रासी सीड्स RSH 659 और नुजीवुडू के आशा-1 के बीज कल से मिलेंगे, कृषि विभाग ने दी सूचना, पढ़ें पूरी जानकारी..

कपास के उन्नत किस्म के बीज Rashi 659 Cotton seeds किसानों को कब तक मिलेंगे आईए जानते हैं..

Rashi 659 Cotton seeds | मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल कपास की खेती होती है निमाड़ अंचल के के चार जिलों में ही कपास की 80% खेती होती है। इन जिलों में कपास के बीज को लेकर किसान परेशान हो रहे हैं। कपास के बीज को लेकर हर साल किसानों को परेशानी उठाना पड़ती है। दरअसल, बाजार में कपास के बीज की 100 से ज्यादा किस्में हैं,

लेकिन किसान केवल दो किस्मों रासी 659 और नुजीवुडू के आशा-1 के बीज की ही डिमांड अधिक करते हैं। इन दोनों किस्मों के बीज मिलने को लेकर कृषि विभाग ने किसानों के लिए सूचना जारी की है, दोनों ही किस्मों के बीज कल से मिलना शुरू होंगे, आइए जानते हैं डिटेल..Rashi 659 Cotton seeds

कपास की दो किस्मों के बीज की सबसे अधिक डिमांड

Rashi 659 Cotton seeds वैसे तो बाजार में 100 से ज्यादा किस्म के कपास के बीज मौजूद हैं, लेकिन किसानों के बीच रासी सीड्स के रासी 659 और नुजीवुडू के आशा-1 की ही मांग है। इसके पीछे किसानों का अपना गणित है। दरअसल, इस किस्म के बीज से एक एकड़ क्षेत्र में करीब 12 क्विंटल कपास का उत्पादन होता है। यह पूरा उत्पादन दो बार की तुड़ाई में निकल आता है। इनमें कपास का बीज भी अधिक निकलता है। कपास चुनने वाले मजदूर 6 से 10 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से मजदूरी लेते हैं।

इन किस्मों का वजन अधिक है, इसलिए मजदूर आसानी से मिलते हैं। वहीं, अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक खेत खाली हो जाता है। इससे किसान गेहूं-चने की अगली फसल लगाकर दोहरा फायदा ले पाता है। जो दूसरी किस्म के बीज हैं उनका उत्पादन 5-6 क्विंटल प्रति एकड़ ही है। वहीं उनकी चुनाई पांच से छह बार करनी पड़ती है। ऐसे में मजदूरों को कम भाव मिलता है और मेहनत अधिक करनी पड़ती है। Rashi 659 Cotton seeds इसका खेत भी दिसंबर तक खाली होता है, ऐसे में गेहूं की बुवाई भी देर से होती है।

किसान लगा रहे कालाबाजारी का आरोप

इन दोनों किस्मों Rashi 659 Cotton seeds के बीज को लेकर किसानों का आरोप है कि इन किस्मों के बीज की कालाबाजारी की जा रही है। उन्हें बीज नहीं मिल रहा। किसान इसके लिए चक्का जाम तक कर चुके हैं। वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने इन किस्मों के बीज वितरण को लेकर जगह-जगह टोकन व्यवस्था लागू की है। प्रशासन द्वारा की जा रही व्यवस्थाओं के बीच किसानों में नाराजगी है। किसानों का कहना है कि एक पावती पर केवल दो पैकेट बीज के पैकेट दिए जा रहे हैं, जो पर्याप्त नहीं है।

Rashi 659 Cotton seeds किसानों का का कहना है कि उनके परिवारों का भविष्य अच्छी फसल पर निर्भर है। अगर उन्हें अच्छा और उन्नत किस्म का मनचाहा बीज नहीं मिला तो पर्याप्त उत्पादन नहीं होगा, इससे उसकी आय प्रभावित होगी।

