धान की सीधी बुवाई (Paddy Sowing Technique) करें! कम लागत में ज्यादा पैदावार पाएं, किसानों को प्रति हेक्टेयर 4,500 रुपये दे रही सरकार। देखें डिटेल।
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Paddy Sowing Technique | कई राज्यों में मानसून की धमाकेदार एंट्री के बाद खरीफ फसलों की बुवाई तेज हो गई है। अच्छी पैदावार के लिए अधिकतर किसान या तो उन्नत बीज खरीदते है या ज्यादा खाद एवं उर्वरक का उपयोग करते है। लेकिन बुवाई किस तकनीक से करना चाहिए इस बात पर भी गौर करना चाहिए।
यदि खेतों में बीज की बिजाई अच्छे से होती है तो, यक़ीनन पौधे का फुटाव अच्छा रहता है। यहां हम आज चौपाल समाचार के इस आर्टिकल में बात करने वाले है धान की बुवाई की तकनीक के बारे में, जिससे किसान साथी अच्छी पैदावार ले सकते है। साथ ही आपको बताते चले कि, प्रदेश सरकार धान की सीधी बुवाई (Paddy Sowing Technique) पर 4500 रूपये प्रति हेक्टेयर तक अनुदान भी दे रही है। आइए जानते है इसके बारे में डिटेल से…
इस विधि से करें धान की बुवाई
Paddy Sowing Technique | धान खरीफ सीजन में सबसे प्रमुख फसल है धान की खेती के लिए किसानों को काफी ज्यादा पानी की जरूरत होती है। इसमें पारंपरिक धान की खेती के तरीकों में धान की सीधी बुवाई (DSR) तकनीक काफी महत्वपूर्ण है। फसल चक्र में धान की सीधी बुवाई समय की जरूरत है। इससे पानी की बचत के साथ-साथ मिट्टी संरक्षण व संरचना में अनुकूल बदलाव होता है।
धान की सीधी बुवाई तकनीक को अपनाने से फसलोत्पादन की लागत में कमी आती है। 5 से 6 फीसदी पैदावार में बढ़ोतरी भी होती है इस तकनीक से 10 से 15 फीसदी पानी की बचत होती है। धान की सीधी बुआई (Paddy Sowing Technique) एक ऐसी तकनीक है, जिसमें धान के पौधे को बिना नर्सरी तैयार किए हुए सीधा खेत में लगाया जाता है। इस प्रक्रिया में धान की रोपाई की जरूरत नहीं होती है।
किसान धान के बीज को सीधे खेत में छिड़काव करके सीड ड्रिल यानी डीसीआर मशीनों से बुवाई (Paddy Sowing Technique) करते हैं। सीधी बिजित धान की फसल में पहली सिंचाई देरी से लगाएं, जिससे खरपतवारों की समस्या काफी कम हो जाती है और फसल की बढ़वार भी अच्छी हो जाती है। इसके अलावा खरपतवार नाशियों के प्रयोग से खरपतवारों को काफी हद तक कम किया जा सकता है और बचे हुए खरपतवारों को हाथ से खेत निकाल दें।
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Paddy Sowing Technique | धान की सीधी बुवाई क्यों करे?
वर्षा एवं सिंचाई जल की कमी
वर्षा का असमान वितरण
भूमिगत जल में निरंतर गिरावट
मृदा के स्वास्थ्य में निरंतर ह्रास
मृदा में सतह में कठोरपन आना
मृदा में दरारे फटना
संचित नमी का तीव्र ह्रास
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कम अवधि वाली धान की किस्में बोएं
Paddy Sowing Technique | यह तकनीक कम अवधि वाली धान की किस्म- पीबी 1509, पीआर 126, पीबी 1847 के साथ ज्यादा कारगर है। इस तकनीक को बासमती धान व मोटे धान में भी अपनाया जा सकता है। इस तकनीक की सफलता में धान की किस्म की अवधि का खास महत्व है।
अगर कम अवधि की किस्मों का इस्तेमाल करते हुए इस तकनीक को अपनाते हैं तो पानी की बचत 30 फीसदी तक बढ़ जाती है। इस तकनीक से ज्यादा बारिश की स्थिति में भूमिगत जल का स्तर बढ़ता है और धान के अलावा दूसरी फसलों को भी फायदा होता है।
खरपतवार की करें रोकथाम
Paddy Sowing Technique | सीधी बिजित धान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए बत्तर अवस्था में पेंडीमिथेलिन का 13. लीटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर बिजाई के तुरंत बाद शाम के समय अच्छी नमी की अवस्था में स्प्रे करें। सूखी सीधी बिजित धान में बिजाई के तुरंत बाद सिंचाई की जाती है। उसमें पेंडीमिथिलीन 1.3 लीटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर सिंचाई के 3 दिन के अंदर स्प्रे करें।
प्रति एकड़ 4500 रुपये देती है सरकार
Paddy Sowing Technique | हरियाणा सरकार धान की सीधी बुआई तकनीक को बढ़ावा देने के लिए 4,500 रुपये प्रति एकड़ सब्सिडी दे रही है और डीएसआर (DSR) मशीन खरीदने पर 40,000 रुपये सब्सिडी दे रही है।
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