सोयाबीन के घटे दाम से परेशान किसान, एमपी में नहीं होगी सोयाबीन की खरीदी, एमएसपी बढ़ाने के लिए आंदोलन जारी

केंद्र सरकार ने 3 राज्यों के लिए सोयाबीन खरीदी को मंजूरी दी है। इसमें एमपी शामिल नहीं। इधर एमपी में Soybean Purchase सोयाबीन 6000 रुपए हो, इसको लेकर आंदोलन जारी।

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Soybean Purchase | मध्य प्रदेश सोयाबीन उत्पादन में नंबर वन की पोजीशन पर बना हुआ है। यह सोया स्टेट के नाम से भी जाना जाता है।

भले ही मध्य प्रदेश सोयाबीन उत्पादन में अन्य राज्यों से सबसे आगे रहता हो लेकिन यहां के किसान न केवल सोयाबीन के घटते दामों से परेशान है।

वहीं यह भी सामने आया है कि सोयाबीन की खरीदी मध्यप्रदेश में नहीं की जाएगी। बता दें कि सोयाबीन के घटे दामों से परेशान किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीद की घोषणा की है। Soybean Purchase

हैरानी यह कि सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले राज्य मप्र में खरीद नहीं होगी। अभी सिर्फ महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना में PSS (मूल्य समर्थन योजना) पर सोयाबीन की खरीद होगी।

सोयाबीन भाव को लेकर एमपी में आंदोलन जारी

घटे दामों के खिलाफ मप्र के किसान लगातार आंदोलनरत हैं। केंद्र की घोषणा के अनुसार सोयाबीन की समर्थन मूल्य पर खरीदी महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में की जाएगी। Soybean Purchase

प्रदेश के किसान न केवल ठगा सा महसूस कर रहे हैं और तेलंगाना और कर्नाटक का नाम शामिल होने से हैरान भी हैं। सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4892 रुपये घोषित किया गया है।

बाजार में इस समय सोयाबीन के दाम 4000 से 4600 रुपये क्विंटल ही हैं। अब किसान ₹6000 प्रति क्विंटल एमएसपी की मांग कर रहे हैं ताकि बढ़ती लागतों की भरपाई हो सके और उन्हें उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके। Soybean Purchase

किसानों का तर्क है कि यह वृद्धि जरूरी है ताकि घटती उपज और बढ़ती उत्पादन लागत का संतुलन बनाया जा सके, जिसमें उर्वरक, कीटनाशक और श्रम की लागत शामिल है।

सरकार ने हालांकि किसानों के प्रदर्शन को ध्यान में लिया है, लेकिन अभी तक एमएसपी बढ़ाने की मांग पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

यह प्रदर्शन उन व्यापक चुनौतियों को भी उजागर करता है जिनका सामना सोयाबीन किसान कर रहे हैं, जैसे कि कम उत्पादकता, बाजार में कीमतों का उतार-चढ़ाव, और खेती की बढ़ती लागत। Soybean Purchase

सोपा की रिपोर्ट के अनुसार मप्र में सोयाबीन का उत्पादन बीते सीजन में करीब 52 लाख टन रहा। महाराष्ट्र में भी उत्पादन 50 लाख टन के आसपास था।

सोयाबीन उत्पादन में तीसरे नंबर पर राजस्थान और फिर गुजरात, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्य आते हैं। हैरानी यह कि केंद्र ने बड़े उत्पादक राज्यों में से सिर्फ एक राज्य महाराष्ट्र को ही खरीद सूची में रखा है। Soybean Purchase

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किसानों के विरोध का मुख्य कारण

मध्य प्रदेश में किसान सड़कों पर उतरकर सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को ₹6000 प्रति क्विंटल तक बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। Soybean Purchase

यह प्रदर्शन ऐसे समय में हो रहा है जब सोयाबीन किसानों को घटती उपज और बढ़ती लागत का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी फसल से उचित मुनाफा कमाना मुश्किल हो गया है।

वर्तमान में एमएसपी ₹4892 प्रति क्विंटल है, लेकिन कई किसानों को स्थानीय मंडियों में इससे भी कम दर पर अपनी उपज बेचनी पड़ती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाती है।

सोयाबीन की खेती की वास्तविक लागत

मिली जानकारी के मुताबिक, हालिया एक सर्वेक्षण में सोयाबीन की खेती में किसानों द्वारा वहन की जाने वाली लागत की गहराई से जांच की गई। Soybean Purchase

इस सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश के सोयाबीन उत्पादक ज़िलों के 50 से अधिक किसानों को शामिल किया गया, जिसमें उनकी खेती से जुड़े कठिन आर्थिक पहलुओं का खुलासा हुआ।

सर्वेक्षण के अनुसार, एक एकड़ सोयाबीन की खेती की कुल औसत लागत ₹16,900 पाई गई, जिसमें भूमि तैयारी, बीज उपचार, उर्वरक, रसायन, कटाई और अन्य खर्च शामिल थे।

हालांकि, प्रति एकड़ औसत उपज केवल 5-6 क्विंटल ही है, जिससे किसानों को बहुत कम वित्तीय लाभ हो रहा है। Soybean Purchase

उदाहरण के लिए, यदि एक किसान 6 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन करता है और उसे वर्तमान एमएसपी ₹4892 पर बेचता है, तो उसे ₹29,352 मिलेंगे।

लेकिन अधिकांश किसान इसे मंडी की कम कीमत ₹4200 पर बेचते हैं, जिससे उनकी आय घटकर ₹25,200 रह जाती है। Soybean Purchase

लगातार किसानों का मुनाफा कम हो रहा

खेती की लागत को ध्यान में रखते हुए, किसानों के लिए मुनाफा बहुत कम रह जाता है। यदि किसान मंडी दर ₹4200 पर 6 क्विंटल सोयाबीन Soybean Purchase बेचता है, तो उसे ₹8300 का मुनाफा होता है, जो तीन महीने की मेहनत के बाद होता है।

यह प्रति माह मात्र ₹2766 का लाभ है। यह आंकड़ा किसानों की वित्तीय समस्याओं को उजागर करता है, जो मुश्किल से अपने खर्च पूरे कर पा रहे हैं और टिकाऊ जीवन यापन करने में असमर्थ हैं।

सर्वेक्षण में यह भी बताया गया कि पिछले कई वर्षों से सोयाबीन की उपज स्थिर बनी हुई है। वैज्ञानिक उपज में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं कर पाए हैं, जो कि प्रति एकड़ औसत 5-6 क्विंटल ही है। Soybean Purchase

किसानों का मानना है कि यदि उपज 8-10 क्विंटल प्रति एकड़ होती, तो वे एक अच्छा मुनाफा कमा सकते थे। लेकिन मौजूदा कम उपज और बढ़ती लागत के कारण उनके पास एमएसपी बढ़ाने की मांग के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचता है।

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