प्याज और लहसुन (Onion Garlic Disease) की खेती से अच्छी पैदावार कमाना चाहते है तो यह आर्टिकल अंत तक पढ़े…
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Onion Garlic Disease | हमारे यहां प्याज व लहसुन कंद समूह की मुख्य रूप से 2 ऐसी फसलें हैं, जिन का सब्जियों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
देश में इन की खपत काफी है और विदेशी पैसा हासिल करने में इन का बहुत बड़ा योगदान है। वैसे तो दुनिया में भारत प्याज और लहसुन की खेती में अग्रणी है, लेकिन इन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता दूसरे कई देशों से कम है।
इस के लिए दूसरे तमाम उपायों के साथ जरूरी है कि इन फसलों की रोगों व कीड़ों से सुरक्षा। फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले रोगों व कीड़ों की पहचान और उन की रोकथाम करने से काफी हद तक इन फसलों को बचाया जा सकता है।
आइए जानते है प्याज और लहसुन (Onion Garlic Disease) की खेती से अच्छी पैदावार लेने के लिए रोगों की रोकथाम कैसे करें….
प्याज-लहसुन में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम
1. झुलसा रोग
झुलसा रोग लक्षण :– यह रोग पत्तियों और डंठलों पर छोटे–छोटे सफेद और हलके पीले धब्बों के रूप में पाया जाता है, जो बाद में एकदूसरे से मिलकर भूरे रंग के धब्बे में बदल जाते हैं व आखिर में ये धब्बे गहरे भूरे या काले रंग के हो जाते हैं। : Onion Garlic Disease
धब्बे की जगह पर बीज का डंठल टूट कर गिर जाता है। पत्तियां धीरे-धीरे सिरे की तरफ से सूखना शुरू करती हैं और आधार की तरफ बढ़ कर पूरी तरह सूख जाती हैं।
अनुकूल मौसम मिलते ही यह रोग बड़ी तेजी से फैलता है और कभी–कभी फसल को भारी नुकसान पहुंचाता है।
झुलसा रोग की रोकथाम :– साफ सुथरी खेती फसल को निरोग रखती है। वहीं गरमी के महीने में गहरी जुताई और सौर उपचार काफी फायदेमंद रहता है। दीर्घकालीन असंबंधित फसलों का फसलचक्र अपनाना चाहिए। : Onion Garlic Disease
रोग के लक्षण दिखाई देते ही इंडोफिल एम-45 की की 400 ग्राम या कौपर औक्सीक्लोराइड-50 की 500 ग्राम या प्रोपीकोनाजोल 20 फीसदी ईसी की 200 मिलीलिटर प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लिटर पानी में घोल बना कर और किसी चिपकने वाले पदार्थ के साथ मिला कर 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़कें।
2. बैगनी धब्बा रोग
बैगनी धब्बा रोग के लक्षण :– यह रोग पत्तियों, तनों, बीज स्तंभों व शल्क कंदों पर लगता है। रोगग्रस्त भागों पर छोटेछोटे सफेद धंसे हुए धब्बे बनते हैं, जिनका मध्य भाग बैगनी रंग का होता है। ये धब्बे जल्दी ही बढ़ते हैं। : Onion Garlic Disease
इन धब्बों की सीमाएं लाल या बैगनी रंग की होती हैं, जिन के चारों ओर ऊपर व नीचे कुछ दूर तक एक पीला क्षेत्र पाया जाता है।
रोग की उग्र अवस्था में शल्क कंदों का विगलन कंद की गरदन से शुरू हो जाता है। रोगग्रस्त पौधों में बीज आमतौर पर नहीं बनते और अगर बीज बन भी गए तो वह सिकुड़े हुए होते हैं।
बैगनी धब्बा रोग की रोकथाम :– इस रोग की रोकथाम भी झुलसा रोग की तरह ही की जाती है। बैगनी धब्बा रोग के लक्षण दिखाई देते ही इंडोफिल एम-45 की की 400 ग्राम या कौपर औक्सीक्लोराइड-50 की 500 ग्राम
या प्रोपीकोनाजोल 20 फीसदी ईसी की 200 मिलीलिटर प्रति एकड़ के हिसाब से 200 लिटर पानी में घोल बना कर और किसी चिपकने वाले पदार्थ के साथ मिला कर 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़कें। : Onion Garlic Disease
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3. आधारीय विगलन रोग
आधारीय विगलन रोग के लक्षण :– इस रोग के प्रकोप से पौधों की बढ़वार रुक जाती है और पत्तियां पीली पड़ जाती हैं। बाद में पत्तियां ऊपर से नीचे की तरफ सूखना शुरू होती हैं।
कभी-कभी पौधे की शुरू की अवस्था में इस रोग के कारण जड़ें गुलाबी या पीले रंग की हो जाती हैं और आकार की सिकुड़ कर आखिर में मर जाती हैं। रोग की उग्र अवस्था में शल्क कंद छोटे रहते हैं और इस रोग का प्रभाव कंदों के ऊपर गोदामों में सड़न के रूप में देखा जाता है। : Onion Garlic Disease
