मौसम विभाग की भविष्यवाणी के बीच आने वाले खरीफ सीजन Soybean Varieties में सोयाबीन की कौन सी किस्मों को बोएं, जानिए..
Soybean Varieties | मौसम विभाग ने इस वर्ष अच्छी बारिश होने का पूर्वानुमान जताया है। बता दें की, अमेरिकी कृषि विभाग ने भी माना है कि अप्रैल-जून के दौरान अल नीनो के न्यूट्रल होने की 79 प्रतिशत संभावना है। जिसके चलते पिछली बार की तुलना में इस बार अच्छी बारिश होगी।
ये किसानों के लिए अच्छी खबर है की, इस बार खरीफ सीजन में अच्छी बारिश होने की संभावना है क्योंकि सोयाबीन एवं अन्य खरीफ फसलें वर्षा पर ही आधारित होती है। ऐसे में किसान भाई अधिक पानी वाली सोयाबीन की किस्मों का चुनाव कर सकते है। अगर आप सोयाबीन उत्पादक कृषक है, तो आपको हम यहां बताने वाले है की सोयाबीन की कौन कौन सी किस्मों Soybean Varieties से बंपर पैदावार ली जा सकती है। तो आइए जानते है पूरी डिटेल…
1. आरवीएसएम 1135 सोयाबीन किस्म
सोयाबीन किस्मों Soybean Varieties में पूरी तरह स्थापित हो चुकी 9560 एवं 9305 के बाद आने पिछले 2 वर्ष के अंतराल में आई आरवीएसएम की 1135 वैरायटी ने किसानों का ध्यान आकृष्ट करवाया है। 1135 सोयाबीन की वैरायटी अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं अच्छे उत्पादन के लिए पहचानी जाने लगी है।
राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार 1135 किस्म अधिक पैदावार, पीला मोजेक वायरस एवं चारकोल राॅट एवं जड़ सड़न के प्रति प्रतिरोधकता के आधार पर एक नई सोयाबीन किस्म Soybean Varieties के रूप में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, एवं बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए अनुशंसा के रूप में चिन्हित किया गया है।
आरवीएसएम 1135 सोयाबीन किस्म की खासियत :-
- इस किस्म Soybean Varieties के फूलों का रंग-सफेद फूल आने की अवधि 38/40 दिवस।
- पत्तियों का रंग-हराकर गोलाकार मध्यम चौड़ी पत्ती, पत्ती चिकने रोएदार नहीं। हाइपोकोटाईल पिगमेंट रहित तथा कोटीलीडन कलर दाल का रंग गहरा पीला।
- आरवीएसएम 1135 किस्म की औसत उत्पादन क्षमता लगभग 25 से 30 प्रति हेक्टेयर देखा गया है। जो अन्य किस्मों से लगभग 18 से 28% तक अधिक उत्पादन दिया है।
- आरवीएसएम 1135 किस्म की मध्यम परिपक्वता अवधि लगभग 94 से 96 दिवस अधिक वर्षा एवं देर तक वर्षा की स्थिति बहुत गहरी जमीनों में इस अवधि में स्वाभाविक रूप से परिवर्तन संभव है।
- ये किस्म येलो मोजैक एवं चारकोल राॅट आदि के प्रति प्रतिरोधकता एवं ऐसे ही अन्य गुणों एवं सहनशीलता के कारण एक उन्नत मल्टीपल रेजिस्टेंस वैरायटी। साथ ही इसमें फली चटकने (शेटरिंग) की समस्या नहीं रहती है।
- भारी मिट्टी वाली जमीनों, अधिक नमी वाले खेत (गलत्या) आंशिक पानी भरने की स्थितियों में पानी सहन करने की इस किस्म की अद्भुत एवं असाधारण क्षमता ऐसे क्षेत्र के किसानों के लिए एक संकटमोचक किस्म के रूप में वरदान सिद्ध होगी।
- इस किस्म Soybean Varieties के पौधे ऊंचाई वाले, फैलावदार, शाखायुक्त होने व फलियां भी तने के ऊपर से लगने के कारण यह किस्म हार्वेस्टर से काटी जा सकती है।
हरदा, विदिशा, अशोकनगर, गुना या अन्य क्षेत्र जहां मिट्टी की गहराई 100 फीट या इससे अधिक है। जहां अधिकांश किस्म इस परिस्थिति में गल जाती है जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे क्षेत्रों में भी इस किस्म का किसानों द्वारा सफलता पूर्वक उत्पादन लिया गया है।
👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।
2. जेएस 2172 सोयाबीन किस्म
वर्षों के गहन अनुसंधान एवं कड़े रिसर्च के बाद जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर (JNKVV) म.प्र. द्वारा किसानों की उक्त अपेक्षाओं को ध्यान में रखते हुए सोयाबीन की नवीनतम किस्म Soybean Varieties जे.एस. 21-72 हाल ही में जारी की है जिसका नोटिफिकेशन क्रमांक एस.ओ. 1056 (E) दि. 6.3.2023 है।
33 बार ट्रायल के बाद जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बदलते मौसम, बढ़ते तापमान और पानी की कमी को ध्यान में रखकर सोयाबीन की इस किस्म को तैयार किया है। सोयाबीन की यह किस्म देश के मध्यक्षेत्र म.प्र. बुंदेलखण्ड, राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र हेतु अनुशंसित की गई है जो कि मध्यम से अधिक वर्षा वाले व मध्यम से अधिक भारी मिट्टी (हवी स्वाईल) हेतु उपयुक्त किस्म Soybean Varieties है।
यह भी पढ़िए….👉सोयाबीन, मक्का एवं अन्य खरीफ फसलों की खेती से बंपर पैदावार के लिए अभी से शुरू करे ये काम..
