सोयाबीन की एनआरसी प्रजाति की किस्में NRC soybean varieties for MP किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगी इनके बारे में जानें …
NRC soybean varieties for MP ; प्रतिकूल मौसम की वजह से उत्पन्न होने वाली परिस्थिति के कारण सोयाबीन की खेती में करने में कठिनाई आती जा रही है। सोयाबीन की फसल में फैलने वाले रोग एवं कम वर्षा के कारण सोयाबीन की पैदावार प्रभावित होती है। जिसके चलते किसानों की आय प्रभावित हो रही है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों की इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अब सोयाबीन की कई ऐसी किस्में इजाद की है, जो कम वर्षा में भी अच्छा उत्पादन देगी।
NRC soybean varieties for MP – जल्दी पकने वाली किस्मों पर अधिक फोकस
मौसम की अनियमितता के कारण अब सोयाबीन की परिपक्वता अवधि कम होने के कारण बाद में यदि पानी नहीं गिरता है तो भी अच्छी NRC soybean varieties for MP पैदावार होगी, वहीं दूसरी ओर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण सोयाबीन की फसल सुरक्षित रहेगी। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित ऐसी ही एनआरसी प्रजाति की किस्म के बारे में इस लेख में बताया जाएगा। यह किस्में कम समय में पकती है। इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी है। सोयाबीन की उन्नत किस्मों के बारे में जानिए।
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एनआरसी 150 किस्म के बारे में जानिए
इंदौर के सोयाबीन अनुसंधान केंद्र में अखिल भारतीय समन्वित सोयाबीन अनुसंधान परियोजना की बैठक के बाद सोयाबीन की ऐसी किस्मों NRC soybean varieties for MP का चयन किया गया, जो मालवा मध्य प्रदेश की मौसम परिस्थिति के अनुसार अच्छी पैदावार दे सकती है। बैठक में सोयाबीन अनुसंधान केंद्र में ही विकसित सोयाबीन की किस्म एनआरसी 150 किस्म के उपयोग की अनुशंसा पहचान समिति ने की। इसकी विशेषता यह है कि यह मात्र 91 दिन में परिपक्व होती है। यह सोया गंध के लिए जिम्मेदार लाइपोक्सीजिनेज-2 एंजाइम से मुक्त है। यह रोग प्रतिरोधी भी है।
एनआरसी की प्रजातियां अनुशंसित की गई
सोयाबीन अनुसंधान संस्थान की कार्यवाह निदेशक डा. नीता खांडेकर ने बताया कि ‘किस्म पहचान समिति’ ने देश के तीन कृषि जलवायु क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त किस्म NRC soybean varieties for MP वीएलएस 99 (उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र के लिए), एनआरसी 149 (उत्तरी मैदानी क्षेत्र के लिए) और मध्य क्षेत्र के लिए 4 किस्में एनआरसी 152, एनआरसी 150, जेएस 21-72 एवं हिम्सो-1689 की पहचान की है। इस वर्ष सोयाबीन अनुसंधान संस्थान सोयाबीन की तीन किस्मों की पहचान करने में सफल रहा।
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एनआरसी प्रजातियों की यह किस्में रोग प्रतिरोधक है
सोयाबीन किस्म NRC soybean varieties for MP एनआरसी 149 में उत्तरी मैदानी क्षेत्र के प्रमुख पीला मोेक रोग, राइोक्टोनिया एरियल ब्लाइट के साथ-साथ गर्डल बीटल और पर्णभक्षी कीटों के लिए प्रतिरोधी हैं। एनआरसी 152 नामक किस्म अतिशीघ्र पकने वाली (90 दिनों से कम), खाद्य गुणों के लिए उपयुक्त तथा अपौष्टिक क्लुनिट् ट्रिप्सिंग इनहिबिटर और लाइपोक्सीजेनेस एसिड-2 जैसे अवांछनीय लक्षणों से मुक्त है।
सोयाबीन की किस्म NRC 150 गंध रहित
सोयाबीन की प्राकृतिक गंध पसंद नहीं आने के कारण कई लोग इससे बने खाद्य उत्पादों का इस्तेमाल करने से परहेज करते हैं, लेकिन इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (IISR) के वैज्ञानिकों ने इसका तोड़ निकालते हुए सोयाबीन की अनचाही गंध से मुक्त किस्म NRC soybean varieties for MP विकसित करने में कामयाबी हासिल की है।
बता दे की, अखिल भारतीय समन्वित सोयाबीन अनुसंधान परियोजना की इंदौर में हाल ही में संपन्न 52वीं वार्षिक समूह बैठक के दौरान सोयाबीन NRC soybean varieties for MP की उन्नत किस्म ‘एनआरसी 150’ की खेती की सिफारिश की गई है। आईआईएसआर वैज्ञानिकों वर्षों की मेहनत के बाद अनुसंधान में विकसित यह किस्म सोयाबीन की प्राकृतिक गंध के लिए जिम्मेदार लाइपोक्सीजिनेज-2 एंजाइम से मुक्त है।
यानी इससे बनने वाले सोया दूध, सोया पनीर, सोया टोफू आदि उत्पादों में यह गंध नहीं आएगी। IISR के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, सोयाबीन की NRC soybean varieties for MP ‘एनआरसी 150’ किस्म प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है और कुपोषण दूर करने के लक्ष्य के साथ विकसित की गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अनचाही गंध से मुक्त होने के कारण सोयाबीन की इस किस्म से बने खाद्य पदार्थों का आम लोगों में इस्तेमाल बढ़ेगा।
NRC soybean varieties for MP सोयाबीन NRC 150 इन क्षेत्रों के लिए उपर्युक्त – मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश का बुदेलखंड क्षेत्र, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र का विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र इत्यादि।
सोयाबीन NRC 152 के बारे में जानिए
सोयाबीन की NRC 152 किस्म NRC soybean varieties for MP आईसीएआर-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर (मध्य प्रदेश) द्वारा विकसित की गई है। एनआरसी 152 नामक किस्म अतिशीघ्र पकने वाली (90 दिनों से कम), खाद्य गुणों के लिए उपयुक्त तथा अपौष्टिक क्लुनिट्ज़ ट्रिप्सिंग इनहिबिटर और लाइपोक्सीजेनेस एसिड -2 जैसे अवांछनीय लक्षणों से मुक्त है।
NRC 152 इन क्षेत्रों के लिए उपर्युक्त – मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश का बुदेलखंड, राजस्थान का क्षेत्र, गुजरात और महाराष्ट्र का मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र इत्यादि।
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NRC150 का बीज कहा मिलेगा
इंदौर एवं उज्जैन की बीज कंपनियों के पास मिल जाएगा।