धान की कौन सी है वह टॉप वैरायटी, आइए धान की इस किस्म (Top Paddy Variety) के बारे में सबकुछ जानते है।
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Top Paddy Variety | भारत में खरीफ सीजन में धान की बुवाई प्रमुख रूप से की जाती है। देश के लाखों किसान धान की खेती करते हैं। भारत में सबसे ज्यादा धान की खेती पश्चिम बंगाल में होती है।
यहां करीब 54.34 लाख हैक्टेयर में धान की खेती होती है। यहां करीब 146.06 लाख टन धान का उत्पादन होता है। इसके अलावा उत्तरप्रदेश, पंजाब, बिहार, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्य में भी धान की खेती प्रमुखता से की जाती है।
जल्द ही गर्मियों के बाद खरीफ सीजन आने वाला है और किसान बारिश से पहले धान की खेती के लिए तैयारियां शुरू कर देंगे। (Top Paddy Variety) फसल उत्पादन में सबसे प्रमुख भूमिका बीज की होती है।
यदि अच्छी किस्म के बीज उपयोग में लिए जाते हैं तो अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। ऐसे में धान का अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को उन्नत किस्म के बीज का प्रयोग करना चाहिए। यहां आर्टिकल में आइए आपको बताते है धान की टॉप रोगप्रतिरोधी किस्म के बारे में…
ये है वह बासमती धान की टॉप किस्म
पूसा बासमती 1886 भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित एक उन्नत बासमती धान की किस्म है। यह किस्म (Top Paddy Variety) विशेष रूप से हरियाणा और उत्तराखंड के बासमती उत्पादक क्षेत्रों के लिए अनुमोदित है यानी सिर्फ इन्हीं क्षेत्रों के किसान इस किस्म से अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।
यह किस्म खरीफ के मौसम में उगाई जाती है और सिंचित अवस्था में अच्छी पैदावार देती है। इस किस्म की औसत उपज 44.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, लेकिन उचित प्रबंधन से अधिकतम उत्पादन 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकती है।
पूसा बासमती 1886 किस्म (Top Paddy Variety) लगभग 145 दिनों में तैयार हो जाती है और बैक्टीरियल ब्लाइट व ब्लास्ट जैसी बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है। इसके दाने लंबे, पतले और सुगंधित होते हैं। जो पकाने के बाद और अधिक फैलते हैं, जिस वजह से इस किस्म की खेती करने वाले किसानों को बाजार में अच्छी कीमत मिलती है।
पूसा बासमती 1886 धान किस्म की मुख्य विशेषताएं
पूसा बासमती 1886 किस्म (Top Paddy Variety) बासमती 6 का एक MAS–यूप्लन संस्करण है, जिसे रोग प्रतिरोधक क्षमता को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। इस किस्म में बैक्टीरियल ब्लाइट और ब्लास्ट जैसे प्रमुख रोगों के प्रति प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता होती है।
यह xa13 और Xa21 जीन की मदद से बैक्टीरियल ब्लाइट तथा Pi2 और Pi54 जीन के कारण ब्लास्ट रोग से सुरक्षित रहती है। इससे किसान रासायनिक दवाओं पर कम खर्च करके उत्पादन की गुणवत्ता बनाए रख सकते हैं।
बीज दर : प्रति हेक्टेयर 16–20 किलोग्राम बीज का उपयोग करें।
दूरी : रोपाई करते समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
बुवाई का समय : बुवाई का उचित समय 15 मई से 15 जून के बीच है। Top Paddy Variety
रोपाई का समय : नर्सरी में बीज बोने के 25–30 दिन बाद पौधों की रोपाई की जानी चाहिए।
पूसा बासमती 1886 किस्म के लिए उर्वरक और सिंचाई प्रबंधन
इस किस्म (Top Paddy Variety) के लिए नाइट्रोजन–फॉस्फोरस–पोटाश (80–50–40 कि.ग्रा./हे.) की आवश्यकता रहती है। नाइट्रोजन की आधी मात्रा और फॉस्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा को आधार खाद के रूप में देना चाहिए।
शेष नाइट्रोजन की 50% मात्रा रोपाई के 5 दिन बाद दें और बची हुई मात्रा कल्ले फूटने के समय (50–60 दिन बाद) खड़ी फसल में टॉप ड्रेसिंग के रूप में दें।
रोपाई के बाद पहले 2–3 सप्ताह तक खेत में 5–6 सेमी. पानी भरकर रखें। इसके बाद खेत की नमी को ध्यान में रखते हुए आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें। फूल आने की अवस्था पर खेत में पर्याप्त नमी होना अत्यंत आवश्यक है, जिससे दाना भराव सही तरीके से हो सके। Top Paddy Variety
खरपतवार नियंत्रण के लिए क्या करें?
Top Paddy Variety ; खरपतवारों की रोकथाम के लिए ब्यूटाक्लोर 50 ईसी की 2.5–3.0 लीटर मात्रा को 500–600 लीटर पानी में मिलाकर रोपाई के 3–5 दिन बाद छिड़काव करें। इससे प्रारंभिक अवस्था में खरपतवारों पर नियंत्रण पाया जा सकता है और पौधों को बेहतर पोषण मिल पाता है।
रोग नियंत्रण और कीट नियंत्रण के उपाय
रोग नियंत्रण : गुमाल झुलसा व झोंपा रोग की रोकथाम के लिए कार्बेन्डाजिम 500 ग्राम को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। यह छिड़काव रोग के लक्षण दिखने से पहले ही कर देना लाभदायक होता है। Top Paddy Variety
कीट प्रबंधन : पत्ती लपेटक, तना छेदक और फुदका जैसे कीटों के नियंत्रण के लिए क्लोरपायरिफॉस 20 ईसी 2 मि.ली./ली. या कार्टेप हाइड्रोक्लोराइड 50 एस.पी. 2 ग्राम/ली. या एसिफेट 75 एस.पी. 2 ग्राम/ली. या टॉपसिन 36 एस.एल. 4 ली./हे. दवाई का छिड़काव करें।
इन दवाओं को 500–600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। वैकल्पिक रूप से कार्टेप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी. की 25 कि.ग्रा./हे. की दर से बुरकाव भी किया जा सकता है। Top Paddy Variety
फुदका की विशेष रोकथाम के लिए भूरे पौध फुदकों के नियंत्रण के लिए कॉन्फिडोर की 200 मि.ली. मात्रा को 500–600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। यह फसल को सूखने से बचाता है और दाने की गुणवत्ता को बनाए रखता है।
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Pusa Basmati 1886 odisha me hogaki?
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