इस तरह करेंगे रबी फसलों की सिंचाई, तो पानी भी बचेगा और उत्पादन भी बढ़िया होगा, जानें विधि

किसानो को रबी फसलों की सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर सिंचाई (Rabi crop irrigation) पद्धति का इस्तेमाल करें, जानें इसके लाभ व हानि.

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Rabi crop irrigation | रबी फसल की बुवाई का काम पूरा होने के बाद सभी किसान भाई सिंचाई में जीत गए है।

आमतौर पर अधिकतर किसान सतही सिंचाई यानी खेत में क्यारियां बनाकर सिंचाई करते है, जिसमें पानी की खपत ज्यादा होती है।

ऐसे में आज हम आपके लिए सिंचाई की ऐसी पद्धति लेकर आए है, जिससे की पानी को खपत भी ज्यादा नहीं होगी साथ ही साथ बढ़िया पैदावार Rabi crop irrigation देखने को मिलेगी।

इस तकनीक का नाम है ” स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति “। यहां आर्टिकल में जानते हैं की, किस तरह किसान भाई कम पानी में बढ़िया पैदावार ले सकता है।

जानें, स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति क्या है ?

Rabi crop irrigation ” स्प्रिंकलर विधि ” जिसे आमतौर पर बौछरी विधि भी कहते है। स्प्रिंकलर विधि से सिंचाई में पानी का छिड़काव के रूप में प्रयोग किया जाता है।

जिससे पौधें पर वर्षा की बूंदे पड़ती है। बौछारी सिंचाई पद्धति में मुख्य भाग पम्प, मुख्य नली, बगल की नली, पानी उठाने वाली नली एवं पानी छिड़कने वाला फुहारा होता है। जिससे पूरे खेत में फव्वारे के द्वारा सिंचाई होती है।

बौछारी/स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली की क्रिया विधि

बौछारी सिंचाई में नली में पानी दबाव के साथ पम्प द्वारा भेजा जाता है जिससे फसल Rabi crop irrigation पर फुहारा द्वारा छिड़काव होता है। मुख्य नली बगल की नलियों से जुड़ी होती है। बगल की नलियों में पानी उठाने वाली नली जुड़ी होती है।

पानी उठाने वाली नली जिसे राइजर पाइप कहते है, इसकी लम्बाई फसल की लम्बाई, पर निर्भर करती है। क्योंकि फसल की ऊंचाई जितनी रहती है राइजर पाइप उससे ऊंचा हमेशा रखना पड़ता है। इसे सामान्यतः फलस की अधिकतम लम्बाई के बराबर होना चाहिए।

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Rabi crop irrigation पानी छिड़कने वाले हेड घूमने वाले होते है जिन्हें पानी उठाने वाले पाइप से लगा दिया जाता है। पानी छिड़कने वाले यंत्र भूमि के पूरे क्षेत्रफल पर अर्थात फसल के ऊपर पानी छिड़कते है। दबाव के कारण पानी काफी दूर तक छिड़क जाता है। जिससे सिंचाई होती है।

बौछारी/स्प्रिंकलर सिंचाई के लाभ

Rabi crop irrigation बौछारी/स्प्रिंकलर सिंचाई के कई लाभ है, जो की इस प्रकार है –

1. पानी की बचत – सतही सिंचाई में पानी खेत तक पहुँचने में 15-20 प्रतिशत दूर तक अनुपयोगी रहता है। नहर के पानी से यह हानि 30-50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है और सतही सिंचाई में एकसा पानी नहीं पहुँचता जबकि बौछारी सिंचाई से सिंचित क्षेत्रफल 1.5 – 2 गुना बढ़ जाता है अर्थात इस विधि से सिंचाई करने पर 25-50 प्रतिशत तक पानी की सीधे बचत होती है।

2. ऊंची-नीची जगहों पर भी कर सकते है सिंचाई – जिन जगहों पर भूमि ऊंची-नीची रहती है वहॉ पर सतही सिंचाई Rabi crop irrigation संभव नहीं हो पाती उन जगहों पर बौछारी सिंचाई वरदान साबित होती है।

बौछारी सिंचाई बलुई मिट्टी एवं बुन्देलखण्ड जैसे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त विधि है साथ ही यह अधिक ढाल वाली तथा ऊंची-नीची जगहों के लिए सर्वोत्तम विधि है। इन जगहों पर सतही विधि से सिंचाई नहीं की जा सकती है।