कपास की बुवाई 25 में के बाद होगी

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि कपास की बुवाई Rashi 659 Cotton seeds का सही समय 25 मई के बाद है, लेकिन ग्रामीण परंपरा में अक्षय तृतीया से खेती का काम शुरू हो जाता है। इस बार 10 मई को अक्षय तृतीया थी। किसानों ने बुवाई का मुहूर्त तय कर उसी दिन बीज मांगना शुरू कर दिया। तब पता चला कि बाजार में इतना बीज तो है ही नहीं। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताते हैं की बीज की उपलब्धता को लेकर कंपनी से निरंतर संपर्क किया जा रहा है।

खरगोन के कृषि विभाग के उप संचालक एमएल चौहान का कहना है कि जिले में खरीफ का एरिया 4 लाख 16 हजार हेक्टेयर है। उसमें से दो लाख 25 हजार हेक्टेयर में कपास की फसल लगेगी। इतने खेतों के लिए 9 लाख 78 हजार 891 पैकेट बीज की जरूरत होगी। अभी तक चार लाख 68 हजार पैकेट आ भी चुके हैं।

उन्होंने बताया कि जिस विशेष किस्म के बीज Rashi 659 Cotton seeds की मांग किसान कर रहे हैं, उसकी उपलब्धता 37 हजार पैकेट ही है। संबंधित कंपनी के अधिकारियों से प्रशासन संपर्क में है। उनसे और माल मंगाया जा रहा है। उसकी दूसरी खेप भी जल्दी पहुंच जाएगी, लेकिन कितनी भी मशक्कत की जाए, ये कंपनियां लाख-डेढ़ लाख पैकेट से अधिक की सप्लाई नहीं कर पाएंगी।

रासी सीड्स RSH 659 की स्थिति क्या है

Rashi 659 Cotton seeds बीज कंपनी के अधिकारीयों ने कहा कि बीज का उत्पादन आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में होता है। इन राज्यों में पिछले सीजन में तूफानी बरसात की वजह से फसलों को नुकसान हुआ था। जो उत्पादन हुआ उसका बड़ा हिस्सा टेस्टिंग में फेल हो गया। इसकी वजह से बीज कम मात्रा में आए। कृषि विभाग के उप संचालक एमएल चौहान ने भी कंपनी के इस दावे की पुष्टि की।

इधर किसान नेताओं ने बीज की कमी को एक साजिश बताया है। भारतीय किसान संघ के कमलेश पाटीदार का कहना है कि कंपनियों ने ही बीज Rashi 659 Cotton seeds की किल्लत को प्रचारित किया है। कंपनियां अपनी मोनोपोली स्थापित करना चाहती है।

कृषि विभाग की सलाह – एक दो किस्मों पर निर्भर न रहे

कृषि विभाग के अधिकारी एक-दो किस्मों Rashi 659 Cotton seeds पर निर्भरता को खतरनाक बता रहे हैं। किसान नेता कमलेश पाटीदार कहते हैं कि इन बीजों में सबसे अधिक पीलेपन और कम जर्मिनेशन की समस्या आती है, लेकिन किसानों के मन में ज्यादा उत्पादन की बात बैठ गई है तो उन्हें किसी भी कीमत पर वही बीज चाहिए।

कृषि विभाग के उप संचालक एमएल चौहान बताते हैं कि एक ही किस्म के बीजों पर निर्भरता के अपने जोखिम हैं। 2019 में हमने यहीं देखा था कि भारी बरसात की वजह से इन विशेष किस्मों वाली फसल बुरी तरह खराब हो गई थी। वहीं दूसरी किस्मों से किसानों को अच्छा फायदा मिला था।

इधर पिछले कुछ सालों में इन बीजों Rashi 659 Cotton seeds की किल्लत नहीं देखी गई। इसके पीछे गुजरात से अवैध बीटी कॉटन के बीज की सप्लाई रही है। गुजरात के कुछ किसानों ने निजी स्तर पर प्रयोग कर कपास के बीज की नई किस्में विकसित की हैं। स्थानीय स्तर पर इसे 4जी कहा जाता है। यह बीज गुजरात से चोरी-छिपे बड़वानी, खरगोन, खंडवा के ग्रामीण बाजारों तक पहुंच जाता है।