जेएस 2172 सोयाबीन किस्म की खासियत :-
- जेएस 2172 किस्म Soybean Varieties के पकने की अवधि मध्यम लगभग 94 से 95 दिवस है जो कि वर्षों एवं भूमि मिट्टी की स्थितियों के अनुरूप थोड़ी परिवर्तित हो सकती है।
- चुपाई (डिबलिग) एवं चोड़ी बीजाई हेतु एक आदर्श किस्म लाईन से लाईन की दूरी 45 से. मी. पौधे से पौधे की दूरी 7-8 से.मी. रखने पर भी आदर्श परिणाम सामान्य स्थिति में 16 से 18 इंच दूरी रखने एवं बीज दर हेक्टेअर लगभग 80 किलो रखने पर आदर्श परिणाम।
- इस किस्म Soybean Varieties का दाना पीला, चमकदार, अत्यंत सुंदर, हायलम ब्राउन पत्तियाँ हरी एवं पत्तियाँ चोड़ी नुकीली (ओवेट शेप), फूलों का रंग सफेद तथा फलियाँ रोएदार होती है।
- सोयाबीन की जेएस 21-72 वैरायटी में उच्च रोगप्रतिरोधी क्षमता है। इसमें चारकोल सड़न (चारकोल रॉट), ऐन्थ्रेक्नोज व फली झुलसा, राइजेकटोनिया एरियल ब्लाइट जैसे सभी रोगों से लड़ने में औसत दर्जे से लेकर उच्च क्षमता पाई गई है।
- इस किस्म का तना मजबूत होने से (लाजिंग) आड़ा पड़ने की समस्या नहीं, पौधे की ऊँचाई एवं फैलाव अच्छा होने से हरवेस्टर से काटने हेतु उपयुक्त फलियों में चटकने की समस्या न होने से कृषक को कटाई के समय नुकसान नहीं होता है।
- सोयाबीन की इस किस्म Soybean Varieties की औसत उत्पादन क्षमता लगभग 25 क्विं. प्रति हेक्टे. है। किंतु किसानों से प्राप्त आकड़ों एवं व्यवहारिक स्थिति में इस किस्म ने अधिकतम 30 से 35 क्विंटल हेक्टेअर तक उत्पादन देकर किसानों को अचरज में डाल दिया है।
3. सोयाबीन आर.वी.एस. 2001-4 किस्म
सोयाबीन आर.वी.एस. 2001-4 किस्म राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है। सोयाबीन की इस नवीनतम किस्म ने अपने पहले ही उत्पादन वर्ष में इसके दर्शाए गए गुणों के अनुसार किसानों को चमत्कारी परिणाम दिए हैं। इस सोयाबीन किस्म की सबसे बड़ी खासियत ये है की, ये जलजमाव वह भराव की स्थिति में अन्य किस्मों Soybean Varieties की तुलना में अधिक सहनशील किस्म है। इसमें पौधों का पीला हो जाना, जड़ सड़न रोग और इल्ली का इस किस्म पर कम प्रभाव होता है।
सोयाबीन आर.वी.एस. 2001-4 किस्म की खासियत :-
- इसके पौधे 50 से 60 सेमी. के ऊचाई के होते है। इसमें लगने वाले फूल सफ़ेद रंग के और फली चकनी तथा बीज गहरे पीले रंग के होते है।
- मजबूत जड़तंत्र होने से जड़ सड़न, पीला मोजेक रोग, फलियां रोएंदार होने से गर्डल बीटल, सेमिलूपर आदि के लिए सहनशील, फलियों में चटकने की समस्या नहीं।
- अधिक फैलाव वाला मजबूत जड़ तंत्र होने से सूखा पड़ने की स्थिति में पौधे की नमी बनाए रखता है जिससे इस किस्म में सूखा निरोधक जाति के गुण भी पाए जाते हैं।
