कृषि विश्वविद्यालय ने धान व मूंग की कई उन्नत किस्मों को तैयार किया, कम अवधि में भरपूर पैदावार देगी ये किस्में..

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए कौन सी उन्नत किस्में (New Variety 2024) तैयार की? आइए जानते है..

New Variety 2024 | पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) ने अपनी अपनी स्थापना के बाद से किसानों से गैर-अनुशंसित बीजों को खरीदने से बचने के लिए और विश्वसनीय स्रोत से बीजों को खरीदने का आग्रह और प्रोत्साहित करता रहा है।

किसानों के दीर्घकालिक विश्वास और भरोसे को बनाए रखने के लिए गुणवत्ता और मानकों को ध्यान रखते हुए, पीएयू ने पीआर 130, पीआर 129, पीआर 128, पीआर 126, पीआर 121 और पीआर 114 जैसी कम अवधि की धान की किस्मों के पर्याप्त बीज का उत्पादन किया है। : New Variety 2024

खरीफ सीजन के भी बीज

New Variety 2024 | वर्तमान खरीफ सीजन के लिए बासमती की किस्में जैसे पंजाब बासमती 7, पूसा बासमती 1847, पूसा बासमती 1121 और पूसा बासमती 1509 की जैसी बासमती उपजों के बीज भी है। यह जानकारी देते हुए एसोसिएट डायरेक्टर (बीज) डॉ. राजिंदर सिंह ने बताया कि धान की सभी किस्में बैक्टीरिया ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी हैं और इनमें भूसे का भार भी कम है।

कम अवधि में मिलेगी अधिक उपज

इनके अलावा, अधिक उपज देने और कम अवधि वाली ग्रीष्मकालीन मूंग की किस्म एसएमएल 1827 का बीज भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. राजिंदर सिंह ने आगे कहा कि, ये बीज राज्य के सभी जिलों में स्थित विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), फार्म सलाहकार सेवा केंद्रों (एफएएससी), क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशनों (आरआरएस) और विश्वविद्यालय बीज फार्म (यूएसएफ) पर उपलब्ध हैं। : New Variety 2024

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उत्पादकता और लाभ में वृद्धि

पीएयू के कृषि वैज्ञानिक डॉ. सिंह ने किसानों से अपने नजदीकी केवीके, एफएएससी, आरआरएस और यूएसएफ से गुणवत्तापूर्ण और प्रमाणित बीज खरीदने का आह्वान किया। जिससे किसानों को बढ़ी हुई उत्पादकता और लाभप्रदता मिल सकें।

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विश्वविद्यालय ने धान की बुवाई को लेकर जारी की एडवाइजरी

New Variety 2024 | पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), लुधियाना ने नर्सरी तैयार करने के लिए 18 से 24 जून तक धान की बुआई करने की सलाह दी है। खास बात यह है कि इसके लिए विश्वविद्यालय ने योजना बनाने और उसे किसानों तक पहुंचाने के लिए राज्य के कृषि विभाग को सिफारिशें भेज दी हैं। लेकिन वह प्रदेश में गिरते भूजल स्तर को लेकर भी सतर्क है।

पीएयू के अनुसार, 1998 से 2018 की अवधि के बीच, राज्य के जल स्तर में गिरावट की औसत वार्षिक दर 0.53 मीटर थी। लेकिन कुछ केंद्रीय जिलों में स्थिति और भी खराब है, जहां भूजल स्तर में गिरावट की दर प्रति वर्ष 1 मीटर से अधिक है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, गिरते भूजल स्तर पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने भी कमर कस ली है। : New Variety 2024

इसके लिए उसने साल 2009 में पंजाब उपमृदा जल संरक्षण अधिनियम तैयार किया गया था। अधिनियम के तहत धान की बुआई देरी से शुरू करने का प्रावधान है। यानी किसान 10 जून के बाद ही धान की नर्सरी तैयार करने के लिए बुवाई कर सकते हैं। खास बात यह है कि 10 जून से पहले धान की बुवाई करने वाले किसानों के लिए दंड का प्रावधान भी है।

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