मुंग, अरहर एवं उड़द की खेती से मिलेगा दोहरा लाभ, यहां जानें अरहर, मुंग एवं उड़द की इन नई किस्मों (Pulses Variety) की डिटेल…
Pulses Variety | मानसून आते ही पूरे देशभर में खरीफ फसलों की बुवाई शुरू की जाने लगती है। मुख्य तौर पर खरीफ फसलें मानसून पर ही निर्भर रहती है।
सबसे ज्यादा पानी धान की फसलों के लिए लगता है। अच्छी बारिश हो तो फसल भी अच्छी होती है।
लेकिन कुछ इलाकों में देखा जाता है की, अच्छी बारिश नहीं होती है जिसके चलते किसान भाई धान, सोयाबीन सहित अन्य खरीफ फसलों की बुवाई से पिछड़ जाते है। Pulses Variety
ऐसे में किसानों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हम आपको यहां बताने वाले अरहर, मुंग एवं उड़द की ऐसी किस्मों के बार में। जिन्हें आप अगस्त के पहले पखवाड़े में बो कर भी अच्छा मुनाफा कमा सकते है..
अरहर, मुंग एवं उड़द की खेती से मिलेगा दोहरा लाभ
अरहर, मुंग एवं उड़द की खेती से किसानों को दोहरा लाभ मिलेगा। पहला इसकी खेती से होने वाली कमाई एवं दूसरा, दलहनी (अरहर, मुंग व उड़द) फसलें भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने वाली फसल है। Pulses Variety
यानी आप पूरे साल में एक बार दलहनी फसल की खेती कर रहे है तो, आपके खेत की उर्वरा शक्ति बेहतर बनी रहेगी ताकि अगली फसल की खेती से आप बंपर मुनाफा कमा सकते है। सरकार भी दलहनी सहित मोटे अनाजों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
दलहनी फसलों के लिए भूमि का चयन
भूमि का चयन करते समय ध्यान रखना चाहिए कि खेत ऊंचा एवं समतल हो तथा उसमें जल निकास अच्छा हो। Pulses Variety
इनको अधिकांश मृदाओं में उगाया जा सकता है। उत्तर भारत में अरहर, मूंग एवं उड़द को मटियार दोमट मिट्टी से लेकर रेतीली दोमट मिट्टी में उगाया जाता है।
अरहर, उड़द एवं मूंग की फसल के लिए बलुई-दोमट अथवा दोमट मिट्टी, जिसका पी-एच मान 6.5 से 7.5 के बीच हो, सर्वोत्तम रहती है।
Pulses Variety ; यदि मृदा में दीमक की समस्या हो तो इसके प्रकोप से बचने के लिए 20-25 कि.ग्रा./हैक्टर कार्बोरियल (59 प्रतिशत) धूल मिट्टी में उस समय मिलानी चाहिए जब खेत की तैयारी अंतिम चरण में हो। 10 कि.ग्रा./हैक्टर की दर से एल्डीकार्ब या फोरेट का प्रयोग भी लाभदायक रहता है।
अगस्त में बोई जाने वाली अरहर, मुंग एवं उड़द की किस्में
उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के लिए उपयुक्त :- अरहर की उन्नत Pulses Variety प्रजातियां पूसा 16, पूसा 33, पूसा 991, पूसा 992, पूसा 2001, पूसा 2002, पूसा 855, उपास 120, मानक, ए.एल.-15, ए.एल.-201,आई.सी.पी.एलू-151, एच. 82-1, पी.वी.एच. (हाइब्रिड),
उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए :- पूसा 9, नरेन्द्र अरहर 1, पंत अरहर 291, अमर, नरेन्द्र अरहर 2, मालवीय विकल्प 3, मालवीय विकल्प 6, मालवीय चमत्कार 13,
बहार, उपास 120, आजाद के 21, टाइप-17, टाइप-7, बी.-511, श्वेता (बी.-७), डी.ए.-11, बिरसा अरहर-1,
उत्तर-पहाड़ी क्षेत्र के लिए :- पूसा अगेती, टाइप-1, उपास 120, आई.सीपी.एलू-151 व मूंग की पूसा विशाल, पूसा 9531, पूसा रत्ना, पूसा 672, सम्राट, पी.डी.एम. 54 पी.डी.एम. 11, आईपीएम-02-3,
आईपीएम-02-14, एसएमएल-668, पंत मूंग 1, पंत मूंग 2, पंत मूंग 3, पंत मूंग 4, पंत मूंग 5 एवं उड़द की शेखर 1,
के.यू.जी.-479 नरेन्द्र उड़द-1, आजाद उड़द 1, आजाद उड़द 2, आजाद उड़द 3, शेखर 1, शेखर 2, शेखर 3, डब्ल्यूबीयू-108 आदि प्रमुख हैं। Pulses Variety
खरपतवार की समस्या एवं उपाय
Pulses Variety ; बुआई के प्रारंभिक 4-5 सप्ताह तक खरपतवारों की समस्या अधिक रहती है। इसके लिए किसान नीचे दी गई इन दवाईयो का इस्तेमाल कर सकते है।
चैड़ी पत्ती तथा घास वाले खरपतवार को रासायनिक विधि से नष्ट करने के लिए पेन्डीमेथिलीन (30 ई.सी.) 3.30 लीटर या एलाक्लोर की 4 लीटर
या फ्लूक्लाेराेकिन (45 ई.सी.) 2.20 लीटर या मेटोलाक्लोर (50 ई.सी.) रसायन की 2.0 लीटर मात्रा का 600-800 लीटर पानी में मिलाकर बुआई के तुरन्त बाद या अंकुरण से पहले छिड़काव कर देना चाहिए। Pulses Variety
अरहर की फसल में बुआई के 25 दिनों बाद निराई-गुड़ाई करके खरपतवार नियंत्रण तथा सघन पौधों को निकाल देना चाहिए।
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