3. फसल वृद्धि व गुणवत्ता अच्छी रहेगी – इस विधि से सिंचाई करने पर मृदा में नमी का उपयुक्त स्तर बना रहता है जिसके कारण फसल की वृद्धि उपज और गुणवत्ता अच्छी रहती है।

इस विधि से जब पानी वर्षा की भांति छिड़का जाता है तो भूमि पर जल भराव नहीं होता है जिससे मिट्टी की पानी सोखने की दर की अपेक्षा छिड़काव कम होने से पानी के बहने से हानि नहीं होती है।

4. उर्वरक व कीटनाशी का आसानी से प्रयोग – इस विधि Rabi crop irrigation में सिंचाई के पानी के साथ घुलनशील उर्वरक, कीटनाशी तथा जीवनाशी या खरपतवारनाशी दवाओं का भी प्रयोग आसानी से किया जा सकता है।

5. पाले से नुकसान नहीं होता है – पाला पड़ने से पहले बौछारी सिंचाई पद्धति से सिंचाई करने पर तापक्रम बढ़ जाने से फसल का पाले से नुकसान नहीं होता है। पानी की कमी, सीमित पानी की उपलब्धता वाले क्षेत्रों में दुगना से तीन गुना क्षेत्रफल सतही सिंचाई की अपेक्षा किया जा सकता है।

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स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति में रखरखाव व सावधानियाँ

Rabi crop irrigation : बौछारी/स्प्रिंकलर सिंचाई के प्रयोग के समय एवं प्रयोग के बाद परीक्षण कर लेना चाहिए और कुछ मुख्य सावधानियाँ रखने से सेट अच्छी तरह चलता है। जैसे :–

प्रयोग होने वाला सिंचाई जल स्वच्छ तथा बालू एवं अत्यधिक मात्रा घुलनशील तत्वों से युक्त होना चाहिए तथा उर्वरकों, फफूंदी/खरपतवार नाशी आदि दवाओं के प्रयोग के पश्चात सम्पूर्ण प्रणाली को स्वच्छ पानी से सफाई कर लेना चाहिए।

Rabi crop irrigation प्लास्टिक वाशरों को आवश्यकतानुसार निरीक्षण करते रहना चाहिए और बदलते रहना चाहिए।

रबर सील को साफ रखना चाहिए तथा प्रयोग के बाद अन्य फिटिंग भागों को अलग कर साफ करने के उपरान्त शुष्क स्थान पर भण्डारित करना चाहिए।

सतही सिंचाई प्रणाली के बारे में..

भारत में अधिकतर कृषि योग्य क्षेत्रों में सतही सिंचाई होती है। इसमें प्रमुख है नहरों से नालियों द्वारा खेत में पानी Rabi crop irrigation का वितरण किया जाना तथा एक किनारे से खेत में पानी फैलाया जाना है।

इस प्रणाली में खेत के उपयुक्त रूप से तैयार न होने पर पानी का बहुत नुकसान होता है। यदि खेत को समतल कर दिया जाए तो इस प्रणाली में भी पानी की बचत की जा सकती है।

आजकल लेजर तकनीक से किसान अपना खेत समतल कर सकते हैं। इससे जलोपयोग दक्षता में वृद्धि होती है। फलस्वरूप फसलों की पैदावार बढ़ जाती है, जलोपयोग दक्षता के साथ-साथ उर्वरकोपयोग दक्षता भी बढ़ती है।

स्प्रिंकलर सेट लगवाने पर सरकार देती है 50% सब्सिडी

आपको बता दे की, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना Rabi crop irrigation के अंतर्गत किसानों को सिंचाई यंत्रों पर अनुदान दिया जाता है।

कृषि विभाग द्वारा समय समय पर आवेदन के लिए लिंक ओपन की जाती है तथा निर्धारित लक्ष्य को ही 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इस योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन होते हैं।

योजना के तहत किसानों को कृषि सिंचाई यंत्र एवं अन्य कृषि उपकरण पर भी 40 से 60% तक सब्सिडी दी जाती है। Mp के अलावा कई राज्यों में सिंचाई योजना चलाई जा रही है।

जिनसे किसानों को अच्छा फायदा हुआ है। अगर आप सरकारी योजना में रुचि रखते है तो, चौपाल समाचार के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ जाए। यहां आपको लेटेस्ट सरकारी योजनाओं की जानकारी दी जायेगी।

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