गाय के गोबर से बिजनेस करके लाखो रुपए कमा रहा किसान, जैविक खाद एवं कीटनाशक बनाकर बेंचे

Organic farming : जैविक मैन से प्रसिद्ध गाय के गोबर से लाखों की कमाई, कम मेहनत में मिलेगा लाखों रुपये कमाने का मौका..

Organic farming | आज के दौर में अधिकतर किसान अपनी उपज बड़ाने के लिए रासायनिक कीटनाशक एवं खाद उर्वरक का इस्तेमाल करते है। कीटनाशकों और रसायनिक खादों के ज्यादा उपयोग की वजह से मिट्टी की उर्वरा शक्ति लगातार कम हो रही है। रसायनिक खाद खेतों के जैव विविधता को खत्म करती है। खेतों में मौजूद जीवों को कीटनाशकों से हानि पहुंचती है।

यही वजह है कि लगातार इसके उपयोग से खेत बंजर होते चले जाते हैं। यही वजह है कि आज देशभर में किसान जैविक खाद Organic farming के प्रति सकारात्मक रवैया अपना रहे हैं। देश-विदेश में उपभोक्ता भी अब लगातार जैविक उत्पाद की मांग कर रहे हैं। आज देश में हजारों किसान जैविक खेती कर रहे हैं और अपने उत्पाद को ज्यादा रेट में बेचकर काफी मुनाफा कमा रहे हैं।

 

जैविक उत्पाद की बढ़ती मांग को देखते हुए चूंकि बहुत सारे किसान जैविक खेती की ओर अपना रुझान दिखा रहे हैं। यही वजह है कि जैविक खाद Organic farming की मांग भी बढ़ रही है। बहुत सारे किसान ऐसे हैं जो खेती के साथ जैविक खाद का निर्माण कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।

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जैविक मैन से प्रसिद्ध है किसान..

किसान मुनिलाल महतो को पूरे इलाके में जैविक मैन के नाम से जानते हैं। साल 2013 से ही वे जैविक खेती कर रहे हैं। जैविक विधि से उत्पादन करने के बाद बाजार में मुनिलाल जी को उनके उत्पाद का अच्छा रेट मिल जाता है। यही वजह है कि आज सैकड़ों किसान उनसे Organic farming की ट्रेनिंग लेने आते हैं और मुनिलाल जी के साथ अपने खेत की मिट्टी को सुरक्षित करते हुए, पोषित रखते हुए अच्छी आमदनी कर पाते हैं।

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कितना होता है फायदा, जानें

जब मुनिलाल रासायनिक खाद से खेती कर रहे थे तो उनकी मिट्टी की उर्वरा शक्ति का काफी ह्रास हुआ। धीरे धीरे उत्पादन बेहद कम होने लगा। जिसके बाद उन्होंने जैविक खेती के बारे में जानकारी जुटाई और अपनी खेती को जैविक खेती Organic farming की ओर शिफ्ट की। जिसके बाद शुरुआती दिनों में थोड़ा संघर्ष रहा लेकिन 1 साल के बाद उत्पादन अच्छा होने लगा। धीरे धीरे उत्पादन इतना बढ़ा कि रसायनिक खेती से होने वाले उत्पादन के बराबर उत्पादन होने लगा।

बाजार में किसान मुनिलाल जी के उत्पाद का रेट सवा गुना से डेढ़ गुना तक मिलने लगा। इस तरह उनकी आमदनी काफी अच्छी होने लगी। इतना ही नहीं इन उत्पादनों का इतना सकारात्मक प्रभाव हुआ कि आसपास के किसान भी मुनिलाल महतो से प्रभावित हुए और उन्होंने भी जैविक विधि Organic farming से खेती शुरू की। बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर प्रखंड के किसान प्रमोद महतो ने बताया कि उन्होंने भी मुनिलाल जी के सफलता से प्रभावित होकर जैविक खेती शुरू की। अभी उनकी भी इनकम पहले से काफी बढ़ गई है। बाजार में उत्पाद के अच्छे दाम मिलते हैं।

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जैविक विधि से खेती के अलावा खाद का भी कर रहे हैं उत्पादन

किसान मुनिलाल महतो जैविक विधि Organic farming से खेती के अलावा जैविक खाद का उत्पादन भी बड़े स्तर पर कर रहे हैं। इससे वे अपनी खेती के लिए खाद पैदा करते ही हैं। लेकिन दूसरे किसानों की जरूरत को भी पूरा करते हैं। इससे भी उन्हें काफी फायदा हो रहा है।

किसान प्रमोद महतो ने बताया कि आज वे वर्मी कंपोस्ट बड़ी मात्रा में तैयार कर रहे हैं और इसके अलावा वह फ्लाइश खाद का प्रोडक्शन भी बड़ी मात्रा में कर रहे हैं। इससे भी काफी अच्छी इनकम हो पा रही है। चूंकि जैविक किसान लगातार प्रदेश में बढ़ रहे हैं, लोग जैविक खाद के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। इसलिए आने वाले भविष्य में भी इस खाद Organic farming का उत्पादन बिजनेस का एक अच्छा स्रोत साबित होने वाला है।

जैविक खाद से किसानों को भी होता है फायदा

मुनिलाल महतो के मुताबिक मार्केट में अभी रसायनिक खाद का रेट 40 रुपए प्रति किलोग्राम है। लेकिन जैविक उर्वरक काफी सस्ती है। मात्र 6 रुपए प्रति किलो जैविक उर्वरक मिल जाते हैं। इस तरह किसानों को इस उर्वरक के उपयोग से काफी फायदा है।

एक तो ये काफी सस्ता है, वहीं दूसरी ओर इसे बड़ी मात्रा में उपयोग में लाकर खेतों की उर्वरा शक्ति Organic farming और उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा किसानों को जैविक खेती में एक और फायदा ये है कि जहां रसायनिक खाद का उपयोग करने पर फसल में 6 बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है वहीं जैविक खेती में 3 सिंचाई में ही काम हो जाता है। इस तरह खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल जाता है।

अतिरिक्त कमाई सालाना 60.000

खेती के अलावा प्रगतिशील किसान जैविक उर्वरक का निर्माण बड़े स्तर पर करते हैं। अपनी जरूरत के मुताबिक दो एकड़ जमीन पर वे जैविक खाद Organic farming का उपयोग करते हैं। बाकी उर्वरकों को वह बेचकर अतिरिक्त आय करते हैं। कीटनाशक के तौर पर गोमूत्र, नीम युक्त जल आदि का उपयोग करते हैं और उन्हें भी बेंच देते हैं। इस तरह मुनिलाल सालाना 60 हजार रुपए से ज्यादा अतिरिक्त शुद्ध मुनाफा कमा पाते हैं।

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