतकाल में शीतलहर नहीं चली

Increase yield wheat | अक्टूबर से शीतकाल शुरू हो जाता है। नवंबर माह के आखिरी सप्ताह से लेकर जनवरी माह के अंतिम सप्ताह तक शीतलहर का दूर रहता है। शीतलहर तभी मानी जाती है जब पर 5 डिग्री से कम हो। दिसंबर-नवंबर माह के अंतिम सप्ताह से लेकर दिसंबर एवं जनवरी माह में कड़ाके की ठंड पड़ती है।

कई स्थानों पर पांच डिग्री से कम तापमान हो जाता है। लेकिन इस वर्ष शीतकाल के दौरान अब तक कहीं पर भी शीतलहर (Increase yield wheat) नहीं चली। साल के आखिरी महीने में रात में कड़ाके की ठंड ही नहीं पड़ी। रात का तापमान ज्यादातर दिनों तक सामान्य से ज्यादा बन रहा। ऐसा 34 साल बाद हुआ। महाकौशल, बुंदेलखंड और विंध्य के कुछ इलाकों में कोल्ड डे जरूर रहे, पर यहां भी कहीं शीतलहर नहीं चली। 1989 के बाद यह हालात बने।

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इसका कारण यह है कि जिस वेस्टर्न डिस्टरबेंस का असर होने से हमारे यहां ठंड पड़ती है, उसके कारण पहाड़ों पर बर्फबारी तो हुई पर बर्फीली हवा ज्यादातर मप्र में असर नहीं कर सकी। उत्तर पश्चिमी ठंडी हवा और पूर्व की गर्म हवा आपस में मिलती रही। इसके कारण रात के तापमान में ज्यादा गिरावट नहीं हुई। दिन में घना कुहासा, कोहरा और धुंध जैसा मौसम रहा इसलिए दिन भी ठंडे रहे।

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प्रदेश में तेज सर्दी क्यों नहीं पड़ी, जानें..

Increase yield wheat | मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जब रात का तापमान सामान्य से 4.5 डिग्री से लेकर 6.4 डिग्री तक कम हो तब शीतलहर चलना माना जाता है। इस पूरे सीजन में मप्र में किसी शहर या जिले में एक बार भी यह स्थिति नहीं बनी। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार प्रशांत महासागर में अल-नीनो अब भी सक्रिय है, जिसके कारण बार-बार अलग-अलग मौसमी सिस्टम बन रहे हैं।

इनका ज्यादा असर दिन में पढ़ रहा है। इससे बादल छा रहे हैं, लेकिन बारिश ज्यादा नहीं हुई। ठंडी उत्तरी और गर्म नम पूर्वी हवाएं आपस में मिलती रहीं, जिनसे कोहरा होता रहा। इससे दिन का तापमान कम, लेकिन रात का तापमान ज्यादा रहा। यही स्थिति जनवरी माह के पहले सप्ताह में भी रहने की संभावना है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक 1 जनवरी से भोपाल, ग्वालियर, चंबल, सागर, रीवा संभाग में कहीं-कहीं बादल और हल्की बारिश के आसर हैं। फिर तेज ठंड का दौर चलेगा। : Increase yield wheat

गेहूं एवं अन्य रबी फसलों के लिए प्रतिकूल मौसम

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक आसमान में जब बादल छाए रहते हैं तब यह रात के तापमान के लिए कंबल का काम करते हैं। इसका मतलब यह है कि बादल रात का तापमान कम नहीं होने देते। मौसम विज्ञान के लिहाज से रात का तापमान तब काम होता है जब अर्थ रेडिएशन तेजी से होता है।

रेडिएशन का मतलब यह है कि दिन में होने वाली तपिश शाम ढलने के बाद तेजी से रेडिएशन के ज़रिए वापस आसमान की ओर लौटती है। यह स्थिति फसलों के लिए लाभदायक नहीं होती है। यही कारण है कि अब कृषि विशेषज्ञ अंदेशा जता रहे हैं कि कम ठंड पड़ने से गेहूं की पैदावार Increase yield wheat पर असर होगा। यदि अब जनवरी में ज्यादा ठंड नहीं पड़ी तो गेहूं की पैदावार 20% कम हो सकती है।

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गेहूं की वर्तमान अवस्था के लिए ठंड अति आवश्यक

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गेहूं सहित अन्य रबी फसलों Increase yield wheat के लिए ठंड अति आवश्यक है। गेहूं में इस समय बालियां निकल रही है। गेंहू में 43% खाना पकाने के लिए झंडा पत्ती बाली का उपयोग किया जाता है।

उसके बाद दूसरे नंबर वाली पत्ती में 23% तक भोजन होता है। और इसके नीचे का पत्ता 7% भोजन बनाता है। बाकी 27% भोजन बाली स्वयं बनाता है इन तीनो पत्तियों का सुरक्षित होना आवश्यक है। गेहूं की फसल की यह प्रक्रिया ठंड नहीं होने के कारण प्रभावित हो रही है।

गेहूं में यह स्प्रे करें, पैदावार बढ़ेगी

Increase yield wheat | कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस बार का मौसम फसल के लिए बिल्कुल भी अनुकूल नहीं है, इसलिए अधिकतम तापमान होने के कारण फसल समय से जल्दी आ जायेगी।

ऐसी स्थिति में कृषि वैज्ञानिक किसानों को सलाह दे रहे हैं कि 55 से 85 दिन की अवधि वाली गेहूं की फसल (Increase yield wheat) में फंगीसाइड का सभी किसान भाई अवश्य स्प्रे करें, क्योंकि इससे ज्यादा समय तक फसल हरी रहती है। समय से फसल आयेगी तो ही उत्पादन थोड़ा ठीक आएगा। फसल अवधि 55 दिन से 85 दिन तक स्प्रे कर सकते है। बताया जा रहा है कि कोर्टेवा का गेलिलियो वे या बायर नेटिवो फंगीसाइड गेंहू में बहुत ही शानदार रिजल्ट देता है।

( || नोट ||यह जानकारी मौसम विशेषज्ञ एवं कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक दी गई है किसान अपने विवेक के अनुसार एवं अपने नजदीकी कृषि विशेषज्ञों से जरुरी सलाह लेकर दवाई एवं अन्य रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करें, चौपाल समाचार इसके लिए जिम्मेदार नहीं रहेगा। ” )

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