कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार की नई किस्म, सोयाबीन की खेती में आएगी क्रांति, किसानों को होगा जबरदस्त मुनाफा 

सोयाबीन की यह नवीन किस्म New soybean variety NRC 188 बहुत फायदा देगी, इस किस्म की विशेषताएं एवं उपज की पूरी जानकारी पढ़ें..

New soybean variety NRC 188 | किसानों के लिए पीले सोने के नाम से मशहूर सोयाबीन की खेती पिछले दो-तीन वर्षों से लगातार घाटे में रही है। लागत बढ़ने एवं उत्पादन कम होने के कारण सोयाबीन के भाव कम रहने से किसानों को नुकसान हुआ है। इसके कारण कई किसानों का रुझान सोयाबीन की खेती से कम होने लगा। हालांकि खरीफ सीजन में सोयाबीन का विकल्प नहीं होने के कारण अभी भी किसान सोयाबीन की खेती को ही प्राथमिकता दे रहे हैं।

सोयाबीन की खेती से अधिक लाभ कमाने की आशा रखने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर यह है कि कृषि वैज्ञानिकों ने एक ऐसी किस्म तैयार की है जो एक बीघा में ही लाखों रुपए की कमाई देगी। इस New soybean variety NRC 188 सोयाबीन की विशेषता सोयाबीन की इस किस्म की विशेषताएं क्या है एवं किसानों को कहां पर मिलेगी आइए सब कुछ जानते हैं..

कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की यह किस्म विकसित की

New soybean variety NRC 188 | सोयाबीन की सामान्य किस्में गंध युक्त होती है। जिसके कारण सोयाबीन की लगभग सभी किस्में खाने के लिए उपयुक्त नहीं रहती है। कृषि वैज्ञानिक अब सोयाबीन की ऐसी किस्में तैयार करने में लगा हुआ है जो खाने के लिए उपयुक्त हो, अर्थात गंध मुक्त हो। भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र इंदौर सोयाबीन की ऐसी ही एक किस्म को तैयार किया है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई सोयाबीन की यह किस्म वेजिटेबल किस्म है। इसका नाम एनआरसी NRC – 188 है।

क्या है वेजिटेबल सोयाबीन

सोयाबीन की यह वैरायटी गंध मुक्त है। इस सोयाबीन का उपयोग मटर के समान किया जा सकता है अर्थात जिस प्रकार मटर की फलियों को हरी अवस्था में उपयोग किया जाता है ठीक उसी प्रकार एनआरसी – 188 सोयाबीन की वैरायटी (New soybean variety NRC 188) की फलियों को भी उपयोग में लिया जा सकता है। मटर के दोनों के समान ही सोयाबीन की इस नवीनतम वैरायटी के दाने भी स्वादिष्ट होंगे। इस वैरायटी की फलियों के दाने को सब्जी बनाने में आसानी से उपयोग होगा।

सोयाबीन NRC – 188 की विशेषताएं

New soybean variety NRC 188 | सोयाबीन की नवीनतम वैरायटी एनआरसी 188 का दाना सोयाबीन की अन्य किस्मों के दोनों की अपेक्षा में काफी बड़ा होता है। इस वैरायटी का दाना खाने में मीठा होता है और इसमें प्रोटीन की मात्रा मटर के दानों के तुलना में चार गुना अधिक होती है।

कृषि वैज्ञानिकों ने रिसर्च के उपरांत पाया कि मटर की तुलना में सोयाबीन की इस वैरायटी के दाने सेहत के लिए अधिक फायदेमंद रहेंगे। खास बात यह है कि खरीफ के सीजन में जब बाजार में मटर आना बंद हो जाते हैं उसे समय यह उपलब्ध हो सकेगी।

एनआरसी 188 की पैदावार कितनी होगी

सोयाबीन की यह नवीनतम वैरायटी किसानों के लिए बड़ा फायदेमंद साबित होने वाली है। एनआरसी 188 (New soybean variety NRC 188) की पैदावार की बात की जाए तो हरी फली का उत्पादन एक हेक्टेयर में 40 से 45 क्विंटल तक रहेगा। पूर्ण रूप से पकने के पश्चात इसका उत्पादन सोयाबीन की अन्य किस्म के अनुसार होता है। एनआरसी 188 सोयाबीन किसानों के लिए लाभ का सौदा साबित होने वाली किस्म है। इस किस्म को एक बीघा में बोने पर लाखों की कमाई होना तय है।

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इस किस्म का उत्पादन एक हेक्टेयर में 40 से 45 होगा। इस सोयाबीन की इस वैरायटी की ताजा फलियां 40 से 50 रुपए प्रति किलो बिकेगी। तजीफली बेचकर ही किसान को एक हेक्टेयर से 1.50 लाख की कमाई होगी। इसके पश्चात पूर्ण रूप से सोयाबीन पकने पर भी अन्य सोयाबीन के अनुसार इसको बेच सकता है। सोयाबीन की अन्य वैरियटयों के समान पकाने के पश्चात इसका दाना भी पीला रहेगा।

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सोयाबीन एनआरसी 188 की पकने की अवधि/उम्र

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक सोयाबीन की इस New soybean variety NRC 188 किस्म की फलियां 75 दिन की अवस्था में पक जाती है। इस अवधि में किसान इस वैरायटी की फलियों को तोड़ सकते हैं। 75 दिन की अवस्था में फलियों में दाना ठोस हो जाता है और फलियां पीली भी नहीं पड़ती, हरि फलियां मीठी भी होती है।

