ड्राइविंग छोड़ शुरू की खेती अब 4 बीघा जमीन से सालाना इनकम 15 लाख, पढ़ें पूरी जानकारी..

खेती किसानी से एक किसान किस प्रकार से अच्छी इनकम कमा रहा है Story of successful farmer आईए जानते हैं..

Story of successful farmer छोड़ शुरू की खेती अब 4 बीघा जमीन से सालाना इनकम 15 लाख | वर्तमान दौर में खेती किसानी से अच्छी इनकम कमाना बहुत ही मुश्किल हो गया है लागत दिन-ब-दिन बढ़ाने के कारण किसने की आमदनी लगातार कम होती जा रही है ऐसी ही स्थिति में कई किसान नए-नए तकनीकों, अत्याधुनिक कृषि संसाधनों एवं उचित मार्गदर्शन प्राप्त करके खेती किसानी से अच्छी इनकम कमा रहे हैं।

मध्य प्रदेश का एक किसान चार बीघा में प्रतिवर्ष 15 लख रुपए की आमदनी कर रहा है। खास बात यह है कि यह किसान खेती किसानी के पहले ड्राइवरी करता था, लेकिन ड्राइवरी छोड़कर खेती Story of successful farmer में जुट गया और अच्छी इनकम कमाने लगा आईए जानते हैं इस किसान के बारे में..

निमाड़ में लगाया बगीचा

Story of successful farmer | देश के अन्य भागों की तरह ही मध्य प्रदेश के मालवा निर्माण आंचल में भी परंपरागत खेती अधिक होती है। निमाड़ में अधिकांश तक गेहूं सरसों बाजरा की फैसले उगाई जाती है। परंपरागत खेती से किसानों को अच्छी आई नहीं हो पाती, लेकिन पर्याप्त जानकारी नहीं होने के कारण एवं संसाधन की अनुपलब्धता के कारण खेती में नवाचार नहीं कर पाते। जबकि परंपरागत खेती में लागत लगातार बढ़ रही है।

ऐसी स्थिति में मुरैना जिले के धौलपुर रोड पर सरायछोला थाने के के नजदीक स्थित गांव मैथाना के किसान अरविंद सिंह गुर्जर ने शुरुआत में अपनी खुद की स्थिति मजबूत की एवं इसके बाद आसपास के गांव के किसानों की भी तकदीर बदलने का काम कर रहे हैं। इन्होंने किसानों को प्रायोगिक खेती की नई राह दिखाई है।

इनका परिवार पीढ़ियों से गेहूं, सरसों और बाजरा की खेती करता आ रहा था। अरविंद खुद ड्राइवर Story of successful farmer का काम करते थे। खेती में लगातार हो रहे नुकसान की वजह से अरविंद ने कुछ नया करने का सोचा। उन्होंने अपनी जमीन पर जैविक तरीके से फलदार पौधे लगाए। जानकारी जुटाई और नई तकनीकों का इस्तेमाल किया। इसी की बदौलत वे पिछले तीन साल से मौसमी, अमरूद, सेब, पपीता, नींबू और बेर की खेती से हर साल 15 लाख रुपए तक कमा रहे हैं।

जैविक खेती से शुरुआत की

Story of successful farmer | अरविंद सिंह गुर्जर के अनुसार “मैंने गंगापुर गांव के शासकीय हाईस्कूल से 10वीं तक पढ़ाई की। उसके बाद ट्रक चलाना सीखा। दूसरों के ट्रक चलाए। बाद में तेल का टैंकर खरीदा और उसे चलाने लगा। 2016-17 की बात है। मैं यूपी के खैरागढ़ में अपने दोस्त के घर गया था। वह मुझे अपने एक रिश्तेदार के घर आगरा लेकर गया।

वहां मैंने देखा कि मेरे दोस्त के रिश्तेदार जैविक खेती करते हैं। फसलों में डालने के लिए केंचुआ खाद भी खुद ही बनाते हैं। उसी खाद से अपने घर के बगीचे में कई तरह के फल और फूलों के पौधे उगाते थे। उन्होंने बहुत सुंदर बगिया बना रखी थी। इसे देखकर मैंने निश्चय किया कि मैं भी इसी प्रकार की खेती करूंगा।

