चेपा व मोयला किट से बर्बाद हो सकती है सरसों की फसल, रोकथाम के लिए अभी करे यह उपाय

सरसों की फसल में देखा जा रहा चेपा एवं मोयला किट (Mustard Crop Disease) , इनके नियंत्रण के लिए किसान डालें यह दवाई.. 

Mustard Crop Disease | देश में इन दिनों रबी फसलों का सीजन चल रहा है। इन्हीं रबी फसलों में से एक सरसों भी हैं, जिसकी खेती देश में बड़े पैमाने पर की जाती है। बदलते मौसम के चलते अब सरसों की फसल में चेपा एवं मोयला किट लगने की शिकायत मिल रही है। मध्यप्रदेश के कई इलाकों में इन किट का प्रकोप देखा जा रहा है। ऐसे में किसानों को सावधान होने की जरूरत है, क्योंकि यह दोनो किट फसल को बर्बाद कर सकते है। इनके रोकथाम के लिए आज ही यह दवाई डालें..

जनवरी-फरवरी में बढ़ता है इन कीटो का प्रकोप

Mustard Crop Disease | जानकारी के मुताबिक बता दे की, जनवरी-फरवरी महीने में सरसों की फसलों में चेपा एवं मोयला कीट लगने की संभावना बढ़ जाती है। दरअसल, चेपा एवं मोयला कीट ठंड के मौसम का फैलता है, जब तापमान 10 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। ऐसी स्थित में मौसम में ह्यूमिडिटी (आर्द्रता) अधिक हो जाती है। जिस वजह से चेपा एवं मोयला कीट फैलने का खतरा अधिक हो जाता है, जो किसानों की फसलों को प्रभावित कर सकता है।

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क्या है चेपा एवं मोयला किट?

सरसों में मोयला किट : जनवरी माह में मोयला (चेंपा) कीट Mustard Crop Disease का प्रकोप अधिक होता है। यह कीट हल्के हरे-पीले रंग का होता है और पौधे के विभिन्न नरम भागों, फूलों, कलियों और फलों पर रहकर रस चूसता है जो छोटे समूहों में पाया जाता है। इसके कारण पौधों की ग्रोथ रूक जाती है। कलियों की संख्या कम हो जाती है और फूलों की पैदावार भी प्रभावित होती है।

सरसों में चेपा किट : चेपा एक तरह का कीट होता है जो गेहूं, सरसों व जौ की फसल पर सीधे तौर पर आक्रमण करता है। अगर यह कीट एक बार पौधे में लग जाता है, तो यह पौधे के रस को धीरे-धीरे चूसकर उसे बहुत ही कमजोर कर देता है, जिसके चलते पौधा का सही से विकास नहीं हो पाता है।

देखा जाए तो चेपा कीट फसल में नवंबर से फरवरी महीने के बीच में अधिकतर देखने को मिलता है। यह कीट सबसे पहले फसल के सबसे कोमल व कमजोर हिस्सों को अपनी चपेट में लेता है और फिर धीरे-धीरे पूरी फसल में फैल Mustard Crop Disease जाता है। चेपा कीट मच्छर की तरह दिखाई देता है, यह दिखने में पीले, भीरे या फिर काले रंग के कीड़े की तरह होत है।

कृषि विभाग ने किसानों को किट नियंत्रण की दी सलाह 

Mustard Crop Disease | पिछले कुछ दिनों से ठंड में काफी इजाफा हुआ है, जिस वजह से सरसों की फसलों में मोयला एवं चेपा कीट लगने की संभावना बढ़ गई है। इसी के चलते राजस्थान सरकार के कृषि विभाग ने किसानों को मोयला एवं चेपा कीट की रोकथाम के लिए आवश्यक सलाह दी है।

कृषि विभाग के अनुसार, अगर किसानों द्वारा इन कीटों Mustard Crop Disease की रोकथाम के लिए कोई उपाय नहीं किया गया, तो फसलों के उत्पादन प्रभावित हो सकता है। ऐसे में कृषि विभाग के अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों द्वारा सलाह दी गई है की कीटनाशकों का समय पर उपयोग करके इन कीटों को नियंत्रित करें।

कैसे करें मोयला एवं चेपा कीट का प्रबंधन?

मोयला किट नियंत्रण : मोयला कीट के प्रकोप Mustard Crop Disease के कुछ ही दिनों में जब पौधे की मुख्य शाखा की लंबाई 10 सेमी के आसपास तक बढ़ जाती है, मोयला की संख्या में लगभग 20 से 25 तक का वृद्धि देखने पर, मेलाथियॉन 5% प्रस्तावित मात्रा में, प्रति हेक्टेयर 25 किलो, सवा लीटर प्रति हेक्टेयर 50 ई.सी. या डायमेथोएट 30 ई.सी. प्रति हेक्टेयर एक लीटर की दवा को 400 से 500 लीटर पानी में विघटन करके छिड़काव करें।

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चेपा (अल) किट नियंत्रण : सरसों की फसल में चेपा (अल) का आक्रमण होने पर इस कीट के बच्चे व प्रौढ़ पत्तों से रस चूसकर पौधों को कमजोर कर देते हैं। इसके Mustard Crop Disease नियंत्रण के लिए 500 मि.ली. मैलाथियान 50 ई. सी. को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फसल पर छिड़काव करें। किसान चाहे तो इस कीट से अपनी फसल को सुरक्षित रखने के लिए अपने नजदीकी कृषि विभाग के अधिकारियों से भी संपर्क कर सकते हैं।

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