खास बात यह है कि सोयाबीन की इस वैरायटी की फलियां मटर की फलियों के समान ही रहेगी। सोयाबीन की यह वैरायटी पकने के बाद आम सोयाबीन की तरह ही रहती है। सोयाबीन की इस वैरायटी का दाना पीला होता है इसलिए पकने के बाद किसान इसे मंडियों में बेंच सकते हैं।

एनआरसी 188 की पहचान

एनआरसी 188 सोयाबीन की वैरायटी (New soybean variety NRC 188) का फूल बैंगनी रंग का है। फलियां रोएंदार नहीं होती है, एकदम चिकनी होती है। जेएस 335 और जेएस 9560 में हल्के रोएं होते हैं, इस वैरायटी में ऐसे रोएं भी नहीं होते हैं। फलिया मटर की फलियों के समान होती है, इस वैरायटी का दाना मोटा होता है।

एनआरसी 188 इन क्षेत्रों के लिए अधिसूचित

भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र इंदौर द्वारा विकसित की गई सोयाबीन की यह वैरायटी मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र का मराठवाडा विदर्भ क्षेत्र और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए अधिसूचित की गई है किसान इन क्षेत्रों में सोयाबीन की इस New soybean variety NRC 188 वैरायटी को बो सकते हैं।

एनआरसी 188 का बीज कहां मिलेगा

प्राप्त जानकारी के अनुसार सोयाबीन की नवीन लेटेस्ट किस्म एनआरसी 188 का बीज कृषि अनुसंधान केंद्र इंदौर में उपलब्ध है। इसके अलावा किसान साथी अन्य बीज कंपनियों से भी एनआरसी 188 का बीज खरीद सकते हैं।

बीज दर एवं बुवाई

New soybean variety NRC 188 | सोयाबीन कि इस वैरायटी का बीज दर 80 किलो प्रति हेक्टेयर (70% अंकुरण की क्षमता वाला बीज) आदर्श रहेगा। धोनी के लिए कतार से कतार की दूरी 18 इंच, 45 सेंटीमीटर रख सकते हैं इस वैरायटी कि बोवनी अन्य वैरियटयों के समान ही कर सकते हैं।

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक सोयाबीन की बोवनी कतारों में करना चाहिए। कतारों की दूरी 30 सेमी. ‘’ बोनी किस्‍मों के लिए ‘’ तथा 45 से.मी. बड़ी किस्‍मों के लिए उपयुक्‍त है। 20 कतारों के बाद कूड़ जल निथार तथा नमी संरक्षण के लिए खाली छोड़ देना चाहिए। बीज 2.5 से 3 सेमी. गहराई त‍क बोयें।

बीज एवं खाद को अलग – अलग बोना चाहिए (खाद को पहले खेत में डाल कर हल्के मिटटी में मिला देना चाहिए फिर बीज को बोना चाहिए। खाद और बीज का सीधा संपर्क नही रहना चाहिए) जिससे अंकुरण क्षमता प्रभावित न हो।

सोयाबीन की खेती के लि‍ए भूमि का चुनाव एवं तैयारी

New soybean variety NRC 188 | सोयाबीन की खेती अधिक हल्‍की रेतीली व हल्‍की भूमि को छोड्कर सभी प्रकार की भूमि में सफलतापूर्वक की जा सकती है परन्‍तु पानी के निकास वाली चिकनी दोमट भूमि सोयाबीन के लिए अधिक उपयुक्‍त होती है। जहां भी खेत में पानी रूकता हो वहां सोयाबीन ना लें।

ग्रीष्‍म कालीन जुताई 3 वर्ष में कम से कम एक बार अवश्‍य करनी चाहिए। वर्षा प्रारम्‍भ होने पर 2 या 3 बार बखर तथा पाटा चलाकर खेत को तैयार कर लेना चाहिए। इससे हानि पहुचाने वाले कीटों की सभी अवस्‍थाएं नष्‍ट होगीं। : New soybean variety NRC 188

ढेला रहित और भूरभुरी मिटटी वाले खेत सोयाबीन के लिए उत्‍तम होते हैं। खेत में पानी भरने से सोयाबीन की फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है अत: अधिक उत्‍पादन के लिए खेत में जल निकास की व्‍यवस्‍था करना आवश्‍यक होता है। जहां तक संभव हो आखरी बखरनी एवं पाटा समय से करें जिससे अंकुरित खरपतवार नष्‍ट हो सके। यथा संभव मेड और कूड बनाकर सोयाबीन बोएं। : New soybean variety NRC 188

सोयाबीन बोने का उचित समय

जून के अन्तिम सप्‍ताह में और जुलाई के प्रथम सप्‍ताह तक का समय सबसे उपयुक्‍त है बोने के समय अच्‍छे अंकुरण हेतु भूमि में 10 सेमी गहराई तक उपयुक्‍त नमी होना चाहिए।

अगर बुवाई करने में विलंब हो रहा हो (जुलाई के प्रथम सप्‍ताह के पश्‍चात) तो बोनी की बीज दर 5- 10 प्रतिशत बढ़ा देनी चाहिए। जिससे की खेत में पौध संख्या बनाये रखे जा सके। : New soybean variety NRC 188

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7 thoughts on “कृषि वैज्ञानिकों ने तैयार की नई किस्म, सोयाबीन की खेती में आएगी क्रांति, किसानों को होगा जबरदस्त मुनाफा ”

  1. मुझे एनआरसी 181 सोयाबीन का बीज प्राप्त हो सकता है और कैसे होगा

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