इसी सोच के साथ मैंने अपनी पुश्तैनी जमीन पर खुद खेती करने की योजना बनाई। ड्राइवर का काम छोड़कर खेती पर निर्भर होना काफी चुनौतीपूर्ण रहा। जोखिम यह था कि अगर मैं सफल Story of successful farmer नहीं हुआ तो जमा-पूंजी भी गवां बैठूंगा। इन सभी चुनौतियों के बावजूद मैंने जैविक खेती करने का निर्णय लिया। अपने दोस्त के रिश्तेदार से बात कर खेती करने के उनके तरीकों को समझा।

बगीचे के फलों से सालाना 15 लाख रुपए तक

Story of successful farmer | किसान ने बताया कि मैंने 2019 में प्राकृतिक खेती करना शुरू कर दिया। मेरे पास जो मवेशी थे, उनके गोबर से जैविक खाद तैयार करने लगा। केंचुआ खाद भी अपने ही खेत में तैयार की। मौसमी, अमरूद, सेब, पपीता, नींबू और बेर के पौधे लगाए। मेरे पास 15 बीघा जमीन है, लेकिन शुरुआत आधा बीघा से की। आज चार बीघा खेत में फलों का बगीचा बना रखा है। इस बगीचे के फलों से सालाना 15 लाख रुपए तक की आमदनी होती है।

मैंने आधा बीघा खेत में कुंभकार नींबू के पौधे लगाकर शुरुआत की थी। पहली फसल में 35 हजार रुपए के नींबू बिक गए। मात्र आधा बीघा खेत में इतनी अच्छी आय होने से मैं काफी उत्साहित हुआ।

अगले साल 2020 में बेर के 500 पौधे लगाए। इससे मुझे एक लाख 70 हजार रुपए की उपज मिली। इसके बाद 2020 में अमरूद, काली पत्ती का अमरूद, आम, इलाहाबादी सुरखा अमरूद, जामुन, अंजीर, अरहर, पपीता, हल्दी, चीकू, थाई चीकू, सहजना, सेब, नारियल, सुपाड़ी, चेरी और इलायची के पौधे लगाए। इनसे अच्छी आमदनी हुई। Story of successful farmer 

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अब जानिए जैविक खेती एवं जैविक खाद के बारे में

Story of successful farmer | किसान अरविंद सिंह गुर्जर ने बताया कि इन फसलों के अलावा इस साल उन्हें मौसमी से भी अतिरिक्त आय होगी। उनके बगीचे में मौसमी के पेड़ फलों से लदे हैं। उन्होंने घर के चारों तरफ हरी घास और गुलाब सहित कई फूलों के पौधे भी लगाए हैं।

उन्होंने बताया कि बागवानी के साथ ही वे मवेशी भी पालते हैं। इनके गोबर या फिर बचे हुए चारे और घास के साथ पेड़-पौधों के अवशेषों को सड़ाकर जैविक खाद तैयार करते हैं। यह खाद फसल की उपज और पैदावार के लिए अच्छी होती है। इससे पौधों का विकास काफी तेजी से होता है। साथ ही इसके उपयोग से भूमि की पैदावार क्षमता बढ़ती जाती है।

परंपरागत की वजह जैविक खेती में अधिक फायदा

अरविंद सिंह बताते हैं कि मुरैना जिले का किसान सरसों, गेहूं और बाजरे के अतिरिक्त कुछ नहीं उगाना चाहता। अगर वह प्राकृतिक खेती करे तो उसे इन परंपरागत फसलों से कहीं अधिक फायदा होगा। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती Story of successful farmer की शुरुआत में ही ज्यादा मेहनत लगती है। उसके बाद कम मेहनत में अच्छी फसल पाई जा सकती है।

