केंद्र सरकार ने श्री अन्न योजना की शुरुआत की, किसानों को मिलेगा यह फायदा 

Shree grain Yojana 2023: इस बजट में सरकार के द्वारा बाजरे की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू करने की बात कही गई। भारत सरकार मोटे अनाज की फसलों को बढ़ावा देने के प्रयास में हैं।

Shree grain Yojana 2023 | भारत के साथ ही सम्पूर्ण विश्व साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रहा है। अपने देश में भी मोटे अनाज की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2023 के आम बजट में श्री अन्न योजना की शुरुआत करने की घोषणा की है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश में अब मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

खास बात यह है कि मोटे अनाजों को अब श्री अन्न (Shree grain Yojana 2023) के नाम से भी जाना जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण के दौरान कहा कि अब मोटे अनाजों की खेती और भोजन के रूप में बढ़ावा देने के लिए श्री अन्न योजना की शुरुआत की जा रही है। भारत में प्राचीन समय से ही मोटे अनाजों की खेती की जा रही है। मोटे अनाजों को हर तरह की मिट्टी व जलवायु की परिस्थितियों में उगाया जा रहा है।

बंजर जमीन से भी ले सकते है अच्छा उत्पादन

किसान बंजर जमीन पर भी मोटे अनाज की खेती करके बढ़िया उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ सामान्य अनाज के मुकाबले बाजार में मोटे अनाजों के भाव काफी अच्छे मिलते हैं। मोटे अनाज (Shree grain Yojana 2023) के नियमित सेवन से शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है और शरीर में लगने वाली बीमारियों का खतरा भी कम रहता है। मोटे अनाज की खेती करने में ज्यादा लागत नहीं आती, इसलिए किसानों को इसकी खेती करने से बढ़िया मुनाफा हो जाता है।

Shree grain Yojana 2023 – श्री अन्न योजना क्या है?

मोटे अनाज यानी मिलेट्स को श्री अन्न कहा जा रहा है। इस तरह के अनाज में विटामिन, खनिज, फाइबर और दूसरे पोषक तत्व काफी मात्रा में पाए जाते हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया में मिलेट्स का दूसरा सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है।

भारत में ज्वार, रागी, बाजरा, कुट्टू, रामदाना, कंगनि, कुटकी, कोडो, छीना और सामा जैसे कई श्री अन्न (Shree grain Yojana 2023) का उत्पादन किया जाता है। ऐसे मोटे अनाज स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होते हैं। सरकार देश को श्री अन्न का ग्लोबल हब बनाने की तैयारी में है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च, हैदराबाद इंटरनेशनल लेवल पर मिलेट्स से संबंधित रिसर्च और इसके बेहतर उत्पादन के लिए विभिन्न तरीकों पर काम कर रहा है।

मोटे अनाजों की खेती को बड़ावा

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वार्षिक बजट 2023-24 के अपने भाषण के दौरान श्री अन्न योजना (Shree grain Yojana 2023) का जिक्र किया। इससे देश में मोटे अनाज को बढ़ावा मिलेगा। इस योजना को कृषि और किसानों के लिए काफी हितकारी माना जा रहा है। उन्होंने मिलेट्स यानी मोटे अनाजों के लिए श्री अन्न शब्द का इस्तेमाल किया था। यानी इस योजना के तहत सरकार की तरफ से मोटे अनाज की पैदावार को बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए भारतीय मिलेट्स संस्थान का गठन भी किया जाएगा।

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भारत में मिलेट्स की खेती

भारत में प्राचीन समय से ही मोटे अनाज (Shree grain Yojana 2023) की खेती करने का चलन रहा है। भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग प्रकार के मोटे अनाजों की खेती की जाती है। इसमें से ज्वार, बाजरा, चीना, रागी, कोदो, कुटकी, सांवा, कंगनी, झंगोरा, कुट्टू, चौलाई और ब्राउन टॉप आदि की खेती प्रमुख रूप से की जाती है।

मोटे अनाज के निर्यातक देश

पूरी दुनिया में मोटे अनाज की खेती सबसे ज्यादा अफ्रीका में की जाती है, लेकिन मोटे अनाज (Shree grain Yojana 2023) का सबसे अधिक उत्पादन देने वाला देश भारत है। निर्यात की बात करें तो अफ्रीका मोटे अनाजों का सबसे बड़ा निर्यातक देश है, जबकि भारत मोटे अनाजों के निर्यात करने में दूसरे स्थान पर है।

भारत से लीबिया ,यूएई, नेपाल, सऊदी अरब, मिस्र, ट्यूनीशिया, ओमान, यमन, ब्रिटेन और अमेरिका में ज्वार, बाजरा, रागी, कनेरा और कुटू का निर्यात कर रहा है। दुनियाभर में मिलेट्स के प्रमुक उत्पादकों (Shree grain Yojana 2023) की लिस्ट में, चीन, माली, सुडान, नाइजीरिया इथोपिया, बर्किना फासो, चाड, पाकिस्तान, सेनेगल, तंजानिया, नेपाल, रूस, यूक्रेन, युगांडा, म्यांमार, घाना और गिनी आदि देश शामिल हैं।

मिलेट्स की खासियत

मोटे अनाज की फसलों की खेती में बेहद ही कम पानी की जरूरत होती है। अन्य फसलों के मुकाबले मोटे अनाज (Shree grain Yojana 2023) की खेती कम पानी वाली जमीन पर भी की जा सकती है। बाजरे की खेती करते समय पूरी फसल तैयार होने में सिर्फ 350 मिलीमीटर पानी की आवश्यकता होती है। दूसरी तरफ बाकी फसलें पानी की कमी होने के कारण बर्बाद हो जाती हैं, वहीं, मोटे अनाज की फसल खराब होने की स्थिति में पशुओं के चारे के काम आ जाती है।

मोटे अनाज की खासियत

मिलेट्स की फसलों (Shree grain Yojana 2023) को बेहद ही कम पानी की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए जहां गन्ने के पौधे को 2100 मिलीमीटर पानी की जरूरत पड़ती है। वहीं, बाजरे को सिर्फ 350 मिलीमीटर पानी की आवश्यकता होती है। जहां, बाकी फसलें पानी की कमी होने पर बर्बाद हो जाती हैं, वहीं, मोटे अनाज की फसल अगर खराब भी हो जाती है तो वह पशुओं के चारे के काम आ जाती है।

मिलेट्स क्रॉप खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। हाल ही में विदेशी मंत्री एस जयशंकर ने भी कोरोना महामारी, जलवायु परिवर्तन (Shree grain Yojana 2023) और अन्य चुनौतियों के बीच मिलेट्स के महत्व का जिक्र किया था। एशिया और अफ्रीका मिलेट्स के प्रमुख उत्पादक देशों में से एक हैं। भारत के अलावा मिलेट्स, नाइजर, सूडान और नाइजीरिया में भी उगाए जाते हैं।

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