सोयाबीन की बोवनी जोरों पर… बंपर पैदावार के लिए बीजोपचार अति आवश्यक, जानें बीजोपचार की दवाई व विधियां

खरीफ की बोवनी चल रही… सोयाबीन के बंपर उत्पादन के लिए सोयाबीन बीज उपचार – Soybean Seed Treatment कैसे करें जानिए..

Soybean Seed Treatment | इस समय खरीफ फसलों की बोवनी जोरो पर चल रही है। बोवनी के समय किसानों को कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक हो जाता है। जैसे बीज उपचार, बीज दर एवं बीज चयन। जिस तरह एक किसान अच्छी पैैदावार के उचित बीज का चयन करता है उसी तरह बीज का उपचार करना भी उतना ही आवश्यक है।

आधुनिक खेती में निरंतर हो रही वैज्ञानिक प्रगति से तभी लाभ हो सकता है जब उन्नत किस्मो के शुद्ध व अच्छी गुणवत्ता वाले बीजो का चुनाव कि‍या जाए और बुवाई पूर्व उसे उपचारित करके ही बोया जाए। बीजो का अंकुरण बढाने, कीटो व रोगों से सुरक्षा करने के लिए बीजोपचार Soybean Seed Treatment अति आवश्यक है। बीज उपचार के लिए कई विधियां यहां लेख में दी गई है। जानें..

अच्छी पैदावार के लिए बीज उपचार Soybean Seed Treatment आवश्यक..

कई किसानों को यह जानकारी नहीं रहती है की, बीज उपचार क्यों व कैसे करना है। यही कारण है की वह बीज उपचार पर इतना ध्यान नहीं देते है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है की, यदि बीजोपचार नही किया जाए तो फसल उत्पादन 8 से 10 प्रतिशत तक कम होने की संभावना रहती है। 100 प्रतिशत बीजोपचार के लिए भारत सरकार हर समय कार्यरत है।

बीजोपचार Soybean Seed Treatment के लिए कृषि विश्वविधालय, कृषि विज्ञान केन्द्र, आत्मा, ओधोगिक संगठन एवं एन.जी.ओ. मिलकर किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। किसानो द्वारा बीजोपचार की महत्वपूर्ण प्रक्रिया को अपनाने के लिए प्रचार प्रसार की आवश्यकता है। जिससे यह किसानों के फायदे की जानकारी उन तक पहुचें।

सोयाबीन बीज उपचार कैसे करें?

Soybean Seed Treatment – किसान भाई अच्छी पैदावार के लिए सबसे पहले फफूँदनाशक दवाओं से सोयाबीन बीज उपचार करें। जिसके बाद आवश्यकतानुसार कीटनाशक दवा से एवं अंत मे जीवाणु कल्चर से उपचारित करें। रसायनों अथवा जैव कारको के अनुप्रयोग के लिए आमतौर पर तीन विधियाँ अपनाई जाती है जो की रसायन या जैवकारक की प्रकृति पर निर्भर करती है।

सोयाबीन बीज उपचार करने की विधि

सोयाबीन बीज उपचार Soybean Seed Treatment – के लिए किसान साथी निम्न विधियां अपना सकते है। जो की इस प्रकार से है :-

1. सुखा बीज उपचार विधि : इस विधि में बीज को एक बर्तन में रखा जाता है। जिसके बाद उस बर्तन में रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा मिलाया जाता है एवं फिर उस बर्तन को हिलाया जाता है। जिससे बर्तन में रखे सभी बीजों पर बीज उपचार दवाई का लेप लग जाए। अब बीजों को निकालकर उन्हें धूप में सूखने के लिए रख दे।

2. गीली या भीगे बीज उपचार विधि : इस विधि से सोयाबीन बीजों को उपचारित करने के लिए सबसे पहले पानी मे घुलनशील दवाओं को प्रयोग मे लिया जाता है। बीज को उपचारित Soybean Seed Treatment करने के लिए मिट्टी या प्लास्टिक के बर्तन मे आवश्यकतानुसार रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा का घोल बना ले। जिसके बाद दवाई को बीज के ढेर पर डालकर उसे दस्ताना पहने हाथों से अच्छी तरह मिलाकर पॉलिथीन चादर/फर्श या छाया में सुखाने के लिए छोड़ दे।