फलों के पौधों में लगने वाले सामान्य रोग और कीट

अमरूद – फल चित्ती रोग : इस रोग में फलों पर भूरे और काले रंग के धब्बे बनने लगते हैं। रोग बढ़ने पर पत्तियों पर भी इसका असर देखा जा सकता है। अप्रैल से अगस्त महीने में यह रोग ज्यादा पाया जाता है।

पपीता – पर्ण कुंचन रोग (लीफ कर्ल ) : इस रोग के लक्षण केवल पत्तियों पर दिखाई पड़ते हैं। रोगी पत्तियां छोटी और झुर्रीदार हो जाती हैं। वे मोटी, भंगुर और ऊपरी सतह पर अति वृद्धि के कारण खुरदरी होने लगती हैं। पौधों में फूल कम आते हैं। रोग की तीव्रता में पत्तियां गिर जाती हैं और पौधे की बढ़त रुक जाती है। Story of successful farmer

जामुन- पत्ती झुलसा रोग : यह रोग जामुन के पौधे को नष्ट करने में सक्षम है। इस रोग के प्रभाव से पत्तियां झुलस जाती हैं। आमतौर पर यह रोग मौसम परिवर्तन के वक्त देखने को मिलता है। इस दौरान पत्तियों पर भूरे-पीले रंग के धब्बे हो जाते हैं।

नींबू- साइट्रस कैंकर : नींबू के पौधों में लगने वाला साइट्रस कैंकर रोग काफी विनाशकारी और घातक है। इस बीमारी से संक्रमित पौधे सूख जाते हैं। नींबू की उपज 5 से 35 प्रतिशत तक प्रभावित हो जाती है। Story of successful farmer

बेर- फल मक्खी : यह बेर का सबसे हानिकारक कीट है। जब फल छोटे और हरे होते हैं, तब से ही इस कीट का आक्रमण शुरू हो जाता है। इस कीट की वयस्क मादा मक्खी फलों के लगने के तुरंत बाद उनमें अंडे दे देती है। ये अण्डे लार्वा में बदलकर फल को अंदर से नुकसान पहुंचाते हैं। फलों की गुठली के चारों ओर खाली स्थान हो जाता है। कीट अंदर से फल खाने के बाद बाहर आ जाते हैं।

पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होता

Story of successful farmer | प्राकृतिक खेती में किसी भी तरह के रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इस खेती के लिए जैविक खाद और जैविक कीटनाशकों समेत अन्य प्राकृतिक चीजों का ही इस्तेमाल किया जाता है। जिससे जमीन के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखा जा सकता है। पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता। प्राकृतिक खेती में लागत भी कम आती है।

इस तरह हुई कमाई (Story of successful farmer)

2022 में बेर के पेड़ों से 11 लाख रुपए के उत्पादन हुआ।कुल 400 क्विंटल बेर का उत्पादन हुआ। बाजार में 2500 से 3500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेर खरीदा गया। साल 2022 में नींबू के 100 पेड़ों से 50 क्विंटल नींबू का उत्पादन हुआ। जिसे बाजार में 25 से 60 रुपए प्रति किलो तक बेचा गया।

जिससे, 2 लाख, 30 हजार रुपए की आय हुई। किसान न पिछले वर्ष अमरूद के 30 पेड़ों से 30 हजार रुपए के अमरूद बाजार में बेचे। आने वाले सालों में अमरूद से भी अच्छी कमाई होगी। इसके Story of successful farmer अलावा उन्होंने वर्मी कम्पोस्ट (केंचुआ खाद ) 25 क्विंटल तैयार की, जो कि 15 रुपए प्रति किलो की दर से बेची। जिससे 75 हजार रुपए की साल 2022 में आय हुई।

शुरुआत छोटे रकबे से करें

Story of successful farmer | अरविंद सिंह गुर्जर के अनुसार जैविक खेती से पैदावार अधिक हो यह जरूरी नहीं ।रासायनिक की बजाय प्राकृतिक खेती करने से फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। पैदावार पहले के मुकाबले कम या अधिक हो सकती है। आधा बीघा से प्राकृतिक खेती की शुरुआत की। आज चार बीघे खेत में पौधे लगे हैं।

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