आधारीय विगलन रोग की रोकथाम :– आखिरी जुताई के समय रोगग्रस्त खेतों में फोरेट दानेदार कीटनाशी 4.0 किलोग्राम प्रति एकड़ मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाएं। दीर्घकालीन असंबंधित फसलों से 2-3 साल का फसलचक्र अपनाएं। कंद को खुले व हवादार गोदामों में रखना चाहिए।
4. विषाणु रोग
विषाणु रोग के लक्षण :– इस रोग के कारण पत्तियों पर हलके पीले रंग की धारियां बनती हैं और पत्तियां मोटी व अंदर का भाग लहरदार हो जाता है। ऐसे हालात में धारियां आपस में मिल कर पूरी पत्ती को पीला कर देती हैं और बढ़वार रुक जाती है। : Onion Garlic Disease
विषाणु रोग की रोकथाम :– चूंकि यह रोग कीड़ों से फैलता है, इसलिए फसलवर्धन काल में जब भी इस रोग के लक्षण दिखें, उसी समय मैटासिस्टौक्स या रोगोर नामक किसी एक दवा का एक मिलीलिटर दवा का प्रति लिटर पानी में मिला कर छिड़काव करें। जरूरत पड़ने पर दोबारा छिड़काव करें।
प्याज-लहसुन की फसल में किट नियंत्रण
1. थ्रिप्स किट
इस कीड़े के शिशु व प्रौढ़ दोनों पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं। प्रौढ़ काले रंग के बहुत ही छोटे, पतले व लंबे होते हैं, जबकि शिशु यानी बच्चे हलके भूरे व पीले रंग के होते हैं, जहां से पत्तियां निकलती हैं, उसी जगह ये कीड़े रहते हैं और नई-नई कोमल पत्तियों का रस चूसते हैं। : Onion Garlic Disease
इनके प्रकोप से पत्ते के सिरे ऊपर से सफेद व भूरे हो कर सूखने व मुड़ने लगते हैं। इस वजह से पौधों की बढ़वार रुक जाती है। ज्यादा प्रकोप होने पर पत्ते चोटी से चांदीनुमा हो कर सूख जाते हैं।
बाद की अवस्था में इस कीड़े का प्रकोप होने पर शल्क कंद छोटे रहते हैं और आकृति में भी टूटेफूटे होते हैं। बीज की फसल पर इस कीड़े का बहुत ज्यादा असर पड़ता है। : Onion Garlic Disease
थ्रिप्स की रोकथाम :– इस कीड़े की रोकथाम के लिए बारी-बारी से किसी एक कीटनाशक को 200-250 लिटर पानी में घोल बना कर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।
(क) 1.75 मिलीलिटर फैनवैलरेट 20 ईसी
2. 175 मिलीलिटर डैल्टामेथ्रिन 2.8 ईसी
3.60 मिलीलिटर साइपरमेथ्रिन 25 ईसी
या 150 मिलीलिटर साइपरमेथ्रिन 10 ईसी
(ख) 1.300 मिलीलिटर मेलाथियान 50 ईसी
प्याज व लहसुन में चुरड़ा कीट की रोकथाम के लिए लहसुन का तेल 150 मिलीलिटर और इतनी ही मात्रा में टीपोल को 150 लिटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ में 3 से 4 छिड़काव करें। : Onion Garlic Disease
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Onion Garlic Disease | थ्रिप्स की रोकथाम के समय बरतें सावधानी :-
एक ही कीटनाशी का बार-बार इस्तेमाल न करें।
छिड़काव की जरूरत मार्च–अप्रैल महीने में पड़ती है, क्योंकि कीड़ा फरवरी से मई महीने तक नुकसान करता है, इसलिए कोई चिपकने वाला पदार्थ घोल में जरूर मिलाएं।
छिड़काव के कम से कम 15 दिन बाद ही प्याज इस्तेमाल में लाएं।
प्याज व लहसुन मक्खी नियंत्रण
Onion Garlic Disease | कभी–कभी इस कीड़े का प्रकोप भी इन फसलों पर देखने में आता है। लहसुन की मक्खी घरों में पाई जाने वाली मक्खी से छोटी होती है। इस के शिशु (मैगट) व प्रौढ़ दोनों ही फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। मादा सफेद मक्खी मटमैले रंग की होती है, जो मिट्टी आमतौर पर बीज स्तंभों के पास मिट्टी में अंडे देती है।
अंडों से नवजात मैगट स्तंभों के आधार पर खाते हुए फसल के भूमिगत तने वाले हिस्सों में आक्रमण करते हैं और बाद में कंदों को खाना शुरू कर देते हैं, जिस से पौधे सूख जाते हैं। बाद में इन्हीं कंदों पर आधारीय विगलन रोग का आक्रमण होता है, जिस से बल्ब सड़ने लगते हैं।
मक्खी नियंत्रण :– आखिरी जुताई के समय खेत में फोरेट कीटनाशी 4.0 किलोग्राम प्रति एकड़ मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाएं और बाद में थ्रिप्स में बताई गई कीटनाशियों का इस्तेमाल करें। : Onion Garlic Disease
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