- अत्यधिक अंकुरण क्षमता 90/50% तक फैला वाला पौधा होने व दाना छोटा होने से कम बीज दर में अधिकतम उत्पादन व डिबलिंग हेतु सर्वश्रेष्ठ किस्म। पौधों की ऊंचाई अच्छी होने से यह हार्वेस्टर से काटने हेतु भी उपयुक्त है।
- बीज दर की बात करें तो छोटे दाने वाली किस्मों के लिए 60 किग्रा./हे. मध्यम दाने वाली के लिए 75 किग्रा./हे. और बड़े दाने वाली किस्मों के लिए 80 किग्रा./हे. बीज पर्याप्त है।
- इस किस्म Soybean Varieties की पकने की अवधि लगभग 93 दिवस है। जबकि, इसकी उत्पादन क्षमता 25 से 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक देखी गई है।
4. RVS-2018 सोयाबीन किस्म :- उम्र 90 से 95 दिन) हाईट 75 से 85 cm ,100 दाने का वजन 10 से 12 ग्राम दाना मीडियम , फलिया चटकने की ओर आड़ा गिरने की समस्या नही है फलिया चिकनी ,उत्पादन क्षमता 8 से 11 प्रति एकड़ (बीज दर-30 से 35 kg प्रति एकड़)
5. RVS 2011/10 सोयाबीन किस्म :- उम्र (95 से 100 दिन) हाईट 60 से 70 cm आडा गिरने की बिल्कुल भी समस्या नही 100 दाने का वजन 11 से 13 ग्राम दाना मीडियम फलियों की संख्या ज्यादा ,फलिया चटकने की समस्या बिल्कुल भी नही उत्पादन क्षमता 8 से 12 क्विंटल एकड़ , बीज दर-40 से 45 kg प्रति एकड़।
6. RVS 2024 सोयाबीन किस्म :- (उम्र 100 से 105 दिन) हाईट 75 से 85 cm ,100 दाने का वजन 10 से 12 ग्राम दाना मीडियम ,थोड़ी बहुत फलिया चटकने की ओर आड़ा गिरने की समस्या है फलिया चिकनी ,उत्पादन क्षमता 8 से 11 प्रति एकड़ (बीज दर-30 से 35 kg प्रति एकड़)। Soybean Varieties
इन उन्नत किस्मों के बीज के लिए यहां संपर्क करें
किसान भाई आरवीएसएम 1135, जेएस 2172, आर.वी.एस. 2001-4, आरवीएस 2018, RVS 2011/10, आरवीएस 2024 सहित अन्य उन्नत किस्मों Soybean Varieties का बीज लेने के लिए नीचे दिए नंबरों के माध्यम से ‘ श्री गायत्री ट्रेडर्स ‘ बीज कंपनी से संपर्क कर सकते है :-
मो. नं. :- 9575699947
👉 व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े।
यह भी पढ़िए….👉पशुओं के लिए बंजर जमीन पर उगने वाली नेपियर घास की खेती पर सरकार दे रही अनुदान, ऐसे उठाए लाभ..
👉 समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी को लेकर केंद्र सरकार ने किसानों को दी बड़ी राहत, पढ़िए डिटेल..
प्रिय पाठकों…! 🙏 Choupalsamachar.in में आपका स्वागत हैं, हम कृषि विशेषज्ञों कृषि वैज्ञानिकों एवं शासन द्वारा संचालित कृषि योजनाओं के विशेषज्ञ द्वारा गहन शोध कर Article प्रकाशित किये जाते हैं आपसे निवेदन हैं इसी प्रकार हमारा सहयोग करते रहिये और हम आपके लिए नईं-नईं जानकारी उपलब्ध करवाते रहेंगे। आप हमारे टेलीग्राम एवं व्हाट्सएप ग्रुप से नीचे दी गई लिंक के माध्यम से जुड़कर अनवरत समाचार एवं जानकारी प्राप्त करें.
KDS344 soyabin ka utpandan kitna he