वर्ष 2025 में स्वामीनाथन आयोग के निर्धारण के हिसाब से गेहूं का समर्थन मूल्य क्या होना चाहिए, जानिए..

गेहूं के समर्थन मूल्य पर सरकार बोनस दे रही है, लेकिन लागत एवं स्वामीनाथन आयोग के निर्धारण के अनुसार गेहूं का Wheat MSP Price क्या होना चाहिए जानिए..

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Wheat MSP Price | सरकार के पास गेहूं का सीमित स्टॉक है इसलिए उसे राशन में वितरण और बाजार नियंत्रण के लिए भारी मात्रा में इसकी खरीदी करना होगी। लेकिन ऊंचे बाजार भाव को देखते हुए यह आसान नहीं है।

गेहूं की जोरदार आवक अप्रैल-मई में होगी और उस समय इसकी कीमतों में नरमी आ सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि गेहूं का थोक मंडी भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे आता है या नहीं क्योंकि उसके आधार पर ही गेहूं की सरकारी खरीद में वृद्धि या कमी निर्भर रहेगी।

आमतौर पर 2025 के रबी सीजन के लिए गेहूं का एमएसपी 2425 रुपए प्रति क्विंटल तय हुआ है, जो 2024 सीजन के 2275 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए ज्यादा है।

राजस्थान में इससे ऊपर 125 रुपए प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस दिया जाएगा, लेकिन मध्य प्रदेश में बोनस की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हुई है। कुल मिलाकर देश के अलग-अलग राज्यों में गेहूं का समर्थन मूल्य (Wheat MSP Price) भी अलग-अलग रहेगा, लेकिन इन सब के बीच गेहूं का समर्थन मूल्य स्वामीनाथन आयोग (Swaminathan Commission) के निर्धारण के हिसाब से क्या होना चाहिए आइए जानते हैं..

न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP क्या है

MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस, जिसे न्यूनतम समर्थन मूल्य भी कहते हैं। किसानों के हित के लिए सरकार ने ये व्यवस्था बनाई है। इसके तहत सरकार फसल की एक न्यूनतम कीमत तय करती है। अगर बाजार में फसलों के दाम कम भी हो जाएं, तो किसान आश्वस्त रहता है कि उसकी फसल सरकार कम से कम इस कीमत में जरूर खरीद लेगी ।Wheat MSP Price

इसे ऐसे समझिए कि किसी फसल की MSP 1000 रुपए क्विंटल है। खुले मार्केट में वही फसल 500 रुपए में मिल रही है, तो भी सरकार किसान से वह फसल 1000 रुपए क्विंटल में ही खरीदेगी। इसे ही न्यूनतम समर्थन मूल्य कहा जाता है।

आमतौर पर MSP किसान की लागत से कम से कम डेढ़ गुना ज्यादा होती है। हालांकि MSP सरकार की नीति है, कानून नहीं। इसे सरकार घटा-बढ़ा सकती है। बंद भी कर कर सकती है। Wheat MSP Price

कैसे होती है MSP की गणना

2004 में कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार ने नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स यानी किसान आयोग बनाया था। इसके अध्यक्ष एमएस स्वामीनाथन थे। इस कारण इसे स्वामीनाथन आयोग भी कहा जाता है। इसका उद्देश्य किसानों से जुड़ी समस्याओं का पता लगाकर उनका हल पता करना था। Wheat MSP Price

दिसंबर 2004 से अक्टूबर 2006 के बीच किसान आयोग ने 5 रिपोर्ट तैयार की थीं। इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रिपोर्ट MSP को लेकर थी। आयोग ने बताया कि MSP क्या होना चाहिए। आयोग ने जो रिपोर्ट दी थी, उसके आधार पर UPA सरकार किसान आयोग की जगह राष्ट्रीय किसान नीति लाई।

इसमें सरकार ने वादा किया कि वो किसानों की आय बढ़ाएगी। उन्हें उच्च किस्म के बीज उपलब्ध कराएगी। इसके अलावा कई बातें की गईं, लेकिन सरकार ने ये नहीं कहा कि वो एस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करेगी। Wheat MSP Price