3. स्लरी बीज उपचार विधि : इस विधि से बीजोपचार के लिए स्लरी (घोल) बनाने हेतु रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा को 10 लीटर पानी की मात्र में किसी टब या बड़े बर्तन में अच्छी तरह मिला लें। जिसके बाद इस घोल में बीज, कंद या पौधे की जड़ों को 10 से 15 मिनट तक डालकर रखें, फिर छाया में बीज या कंद को सुखा ले तथा बुआई या रोपाई करें। इस विधि से आप धान का बीजोपचार आसानी से कर सकते है।

4. गर्म पानी बीज उपचार विधि : इस विधि में किसी धातु के बर्तन में पानी को 52 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म करना पड़ता है। जिसके बाद बीज Soybean Seed Treatment को 30 मिनट तक उस बर्तन में डालकर छोड़ दें, उपरोक्त तापक्रम पूरी प्रक्रिया में बना रहना चाहिए। अंत में बीज को छाया में सुखा लें उसके बाद बुआई करें।

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इन विधियों से भी कर सकते है बीज उपचार :-

1.बीज कोटिंग (लेप) : बीज पर अच्छे तरीके से चिपकने के लिए मिश्रण के साथ एक विशेष बाइंडर का प्रयोग किया जाता है। कोटिंग के लिए उद्योग द्वारा उन्नत उपचार प्रौद्योगिकी की आवश्यकता होती है।

2. बीज पैलेटिंग : यह सर्वाधिक परिष्कृत बीज उपचार Soybean Seed Treatment प्रौद्योगिकी है, जिससे बीज की पैलेटिबिलिटी तथा हैंडलिंग बेहतर करने के लिए बीज का शारीरिक आकार बदला जाता है। पैलेटिंग के लिए विशेष अनुप्रयोग मशीनरी तथा तकनीकों की आवश्यकता होती है और यह सबसे महंगा अनुप्रयोग है।

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सोयाबीन बीज उपचार के लाभ – Soybean Seed Treatment

  • मिट्टी और बीज के रोगजनकों/ कीटों के विरुद्ध अंकुरित होने वाले बीजों तथा अंकुरों की सुरक्षा करता है।
  • बीज अंकुरण में वृद्धि होती है।
  • सोयाबीन का पौधा प्रारंभ में समान रूप से खड़ा रहता है एवं जल्दी विकास होता है।
  • सोयाबीन की फली में नॉड्यूलेशन बढ़ाता है।
  • मिट्टी और पत्ते के अनुप्रयोग से बेहतर बनाता है।
  • प्रतिकूल परिस्थितियों (कम/उच्च नमी) में भी एक समान फसल रहती है।

जीवाणु कल्चर से सोयाबीन बीज उपचार की विधि

Soybean Seed Treatment इसमें जीवाणु कल्चर (राईजोबियम, ऐजोटोबेक्टर, पी.एस.बी. कल्चर) से बीजोपचार करने के लिए एक लीटर पानी मे 250 ग्राम गुड डालकर गर्म करते है, इसके बाद घोल को ठण्डा होने पर 600 ग्राम कल्चर (3 पैकेट) मिलाकर तेयार घोल को एक हेक्टेयर की फसल के बीज को उपचारित करने के काम मे लेते है।

सोयाबीन बीज उपचार के लिए यह दवाई डालें

सोयाबीन बीज उपचार Soybean Seed Treatment करने के लिए सबसे पहले बीज को थायरम कार्बेन्डाजिम (2:1) के 3 ग्राम मिश्रण, अथवा थयरम कार्बोक्सीन 2.5 ग्राम अथवा थायोमिथाक्सेम 78 ws 3 ग्राम अथवा ट्राईकोडर्मा विर्डी 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।

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प्रश्न – उत्तर से जानें खरीफ की अन्य मुख्य फसलों के बीजोपचार के लिए कौन सी दवाई डाले?