कल से मिलेगा रासी सीड्स RSH 659, आशा-1 के बीज

खरगोन में कपास बीज Rashi 659 Cotton seeds की वितरण व्यवस्था को लेकर एडीएम रेखा राठौड़ ने डिस्ट्रीब्यूटर्स की बैठक ली। इसमें कृषि अफसर और बीटी कॉटन बीज के होलसेल डीलरों को बुलाया था। इसमें तय हुआ कि शुक्रवार 24 मई से बीज वितरण होगा। एक पावती पर दो पैकेट बीज मिलेगा।

Rashi 659 Cotton seeds बीज वितरण राजस्व, कृषि विभाग की निगरानी में होगा। खरगोन मुख्यालय पर तहसील भगवानपुरा व गोगांवा क्षेत्र के किसानों को ही बीज मिलेगा। डिस्ट्रीब्यूटर काउंटर पर बिजली, पानी की व्यवस्था करेंगे। बैठक में एएसपी टीएस बघेल, डिप्टी कलेक्टर पूर्वा मंडलोई, डीडीए एमएल चौहान, थाना प्रभारी बीएल मंडलोंई सहित विभागीय अधिकारी थे।

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किसानों को बीज देना प्रशासन के लिए बना चुनौती

निजी कंपनियों के बीच और किसानों के बीच Rashi 659 Cotton seeds का मसला अब प्रशासन के लिए चुनौती बन चुका है। टोकन सिस्टम से बीज वितरण से अव्यवस्था को देखते हुए खरगोन में जिला प्रशासन नई व्यवस्था बना रहा है। कलेक्टर ने जिले में मौजूद विशेष बीज कंपनियों के सात डीलरों और उनके 15 फुटकर विक्रेताओं को बड़ी जगह पर काउंटर लगाने को कहा है।

इन लोगों ने शहर की बड़ी धर्मशालाओं, मंदिरों और सामुदायिक भवनों में अपने काउंटर लगाने की व्यवस्था की है। इन 22 वितरण केंद्रों पर व्यवस्था संभालने के लिए एक-एक पटवारी, कृषि विस्तार अधिकारी और पुलिस के जवान को तैनात करने की योजना है। सरकारी कर्मचारी किसानों की पावती पर अपनी देखरेख में दो पैकेट प्रति पावती की दर से वितरण कराएंगे, ताकि सभी किसानों को कम से कम दो एकड़ खेत लायक बीज मिल जाए। किसानों को शेष रकबे में दूसरी किस्मों की बुवाई के लिए कहा जा रहा है।

किसानों से कृषि विभाग में यह की अपील

कृषि विभाग द्वारा किसानों Rashi 659 Cotton seeds को उच्च गुणवत्ता युक्त एवं निर्धारित कीमत पर ही पंजीकृत निजी विक्रेताओं से पक्के बिल पर बीज खरीदने की अपील की जा रही है। शासन द्वारा बीजी-1 कपास बीज 635 रूपए प्रति पैकेट (475 ग्राम) एवं बीजी-2 कपास बीज 864 रूपए प्रति पैकेट (475 ग्राम) कीमत निर्धारित की गई है। कीमत से अधिक दर पर कोई निजी बीज विक्रेता विक्रय करता है,

तो किसान विभाग के संबधित विकासखण्ड कृषि अधिकारी या जिला कार्यालय के नोडल अधिकारी को शिकायत कर सकता है। कोई भी बीज विक्रेता निर्धारित कीमत से अधिक कीमत पर कपास बीज विक्रय करता पाया जाता है, तो बीज अधिनियम के तहत कार्यवाही की जावेगी। जिले में जिला स्तरीय निरीक्षण दल द्वारा सतत भ्रमण कर निगरानी रखी जा रही है।

मप्र में कपास उत्पादन

Rashi 659 Cotton seeds

  • उत्पादन का रकबा : 7.5 लाख हेक्टेयर
  • उत्पादन : 426.2 किग्रा लिंट / हेक्टेयर या करीब 20 लाख गठान
  • निमाड़ क्षेत्र में रकबा – करीब 4.5 लाख हेक्टेयर
  • उत्पादन – 6 लाख गठान

निमाड़ की कपास देश के कई राज्यों के साथ दूसरे देशों में निर्यात की जाती है।

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