सोयाबीन की वह कौन सी है टॉप 3 किस्में (Soybean Variety), क्या है उनकी खासियत? आइए आर्टिकल में जानते है इनके बारे में।
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Soybean Variety | प्री मानसून एक्टिविटी के साथ सोयाबीन की बुवाई के लिए खेत तैयारी शुरू हो चुकी है। केरल के मानसून की एंट्री हो चुकी है। इसके बाद एमपी सहित अन्य राज्यों में दस्तक देगा। भारत में सोयाबीन की बुवाई का समय 15 जून से शुरू हो जाती है। सोयाबीन की फसल से बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए सोयाबीन की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी होना बेहद आवश्यक है, ताकि वे इन किस्मों (Soybean Variety) में से अपने क्षेत्र के अनुकूल किस्म का चयन करके समय पर सोयाबीन की बुवाई कर सकें।
भारत में सबसे ज्यादा सोयाबीन की खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान में होती है। मध्य प्रदेश का सोयाबीन उत्पादन में 45 प्रतिशत है। जबकि सोयाबीन उत्पादन में महाराष्ट्र का 40 प्रतिशत हिस्सा है। बता दें कि भारत में सोयाबीन का 12 मिलियन टन उत्पादन होता है। आज हम यहां चौपाल समाचार के इस आर्टिकल में सोयाबीन की टॉप 3 किस्मों के बारे में जानकारी देने जा रहे है, जिन्होंने किसानों को लाभान्वित किया है। यह तीनों ही किस्में पिछले वर्ष भी काफी चर्चा में रही है। आइए इन किस्मों (Soybean Variety) के बारे में जानते है…
1. सोयाबीन की जे. एस. 23-03 किस्म (Soybean Variety JS 2303)
विगत कई वर्षों से किसान इस बात का इन्तजार कर रहे थे कि जे. एस.-9560 व जे. एस.-20-34 व अन्य परन्परागत अर्ली किस्मों (Soybean Variety) के बाद उन्हें एडवांस जनरेशन की एक एसी सोयाबीन की अलीं किस्म का विकल्प मिले जिनमें इन परम्परागत अर्ली किस्मों में आ रही वायरस, कम उचाई, फूटने (शेटरिंग) व निरन्तर घट रहे उत्पादन की समस्या का सम्पूर्ण समाधान तो मिले ही तथा बढ़ते हुए कटाई में मजदूरी खर्च को देखते हुए इस किस्म की उचाई अच्छी हो ताकि हर्वेस्टर से काटने में भी उपयुक्त हो।
साथ ही उसमें दाने की गुणवत्ता व उच्च उत्पादन क्षमता एसे दोनों गुणों का भी संयोजन हो ताकि सोयाबीन उत्पादन में विगत कई वर्षों से कम उत्पादन, बढ़ती खेती की लागत व कम बाजार भाव के कारण हो रहे लगातार नुकसान की भरपाई हो सके व उपरोक्त कारणों का समाधान देकर सोयाबीन उत्पादन को लेकर जो किसानों में निराशा आ रही है उनमे पुर्वानुसार एक उत्साह का संचार कर सके।
इस बाबत किसानों का इंतजार खत्म हुआ, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय (J.N.K.V.V.) म.प्र. द्वारा वर्षों की कड़ी मेहनत व गहन अनुसंधान के पश्चात सोयाबीन की नवीनतम अर्ली, चमत्कारी किस्म (Soybean Variety) जे. एस.-23-03 अवधि लगभग 88-90 दिवस देश के मध्यक्षेत्र म.प्र. / राजस्थान, गुजरात,
महाराष्ट्र के विदर्भ मराठवाड़ा व उ.प्र. के बुन्देलखण्ड में बोनी हेतु जारी की है जो कि किसानों की उपरोक्तानुसार बताई गई आवश्यकताओं एवं अपेक्षाओं को पूर्ण करने में भविष्य में पूरी तरह से सक्षम एवं सफल रहेगी व शिघ्र ही परंपरागत सोयाबीन की किस्मों (Soybean Variety) को अपने बहु आगामी गुणों के कारण शिघ्र विस्थापित कर अपना एक उच्च स्थान बनाकर किसानों में बहुत जल्दी लोकप्रिय हो जावेगी।
