मंडियों में प्याज के दाम में लगातार गिरावट का दौर, जानें ऐसा क्यों हो रहा है एवं कब तक भाव बढ़ेंगे

onion rate in mandi: प्याज आज का भाव क्या चल रहा है? प्याज के भाव मे क्यो कमी आ रही है, जानें सब कुछ..

onion rate in mandi | प्याज की खेती करने वाले किसानों को लगातार दूसरे वर्ष परेशानी का सामना करना पड़ रहा है इस वर्ष भी प्याज के दाम में लगातार गिरावट का दौर चल रहा है, जबकि यही प्याज मार्केट में ऊंचे दामों पर बिक रहा है। इसको लेकर किसानों का आरोप है कि सरकार की नीतियां प्याज की कीमत में अस्थिरता के लिए जिम्मेदार है। प्याज की कीमत लगातार कम क्यों हो रही है, आइए जानते हैं।

अभी प्याज के भाव क्या है जानिए (onion rate in mandi)

थोक मंडियों में प्याज के दाम में लगातार गिरावट का दौर जारी है। इंदौर की थोक मंडी में सोमवार को प्याज 600 से 800 रुपये क्विंटल के दाम पर बिका। कमजोर दाम किसानों को नाराज और निराश कर रहे हैं। फरवरी में इंदौर की थोक मंडी में प्याज के दाम 1300 रुपये क्विंटल तक थे। यानी दो महीने में दाम में 500 रुपये क्विंटल की गिरावट आ चुकी है।

प्याज उत्पादक किसानों के अनुसार, प्याज onion rate in mandi की उत्पादन लागत ही 1200 रुपये क्विंटल है। ऐसे में प्याज कम से कम 1500 रुपये के दामों पर बिकेगा तब ही किसानों की लागत निकलकर कुछ आय हो सकेगी। मप्र में प्याज का बुवाई रकबा करीब 1.80 लाख हेक्टेयर है और इस सीजन में 50 लाख टन प्याज पैदा होने की उम्मीद है।

15 अप्रैल से मालवा-निमाड़ में प्याज की आवक बढ़ेगी

onion rate in mandi प्याज की खेती करने वाले किसान नाराज हैं, क्योंकि उनकी उत्पादन लागत भी नहीं निकल रही। व्यापारी कह रहे हैं कि पड़ोसी देशों की परिस्थितियां देश की मंडियों में प्याज के गिरते दामों की वजह है। किसान संघ प्याज के घटे दामों के लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बता रहा है।

भारतीय किसान संघ के महानगर अध्यक्ष दिलीप मुकाती के अनुसार, 15 अप्रैल से मालवा-निमाड़ में प्याज की आवक बढ़ेगी। ऐसे में दाम कमजोर रहे तो किसानों को खासा नुकसान होगा। दो साल से प्याज उपजाने वाले किसान और व्यापारी दोनों घाटे में हैं। केंद्र सरकार की गलत नीतियां इसकी वजह हैं।

सरकारी एजेंसी नाफेड आने वाले समय में प्याज onion rate in mandi की खरीदी करेगी। क्योंकि सरकार को खरीदी करना है, इसलिए वह खुद दाम बढ़ने देना नहीं चाहती। निर्यात नीति भी अस्थिर है। देश और विदेश के व्यापारियों में डर है कि सरकार अचानक रातों-रात निर्यात प्रतिबंधित कर सकती है। ऐसे में अन्य देशों के व्यापारी एडवांस सौदे भी नहीं कर रहे।

निर्यात नहीं होने से घट रहे प्याज के दाम

इंदौर आलू-प्याज व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष ओमप्रकाश गर्ग के अनुसार, विदेशी असर प्याज onion rate in mandi के गिरते दामों की खास वजह है। श्रीलंका, बांग्लादेश भारतीय प्याज के बड़े खरीदार हैं। श्रीलंका के आर्थिक हालात बिगड़ने से वहां निर्यात नहीं हो रहा। बांग्लादेश से भी मांग नहीं है, क्योंकि वहां पर स्थानीय प्याज उपलब्ध है।

