एमपी के किसानों के लिए खुशखबरी: सोयाबीन की इन नई किस्मों की हुई सिफारिश

हाल ही में 7 नई New Soyabean Varieties mp को जारी करने की सिफारिश की गई है, जानें कोई सी है वह किस्में..

New Soyabean Varieties mp | कृषि वैज्ञानिकों ने खरीफ की प्रमुख तिलहनी फसल सोयाबीन के लिए सात नई किस्मों को जारी करने की अनुशंसा की है। भाकृअनुप-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर एवं राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर के संयुक्त तत्वावधान में सोयाबीन पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 53वीं वार्षिक समूह बैठक गत दिनों ग्वालियर में आयोजित की गई।

यह है सोयाबीन की 7 नई किस्में

डॉ. के.एच. सिंह निदेशक भारतीय सोयाबीन New Soyabean Varieties mp अनुसंधान संस्थान इंदौर ने बताया कि इस वार्षिक बैठक में सोयाबीन की कुल 7 नई किस्मों के नोटिफिकेशन की अनुशंसा की गई है, इनमें मध्य क्षेत्र के लिए भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा विकसित तीन किस्में – एनआरसी 181 (कुनीट्ज ट्रिप्सिन इनहिबिटर मुक्त), एनआरसी 188 (मध्य क्षेत्र की प्रथम वेजिटेबल सोयाबीन),

एनआरसी 165; जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर की दो किस्में जेएस 22-12 एवं जेएस 22-16; गोविंद वल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित सोयाबीन किस्म पीएस 1670 को देश के उत्तरी मैदानी क्षेत्र के लिए और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा विकसित किस्म आरएससी 11-35 देश के पूर्वी क्षेत्र के लिए पहचान की गई है।

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वार्षिक बैठक में 100 से ज्यादा वैज्ञानिक शामिल

वार्षिक बैठक में डॉ. तिलक राज शर्मा, उप-महानिदेशक फसल विज्ञान भाकृअप नई दिल्ली, डॉ. अरविंदकुमार शुक्ला कुलपति राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर, डॉ. संजीव गुप्ता एडीजी तिलहन और दलहन, डॉ. के.एच. सिंह निदेशक भारतीय सोयाबीन अनुसंधान New Soyabean Varieties mp संस्थान इंदौर; सहायक महानिदेशक तिलहन एवं दलहन भाकृअप, डॉ. संजय शर्मा निदेशक अनुसंधान सेवाएं सहित अ.भा. समन्वित सोयाबीन अनुसंधान परियोजना से जुड़े विभिन्न केंद्रों के लगभग 100 वैज्ञानिक शामिल हुए।

उन्होंने वर्ष 2022 के सोया वैज्ञानिकों द्वारा विकसित उन्नत तकनीक, पद्धतियां एवं नवीनतम किस्मों की सराहना कर सोयाबीन के उत्पादन में हानि पहुंचाने वाले कीट/रोग/सूखा/ अतिवर्षा, जैविक और अजैविक New Soyabean Varieties mp कारकों जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए किए जा रहे अनुसंधान कार्यक्रमों से भी अवगत कराया। आपने बताया कि आईआईएसआर, इंदौर सहित देश के विभिन्न केंद्रों द्वारा किए गये अनुसंधान परीक्षणों के परिणाम संतोषजनक रहे हैं।

सोयाबीन की नई उन्नत किस्मों को बड़ाने पर जोर

डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला ने कहा कि सोयाबीन की खेती New Soyabean Varieties mp में विभिन्न शस्य क्रियाओं में लगभग 40 प्रतिशत व्यय मानव श्रम के रूप में होता है, ऐसे में यांत्रिकीकरण की गति बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है। ग्वालियर संभाग में सोयाबीन की खेती को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा प्रयास कर रहा है, जिसके सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद है।

डॉ. टी. आर. शर्मा, ने सोयाबीन प्रजातियों New Soyabean Varieties mp की विविधता को बढ़ावा देने तथा अधिक से अधिक जलवायु-उपयुक्त, अधिक उत्पादन क्षमता वाली किस्मों का कृषकों में प्रचार-प्रसार करने पर जोर दिया और कहा कि जैव तकनीकी पर आधारित (मार्कर असिस्टेड सिलेक्शन-जिनोम वाइड एसोसिएशन स्टडीज) तरीकों का उपयोग करते हुए स्पीड ब्रीडिंग की सहायता से कम से कम समय में सोयाबीन किस्मों के विकास की प्रक्रिया की गति बढ़ाई जा सकती है।

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