इस सोया जाति में जल्दी कटाई होने के गुण के कारण खेत में उपलब्ध वर्षाकाल की नमी का उपयोग करते हुए असिंचित अवस्था में भी रबी फसलों की सुखा निरोधक किस्मों का भी उत्पादन लिया जा सकता है। साथ ही जल्दी कटाई होने के कारण खेत खाली होने की स्थिति में अगाती (अर्ली) रबी की फसलें लहसुन-आलू-प्याज, मटर, चना डॉलर चना,
शरबती गेहूँ लेने वाले किसानों के लिये यह किस्म (Soybean Variety) एक आदर्श विकल्प है। इससे किसानों का फसल चक्र प्रबंधन अधिक आसान एवं सुविधाजनक हो जावेगा। सोयाबीन एवं आगे की रबी अगाती फसलों का उत्पादन भी जल्दी प्राप्त होने से मण्डी में उसे जल्दी विक्रय कर किसान मण्डी में भीडभाड से मुक्तितथा उच्चतम भाव का लाभ ले सकते हैं।
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प्रमुख गुण (केरेक्टर) : सोयाबीन की इस किस्म (Soybean Variety) दाने का आकार गोलाकार, बोल्ड, पीला, चमकदार, बहुत आकर्षक हायलम काला, 100 दानों का वजन लगभग 12/13 ग्राम अंकुरण क्षमता बहुत अच्छी लगभग 85/90 प्रतिशत पौधें का आकार अर्द्ध फैलाव वाला मध्यम उँचाई वाला लगभग 47 से.मी. वाला पौधा सेमिइरेक्ट अच्छी शाखाओं वाला पौधा पत्ती का रंग गहरा हरा आकार मध्यम चोड़ी गोलाकार पत्तिया पाइन्टेड ओवेट पत्ती रोएदार नहीं चिकनी, फुलों का रंग परपल (बैंगनी) आधे फूल आने की अवधि लगभग 36 से 38 दिन फलियों का रंग भूरा (ब्राउन) फलियाँ रोएदार नहीं, चिकनी, फलियों में चटकने (शेटरिंग) की समस्या बिलकुल नही तीन दाने की फलियाँ अधिक, इन्टरनोड शार्ट होने से फलियाँ अधिक।
रोगप्रतिरोधक क्षमता : इस किस्म (Soybean Variety) में रोग प्रतिकार क्षमता येलो मोजेक, एंथेक्रोनोज, राइजोक्टेनिया, एरियल ब्लाईट व अन्य जड सड़न, चारकोल रॉट आदि रोगो एवं चुसने व काटने वाले कीटों के प्रति सहनशीलता एवं प्रतिरोधकता का गुण व अन्य कई प्रकार की बिमारीयों एवं कीट रोधी क्षमता /सहनशीलता के कारण इस किस्म को मल्टीपल रेजीस्टेस वैरायटी के रुप में भी जाना जावेगा।
बीज दर एवं उत्पादन की जानकारी : इस किस्म (Soybean Variety) की बीज दर लगभग 40 किलो एकड़ या 100 से 110 किलो हेक्टेयर रखने व लाईन से लाईन की दूरी 14 इंच रखने, आदर्श कार्यमाला अपनाने, सिचाई एवं जल निकासी नियोजन, फर्टीगेशन, कीट/व्याधि नियंत्रण एवं खरपतवार नियंत्रण की उत्तम व्यवस्था रखने पर आदर्श परिणाम जे. एस. 23-03 सोयाबीन की इस अर्ली किस्म ने भारत में पूर्व में प्रचलित अन्य सभी अर्ली सोयाबीन की किस्मों से 27 प्रतिशत अधिक उत्पादन देकर एक नया रेकार्ड बनाया है।
इन्दौर में इस किस्म (Soybean Variety) के 31.89 क्विंटल हेक्टेयर का उत्पादन दिया है व्यवहारिक रुप से किसानों द्वारा भी इस किस्म का अधिकतम उत्पादन 7 क्विंटल बीघा तक भी लिया गया है। अन्त में सोयाबीन की यह अर्ली किस्म जिसका दाना व उत्पादन इतना आकर्षक है कि जो बाजार व किसान दोनों का दिल जीतकर शीघ्र ही यह किस्म कृषि क्षेत्र में सर्वोच्चता में नए आयाम बनाते हुए सोयाबीन की खेती में एक मील का पत्थर साबित होगी।