प्रश्न 1. अमेरिकन कपास (नरमा) का बीज उपचार कैसे करें ?

उत्तर – कपास के बीजो से रेशे हटाने के लिए व्यापारिक गंधक के तेजाब का प्रयोग करे, 10 किलो बीज के लिए 1 लीटर गंधक के तेज़ाब पर्याप्त होता है। मिट्टी या प्लास्टिक के बर्तन मे बीज डालकर थोडा गंधक का तेजाब डालिये तथा एक या दो मिनट लकड़ी से हिलाए, बाद मे बीज को तुरन्त बहते हुए पानी मे धो डालिए और ऊपर तैरते हुए कच्चे बीज Soybean Seed Treatment को अलग कर दीजिए।

बीज के अन्दर पाई जाने वाली गुलाबी लट की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार 4 से 40 किलो बीज को 3 ग्राम एल्युमिनियम फास्फाइड से कम से कम 24 घन्टे धूमित करे। यदि धूमित करना संभव नही हो तो बीज को तेज धूप मे फैला कर कम से कम 6 घन्टे तक तपाये।

रेशे रहित एक किलोग्राम नरमे के बीज को 5 ग्राम इमिड़ाक्लोप्रिड (70 डब्ल्यू.एस.) या 4 ग्राम थायोमिथोग्जाम (70 डब्ल्यू.एस.) से उपचारित कर पत्तीरस चूसक हानिकारक कीट व पत्ती मरोड़ वायरस को कम किया जा सकता है।

प्रश्न 2. देशी कपास का बीज उपचार कैसे करें ?

उत्तर – देसी कपास बीज के अन्दर पाई जाने वाली गुलाबी लट की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार 4 से 40 किलो बीज को 3 ग्राम एल्युमिनियम फास्फाइड Soybean Seed Treatment से कम से कम 24 घन्टे धूमित करे| यदि धूमित करना संभव नही हो तो बीज को तेज धूप मे फैला कर कम से कम 6 घन्टे तक तपाये।

जड़गलन की समस्या वाले खेतों में बुवाई से पूर्व 6 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति बीघा की दर से मिट्टी में डालकर मिला दे। बोये जाने वाले बीजो को कार्बोक्सिन (70 डब्ल्यू.पी.) 0.3 प्रतिशत या कार्बेन्डाजिम (50 डब्ल्यू.पी)2 प्रतिशत (2 ग्राम/ लीटर पानी मे) के घोल मे भिगोकर अथवा सादे पानी मे भिगोये गये बीज को कुछ समय तक सुखाने के बाद ट्राईकोडर्मा हरजेनियम 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करके बोये।

जिन खेतों में जड़ गलन के रोग का प्रकोप अधिक है उन खेतों के लिए बुवाई से पूर्व 5 किलोग्राम ट्राईकोड्रमा हरजेनियम को 50 किलो नमी युक्त गोबर की खाद (एफ.वाई.एम.) में अच्छी तरह मिलाकर 10-15 दिनों के लिए छाया में रख दे। इस मिश्रण को बुवाई के समय एक बीघा मे पलेवा करते समय मिट्टी मे मिला दे. Soybean Seed Treatment साथ मे ट्राईकोडर्मा जैव से बीज उपचार करे।

प्रश्न 3. मूंग का बीज उपचार कैसे करें ?

उत्तर – मूंग की बुवाई से पूर्व बीज को थाईरम या कैप्टान 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करे। राइजोबियम कल्चर से उपचारित कर बुवाई करने मे पैदावार में बढोतरी पाई जाती है| इसके लिए 600 ग्राम राईजोबियम कल्चर को 1 लीटर पानी मे 250 ग्राम गुड़ के साथ गर्म कर ठंडा होने पर बीज को उपचारित Soybean Seed Treatment कर छाया मे सुखा लेना चाहिये तथा बुवाई कर देनी चाहिये।

प्रश्न 4. ग्वार का बीज उपचार कैसे करें ?

