कृषि वैज्ञानिकों ने खेतों का निरीक्षण कर सोयाबीन की फसलों को देखकर यह सलाह (Soybean Advisory) जारी की है..
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Soybean Advisory | मध्य प्रदेश में खरीफ सीजन के दौरान सबसे अधिक सोयाबीन की खेती होती है। इस वर्ष मानसून तय समय पर ही आया, लेकिन मानसून की दस्तक के पश्चात बारिश व अधिक नमी के चलते सोयाबीन व अन्य मौसमी फसलों का अंकुरण प्रभावित हुआ है।
इस बार सोयाबीन की बुवाई के बाद बीज खेत में ही खराब हो रहे हैं। बीज अंकुरित नहीं हो पा रहे। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। खेतों में बीज सड़ने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। कई जगहों पर बीज अंकुरण से पहले ही गल गए। Soybean Advisory
किसानों की इसी समस्या को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा खेतों में पहुंचकर फसलों का निरीक्षण किया जा रहा है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए ऐसे समय में यह एडवाइजरी जारी की है, आईए जानते हैं पूरी डिटेल..
वैज्ञानिक कर रहे फसलों का निरीक्षण
सोयाबीन की फसल में उत्पन्न हुई इस स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा खेतों का सतत निरीक्षण किया जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि खेतों में हानिकारक फफूंद तेजी से पनप रहे हैं, जो बीज को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे अंकुरण प्रभावित हो रहा है। Soybean Advisory
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60% से कम अंकुरण हुआ हो तो दोबारा बुवाई करें
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इस वर्ष सोयाबीन की सभी वैरायटी में अंकुरण की समस्या आई है। किसान इस बात का ध्यान रखें की 60% से अंकुरण काम हुआ हो तो खेतों में दोबारा बुवाई करें। वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे अगर दोबारा बुवाई करते हैं तो बीज उपचार जरूर करें।साथ ही खेतों में जल निकासी की व्यवस्था रखें। ज्यादा नमी से फफूंद तेजी से फैलते हैं। Soybean Advisory
किसानों ने यह समस्याएं बताई
किसानों का कहना है कि उन्होंने अच्छी गुणवत्ता के बीज खरीदे थे। फिर भी बीज खेत में खराब हो रहे हैं। इससे दोबारा बुवाई करनी पड़ रही है। इससे लागत बढ़ रही है। समय भी खराब हो रहा है। कृषि विभाग ने भी किसानों को सतर्क रहने को कहा है। विभाग ने बीज उपचार और खेत की सफाई पर जोर दिया है। Soybean Advisory
क्यों उत्पन्न हुई यह समस्या
कृषि वैज्ञानिकों के साथ-साथ कृषि विभाग के अधिकारी भी खेतों में पहुंच रहे हैं इनके द्वारा किए जा रहे निरीक्षण में पाया गया कि सोयाबीन की फसल में अंकुरण प्रभावित हो रहा है। कुछ बीज जमीन के अंदर ही सड़ गए हैं। Soybean Advisory
कई पौधे जमीन के नीचे सड़न के कारण मर रहे हैं। इसका कारण बुवाई के समय और उसके बाद खेतों में अधिक नमी है। इससे पिथियम, फायटोपथोरा और राएजोक्टोनिया जैसे हानिकारक फफूंद तेजी से पनप रहे हैं।
ऐसी स्थिति में किसान यह उपाय करें
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे मेटैलेक्सील 8% + मेंकोजेब 64% डब्ल्यूपी फफूंद नाशक की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें। रोग बढ़ने पर 10 से 15 दिन के अंतराल पर दोबारा छिड़काव करें। मिर्च की फसल में थ्रिप्स कीट का प्रकोप देखा गया है। इसके लिए आसमानी रंग के चिपचिपे प्रपंच 5 से 10 प्रति बीघा लगाएं। Soybean Advisory
कीट दिखने पर नीम आधारित कीटनाशी 45 मिली, टोलफेनपाईरेड 30 मिली, इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल की 5 मिली या लेम्बडा साईहेलोथ्रिन की 15 मिली मात्रा को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
संतरा व मक्का को लेकर यह उपाय बताए
वैज्ञानिकों ने मक्का की फसल को लेकर बताया कि आगामी समय में में इल्ली नियंत्रण के लिए स्पाईनिटोरम 11.7% एससी की 6 मिली या मेटाराइजियम एनिसोप्लाए की 100 ग्राम मात्रा को 20 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। Soybean Advisory
साथ ही खेत में फेरोमोन ट्रैप और लाइट ट्रैप लगाएं। संतरे के पेड़ों में रोग रोकने के लिए कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी की 2 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्ल्यूपी की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। संक्रमित पेड़ों पर हर 10 से 15 दिन में एक बार स्प्रे करें, जब तक लक्षण खत्म न हो जाएं।
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