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2. सोयाबीन की जे. एस. 24-33 किस्म (Soybean Variety JS 2303)
विगत कई वर्षों से किसान इस बात से परेशान है कि एक अच्छी प्रमाणिक अर्ली सोयाबीन किस्म में उनके पास जे.एस. 95-60 व जे.एस. 20-34 के बाद जिनमें वायरस, कम उँचाई फुटने (शेटरिंग) निरंतर कम हो रहे उत्पादन आदि समस्याएँ देखी गई है, इन सबका निदान देने वाली कोई एडवांस जनरेशन की अर्ली किस्म (Soybean Variety) उन्हे एक बेहतर विकल्प के रूप नहीं मिल पा रही थी।
किसानों की इन समस्याओं के समाधान एवं एक आदर्श विकल्प के रुप में जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्व विद्यालय, जबलपुर (J.N.K.V.V.) म.प्र. द्वारा वर्षों के गहन अनुसंधान के पश्चात एक नई सोयाबीन की अर्ली किस्म जे.एस.-24-33 अवधि लगभग 88-90 दिन विकसित की गई है जो कि पूर्व में जारी परंपरागत सोयाबीन किस्मों 95-60-20-34 व अन्य से अधिक एडवांस किस्म तो है ही
किन्तु बेहतर वायरस एवं कीट रोधक क्षमता, फुटने (शेटरिंग) की समस्या नही अच्छी उँचाई जो कि मेकेनिकल हर्वेस्टर के लिये उपयुक्त किस्म (Soybean Variety) आदि गुणों के अतिरिक्त उच्च उत्पादन क्षमता के बहुगुणी विशेषताओं के साथ देश के मध्यक्षेत्र म.प्र., राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट में विदर्भ, मराठवाड़ा व उ.प्र. के बुदेलखण्ड क्षेत्र हेतु अनुशंसित की गई है।
प्रमुख गुण (केरेक्टर) : इस किस्म (Soybean Variety) के दाने का आकार गोलाकार, मध्यम, बोल्ड पीला, चमकदार, हायलम का रंग काला 100 दानों का वजन लगभग 11.25 ग्राम अंकुरण क्षमता बहुत अच्छी लगभग 85-90 प्रतिशत पौधो का आकार अर्द्ध फैलाव वाला मध्यम अच्छी उँचाई वाला उँचाई लगभग 50 से.मि. मेकेनिकल हरवेस्ट के लिये उपयुक्त ब्रांचिग बहुत अच्छी सेमिइरेक्ट टाईप का पौधा। फुलों का रंग परपल (बैंगनी) आधे फूल आने की अवधि लगभग 35 से 40 दिवस।
फलियों का रंग भूरा (ब्राउन) फलियाँ चीकनी रोएदार नहीं, फलियों में चटकने (शेटरिंग) की समस्या नहीं, तीन व चार दाने की फलियाँ, फलियाँ झुमके में, इन्टरनोंड शार्ट होने से भी अधिक फलियाँ कोटीलीडन कलर (दाल का रंग) पीला तेल की मात्रा 20.65 प्रतिशत, रोग येलो मोजेक चारकोल रॉट व जड़ सड़न के लिये प्रतिरोधी क्षमता सहनशीलता, कीटरोधक क्षमता पत्ती चुसने वाले व पत्ती काटने वाले कीटों के लिए प्रतिरोधी क्षमता / सहनशीलता आदि गुणों के कारण इस किस्म को मल्टीपल रेजीस्टेस वैरायटी की श्रेणी में रखा जा सकता है।
आलू प्याज लहसुन मटर, डालर चना शरबती गेहूँ आदि अगाति फसल लेने वाले किसानों के लिये सोयाबीन की यह अलीं किस्म वरदान सिद्ध होगी। जल्दी कटाई होने के गुण के कारण खेत में उपलब्ध वर्षाकाल की नमी का उपयोग करते हुए असिंचित अवस्था में, सुखे की स्थिति या कम वर्षा की स्थिति में भी यह किस्म (Soybean Variety) लगाने वाले किसान रबी की सुखा निरोधक किस्में लगाकर भी खेती कर पूरा लाभ प्राप्त कर सकते है।