उत्तर – ग्वार की फसल में फफूंद-जनित रोगों से बचाने के लिए बीज को बोने से पूर्व 100 मिली स्ट्रेप्टोसाइक्लीन के घोल में 4-5 घन्टे तक उपचारित करे। जीवाणु कल्चर (राईजोबियम, ऐजोटोबेक्टर एवं पी.एस.बी. कल्चर) पाउडर के तीन पैकेट एक हेक्टेयर क्षैत्र के बीज को बुवाई Soybean Seed Treatment से एक घन्टे पूर्व उपचारित क्र बोने पर नत्रजन एवं फॉस्फोरस उर्वरको की बचत की जा सकती है।

प्रश्न 5. मूंगफली का बीज उपचार कैसे करें ?

उत्तर – इसकी फसल में काँलर रोट (सन्धि विगलन) के नियंत्रण हेतु निम्नलिखित में से किसी एक फफूंदनाशी से बीज उपचारित Soybean Seed Treatment कर बुवाई करे| कार्बेन्डाजिम (50 डब्ल्यू.पी.) 2 ग्राम प्रति किलो बीज दर से या कार्बोक्सिन (37.5 प्रतिशत)+(थाइराम 5 प्रतिशत) 2 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से या प्रोपेकोनाजोल (25 ई.सी.) 2.0 मिली/किलों बीज की दर से उपचारित कर बोने से रोग का प्रभावी नियंत्रण पाया गया है।

बुवाई के समय प्रति किलो बीज को 10 ग्राम ट्राईकोड्रमा हरजेनियम पाउडर से उपचारित कर बुवाई करने पर काँलर रोट (सन्धि विगलन) या जड़ गलन रोगों का अत्यधिक प्रभावी नियंत्रण पाया गया है।

प्रश्न 6. तिल का बीज उपचार कैसे करें ?

उत्तर – तिल की बुवाई से पूर्व बीज को 3 ग्राम थाइरम या कैप्टान से प्रति किलो बीज को उपचारित Soybean Seed Treatment कर बो दे।

बीजोपचार के समय यह रखे यह सावधानियां

  • बीज को एफ. आई. आर. (FIR) क्रम मे सबसे पहले फफूँदनाशक, फिर कीटनाशक एवं अंत मे जीवाणु कल्चर से उपचारित Soybean Seed Treatment करना चाहिये।
  • जितना बीज बुवाई के लिए काम मे लेना हो उतना ही बीज उपचारित करना चाहिए।
  • उपचारित बीजो को छायादार जगह मे सुखाकर 12 घंटे के भीतर बुवाई के काम लाए।
  • बचे हुए उपचारित बीज को खाने के काम नही लाना चाहिये और न ही पशुओ को खिलाये।
  • दवा के खाली डिब्बो या पैकेट्स को नष्ट कर देना चाहिये।
  • पैकेट्स पर लिखी हुई उपयोग की अवधि के पूरा हो जाने के बाद उस कल्चर का उपयोग बीजोपचार मे न करे।
  • जिस व्यक्ति के शरीर विशेषकर हाथ मे घाव या खरोंच लगी हो उससे बीज को उपचारित न करे।

इस वर्ष लेट हुआ मानसून, खरीफ फसलों की बोवनी पर पड़ रहा असर

Soybean Seed Treatment पूरे देश में अब तक 2.78 लाख हेक्टेयर जमीन पर बोवनी हो चुकी है जो की पिछले साल के मुकाबले 77 फीसदी कम है। मानसून की देरी का सीधा असर सोयाबीन एवं अन्य खरीफ फसलों की बोवनी पर पड़ता दिखाई दे रहा है। बता दे की, मानसून पिछले साल 16 जून को मध्य प्रदेश में इंटर हुआ था जबकि इस वर्ष 2023 में मानसून 7 दिन लेट 23 जून को पहुंचा।

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