निर्यात मांग नहीं निकलने और उपलब्धता अच्छी होने से दामों में गिरावट आ रही है। हालांकि, उम्मीद है कि 15 दिन बाद बांग्लादेश से मांग निकलने लगेगी, जिससे प्याज के दामों में सुधार आ सकता है। इस बीच कुछ व्यापारी बता रहे हैं कि बीते वर्षों में श्रीलंका-नेपाल भेजे गए प्याज के रुपयों का भुगतान अब भी अटका हुआ है। इस अविश्वास से भी निर्यात घटा है।

थोक मंडी एवं खुले मार्केट में प्याज के भाव में इतना अंतर क्यों है जानिए

इस साल एक बार फिर प्याज onion rate in mandi ने किसानों को रोने पर मजबूर कर दिया है। खेतों में कड़ी मेहनत कर प्याज की उपज लेने वाले किसानों को मंडी में लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रही है। व्यापारी दो से पांच रुपये किलो में किसानों का प्याज खरीद रहे हैं। बाजार में यही प्याज 20 से 25 रुपये किलो तक में बेचा जा रहा है। ऐसे में एक तरफ किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

वहीं, ग्राहकों को भी महंगे दामों पर प्याज खरीदना पड़ रहा है। इधर व्यापारी तगड़ा मुनाफा कमा रहे हैं। मंडी में व्यापारी किसानों के प्याज को गुणवत्ताहीन बताकर दो रुपये किलो में खरीद रहे हैं। इसी प्याज से छंटनी करके अच्छा प्याज निकालकर आठ से दस रुपये किलो में फुटकर विक्रेताओं को बेच रहे हैं। फुटकर विक्रेता बाजार में यह प्याज 20 से 25 रुपये किलो में ग्राहकों को बेच रहे हैं।

भाड़ा भी नहीं निकल रहा

onion rate in mandi किसानों को प्याज लगाने पर एक एकड़ में 80 हजार रुपये तक की लागत लगती है लेकिन जब यही प्याज मंडी में बेचने जाते हैं तो कम भाव होने के कारण महज 50 से 60 हजार रुपये तक में बिकती है। ऐसे में किसान खेत से मंडी तक प्याज ले जाने का वाहन भाड़ा तक नहीं निकाल पा रहा है।

भारतीय किसान संघ ने भावांतर की राशि देने की मांग की

भारतीय किसान संघ ने प्याज की फसल onion rate in mandi पर सात से आठ रुपये तक भावांतर की राशि देने की मांग की है। किसान संघ के उपाध्यक्ष सुभाष पटेल का कहना है कि प्याज के मामले में हमेशा किसान और उपभोक्ता नुकसान उठा रहा है। जिस प्रकार महाराष्ट्र सरकार किसानों को आठ से दस रुपये किलो का भावांतर प्याज पर दे रही है। उसी तरह की व्यवस्था मध्यप्रदेश सरकार द्वारा भी शुरू की जानी चाहिए। ताकि किसानों को आर्थिक नुकसान नहीं उठाना पड़े।

प्याज onion rate in mandi की मौजूदा कीमत में गिरावट का मुख्य कारण फरवरी के दूसरे हफ्ते से तापमान में अचानक बढ़ोतरी है। हाई मॉइस्चर वाले प्याज में हीट शॉक से क्वालिटी खराब होने का खतरा होता है। अचानक सूखने के कारण बल्ब सिकुड़ जाते हैं।

आम तौर पर, किसान (Pyaj Lahsun Bhav today) इस समय केवल खरीफ की फसल onion rate in mandi ही बेचते है। लेकिन इस बार भीषण गर्मी ने उन्हें लेट खरीफ प्याज भी उतारने पर मजबूर कर दिया है, जिसे अब स्टोर नहीं किया जा सकता है। चूंकि खरीफ और लेट-खरीफ दोनों प्याज एक ही समय पर आ रहे हैं, इसलिए कीमतों में गिरावट आई है।

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