बीज दर एवं उत्पादन क्षमता : इस किस्म की बीज दर 40 किलो प्रति एकड़ लाईन से लाईन की दूरी 14 इंच रखने आदर्श कार्यमाला अपनाने फर्टिगेशन मैनेजमेंट, जल निकासी, खरपतवार नियंत्रण, कीट, पौध संरक्षण की उत्तम व्यवस्था रखने पर आदर्श परिणाम। आदर्श परिस्थितियों में व्यवहारिक रुप से इस अर्ली किस्म की उच्च उत्पादन क्षमता का उपयोग करते हुए 30 क्विंटल या इससे अधिक उत्पादन प्रति हेक्टेयर लिया जा सकता है।
सोयाबीन की यह नवीनतम उन्नत अर्ली किस्म (Soybean Variety) जे. एस. 24-33 अपने आदर्श गुणों के कारण अतिशीघ्र पुरानी परम्परागत किस्मों को विस्थापित कर अपना एक उच्च स्थान बनाकर किसानों एवं बड़े कृषि क्षेत्र में आच्छादित होकर किसानों की पहली पसंद बनकर सफ लतापूर्वक अपना नाम बनाने में सफल होगी।
3. सोयाबीन की एन. आर. सी. 150 किस्म (Soybean Variety NRC 150)
सोयाबीन की नवीन किस्म (Soybean Variety) एन. आर. सी. 150 सोयाबीन अनुसंधान केन्द्र (N.R.C.S.) इंदौर द्वारावर्षों के गहन अनुसंधानों के पश्चात सोयाबीन की यह अर्ली किस्म अवधि लगभग 92 दिवस देश ने मध्यक्षेत्र म.प्र., राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट के विदर्भ एवं मराठवाडा व उ.प्र. के बुंदेलखण्ड में बोनी हेतु अनुशसित कर वर्ष 2023 में इसे जारी किया गया है।
इस किस्म का दाना बोल्ड, पीला, चमकदार, हायलम-काला 100 दानों का वजन लगभग 11.50 ग्राम पौधा ऊँचाई वाला फैलावदार हार्वेस्टर से काटने हेतु उपयुक्त, फलियाँ फूटती (शेटरिंग) नहीं, फलियाँ रोएदार चिकनी नहीं, तीन दाने की फलियाँ, पत्तियाँ चोडी गोलाकार, फूलों का रंग सफेद फूल आने की अवधि 30/-35 दिन कीट/रोग प्रतिकारक क्षमता अच्छी है।
इस किस्म की बीज दर लगभग 40 किलो / एकड़ व लाईन से लाईन की दूरी 14 इंच रखने पर आदर्श परिणाम। व्यवहारिक रूप से 30/35 क्विंटल हेक्टेयर तक अधिकतम उत्पादन देने की क्षमता।
यहां से खरीद सकेंगे बीज
किसान भाई सोयाबीन की जेएस 2303, जेएस 2433 एवं एनआरसी 150 किस्म का प्रमाणित बीज लेने के लिए वसुंधरा सीड्स कंपनी से संपर्क कर सकते है। ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध है। नीचे दिए गए ईमेल एवं नंबरों से संपर्क कर सकते है :-
- पता : 51, राजस्व कॉलोनी, टंकी पथ, उज्जैन- 456010 (म.प्र.)
- फोन : 2530547 मो. : 9301606161, 9425332517
- ई-मेल : vasundharabio@yahoo.co.in
- गोडाऊन : बड़ी उद्योगपुरी, मक्सी रोड, महावीर तोल कांटे के पास गोल्डन टाइल्स के सामने, उज्जैन मो. 9669176048, 7649839062
नोट : उपरोक्त समस्त फसलों एवं बीजों का विवरण / विशेषताएं आदर्श कृषि कार्यमाला एवं आदर्श परिस्थितियों के अनुसार प्राप्त जानकारी के आधार पर तथा कृषकों से प्राप्त व्यावहारिक / वास्तविक आँकड़ों के आधार पर दिये गये हैं। इन आदर्श स्थितियों में परिवर्तन होने पर उपरोक्त विशेषताओं/परिणाम के आँकड़ों में भी परिवर्तन हो सकता है।
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जिस हिसाब से आपने वर्णन किया उस हिसाब से बहुत ही बढ़िया वैरायटी है