भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी एडवाइजरी (Soybean Pre Sowing Advice) जारी की, जानें डिटेल..
Soybean Pre Sowing Advice | अगले कुछ महीनों में खरीफ फसलों का सीजन शुरू होने वाला है। ऐसे में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों के लिए मई माह की जरूरी एडवाइजरी जारी की है।
कृषि वैज्ञानिकों की माने तो, अगर किसान उचित जानकारी के साथ सही पर सोयाबीन की खेती करते है, तो उन्हें अच्छी पैदावार देखने को मिलती है। लेकिन कई किसान इस बात का ध्यान नहीं रखते है और पैदावार बढ़ाने के लिए सोयाबीन में अंधाधुंध खाद एवं कीटनाशक का उपयोग करते है। आइए जानते है, कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए जरूरी सलाह Soybean Pre Sowing Advice…
अच्छी पैदावार के लिए खेत तैयारी आवश्यक
कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों को बताया की, सोयाबीन फसल के लिए 3 वर्षों में एक बार खेत की ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करना उत्पादन स्थिरता एवं आर्थिक की दृष्टि से लाभकारी होता हैं। इसी प्रकार एकल किस्म की खेती के स्थान पर न्यूनतम 2-3 किस्मों की खेती करने में जोखिम कम होती हैं।
इसके साथ ही कृषकों को सलाह हैं कि 3 वर्षों में एक बार अपने खेत की विपरीत दिशाओं में दो बार कल्टीवेटर एवं पाटा चलाकर खेत को तैयार करें। विगत वर्षों में गहरी जुताई किये जाने पर केवल विपरीत दिशाओं में कल्टीवेटर (बखरनी) एवं पाटा चलाकर खेत तैयार करने की सलाह हैं। अतः कृषकगण यथा संभव ध्यान दें। इसके अलावा खेत में पोषण प्रबंधन के लिए, अंतिम बखरनी से पूर्व गोबर की खाद (5-10 टन/हे) या मुर्गी की खाद (2.5 टन/हे) को खेत में फैलाकर अछि तरह मिला दें। Soybean Pre Sowing Advice
बखरनी से पूर्व सब-सोइलर चलाये
संभव होने पर 5 वर्ष में एक बार अपनी सुविधा अनुसार अंतिम बखरनी से पूर्व 10 मीटर के अंतराल पर सब-सोइलर चलाये, जिससे वर्षाजल खेत की गहरी सतह तक जा सकें और सूखे की अनपेक्षित स्थिति फसल को नमी मिलती रहे। साथ ही इससे मिट्टी की कठोर परत तोड़ने में तथा नमी का संचार अधिक समय तक रखने में सहायता मिलती हैं। Soybean Pre Sowing Advice
अपने क्षेत्र के हिसाब से ही किस्मों का चयन करें
Soybean Pre Sowing Advice किसान अपने जलवायु क्षेत्र के लिए अनुकूल विभिन्न समयावधि में पक्नेवाली न्यूनतम 2-3 नोटिफाइड सोयाबीन की किस्मों का चयन कर बीज उपलब्धता सुनिश्चित करें। ऐसे किसान जो सोयाबीन के बाद आलू, प्याज, लहसुन जैसी फसल लेकर गेहूं/चना लगते हो, सोयाबीन की शीघ्र समयावधि वाली किस्म को लगाये। उसी प्रकार वर्ष में केवल दो फसलें लेने वाले कृषक मध्यम या अधिक समय परिपक्वता अवधि वाली किस्मों का चयन करें।
बीज दर एवं अंकुरण क्षमता का ध्यान रखें
सोयाबीन में बड़े आकार के बीज की तुलना में छोटे या माध्यम आकार के बीज की अंकुरण क्षमता अधिक होती हैं। अतः न्यूनतम 70% बीज अंकुरण, बीज का आकार एवं अनुशंसित दुरी को ध्यान में रखकर 60-75 किग्रा / हे. बीज दर अपनाना उत्पादन एवं आर्थिक दृष्टि से लाभकारी होगा। लेकिन इसके पहले बीज की गुणवत्ता (न्यूनतम 70% अंकुरण) एवं बीज दर निर्धारण हेतु उपलब्ध बीज का अंकुरण परिक्षण अवश्य करें। Soybean Pre Sowing Advice
सोयाबीन के लिए बोवनी की दुरी एवं विधि
Soybean Pre Sowing Advice कृषकों को सलाह हैं कि जहाँ तक संभव हो सोयाबीन की बोवनी बी.बी.एफ (चौड़ी क्यारी प्रणाली) या (रिज फरो पद्धति) कुड-मेड-प्रणाली से करें। देखा जाए तो, उत्पादन की दृष्टि से प्रति हेक्टेयर पौध संख्या अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु हैं। अतः सोयाबीन फसल के लिए अनुशंसित 45 सेमी कतारों पर तथा 5-10 सेमी पौधों की दूरी पर बोवनी करें।
बीज, खाद-उर्वरक खरीदते समय ध्यान रखे किसान
सोयाबीन की खेती के लिए उपयोगी अन्य यन्त्र (सीड ड्रिल, स्प्रयेर, आदि) की मरम्मत कर समय पर उपयोग योग्य रखे। चूंकि, गेंहू की तुलना में सोयाबीन की खेती में ज्यादा खाद, उर्वरक एवं कीटनाशक का उपयोग होता है। इसके लिए सोयाबीन की खेती के लिए आवश्यक आदान (बीज, खाद-उर्वरक, फफूंदनाशक, कीटनाशक, खरपतवारनाशक, जैविक कल्चर आदि) का क्रय एवं उपलब्धता सुनिश्चित करें। साथ में बिल अवश्य लेवें। Soybean Pre Sowing Advice
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