MSP पर स्वामीनाथन आयोग ने क्या फॉर्मूला दिया

स्वामीनाथन आयोग ने कहा कि जो MSP होगा वह फसल की लागत से 50% होगा। मान लीजिए कि एक फसल को उगाने में किसान के 1000 रुपए लगे। इसमें 50% यानी 500 रुपए जोड़ा जाए तो कुल MSP 1500 रुपए होगी। इसे C2+50% फॉर्मूला कहा जाता है। C2 मतलब कॉस्ट है। कॉस्ट यानी लागत तीन प्रकार के फॉर्मूले से तय होती है-

A2 फॉर्मूला: इसमें जो भी डायरेक्ट खर्च किया गया है, उसे शामिल किया जाता है। डायरेक्ट कॉस्ट मतलब बीज, खाद, कीटनाशक, लेबर, किराए पर खेत, सिंचाई या सिंचाई – जुताई में लगने वाला ईंधन। Wheat MSP Price

A2+FL फॉर्मूला: इसमें ऊपर वाले A2 के अलावा अनपेड लेबर को भी जोड़ा जाता है। मतलब कि जब किसान कोई फसल लगाता है तो उसमें उसकी पत्नी, बच्चे और रिश्तेदार भी काम करते हैं, जिन्हें कोई भुगतान नहीं किया जाता। इसमें इस अनपेड फैमिली लेबर को भी जोड़ा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर ये काम नहीं करते तो किसी मजदूर को पैसा देकर काम करवाना पड़ता। इसे भी कॉस्ट में जोड़ा जाता, इसलिए परिवारवालों की मजदूरी भी जोड़ी जाती है।

C2 फॉर्मूला: ज्यादातर किसानों के पास खुद की जमीन होती है। यदि नहीं होती तो वो किसान को किराए पर खेत लेकर फसल उगानी पड़ती। इसमें स्थाई पूंजी जैसे खेत या कुएं आदि के किराए को भी जोड़ा गया है। एमएस स्वामीनाथन ने सुझाव दिया कि इन सबको जोड़कर 50% अधिक दिया जाना चाहिए। Wheat MSP Price

फसलों का उचित दाम दिए जाने के लिए केंद्र सरकार ने 1965 में कृषि लागत और मूल्य आयोग यानी कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइज (CACP) का गठन किया था। CACP ही MSP तय करता है। Wheat MSP Price

सरकार अपने फॉर्मूले से दे रही MSP

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी देने वाली केंद्र सरकार की आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने पिछले साल 18 अक्टूबर को अपने बयान में A2+FL कॉस्ट को उत्पादन की कॉस्ट माना है। इसी आधार पर उसने MSP गणना कर उसकी घोषणा की थी। Wheat MSP Price

लेकिन सरकार अपने फार्मूले के अनुसार MSP प्रदान कर रही है, जबकि 2018 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट भाषण में कहा था कि हम किसानों को लागत‌ का डेढ़ गुना देने जा रहे हैं।

आगे जब जानकारी आई तो पता चला कि वो डेढ़ गुना A2 + FL लागत का था। कुल मिलाकर किसान को वो नहीं दिया जा रहा है, जो स्वामीनाथन कमेटी ने सिफारिश की थी। Wheat MSP Price

23 फसलों पर MSP देती है केंद्र सरकार

देश में पहली बार 1966-67 में MSP की दर से फसलों की खरीदी की गई थी। केंद्र सरकार फिलहाल 23 फसलों के लिए MSP तय करती है। राज्य सरकार भी इसे लागू कर सकती है। सरकार इन फसलों पर MSP देती है :–

7 अनाज :– Wheat MSP Price गेहूं, धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी, जौ।

6 ऑयल सीड :– सोयाबीन, सरसों, सूरजमुखी, मूंगफली, तिल, काला तिल।

5 दालें :– अरहर, चना, मूंग, उड़द, मसूर।

4 अन्य फसलें :– गन्ना, कपास, नारियल, जूट।

(Source: CACP)

स्वामीनाथन आयोग के हिसाब से गेहूं का MSP क्या होगा

सीएसीपी कैलकुलेशन गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया (CACP Calculation Government of India) के अनुसार पिछले वर्ष गेहूं उत्पादन पर लागत 1652 रुपए प्रति क्विंटल थी। इस वर्ष यह लागत बढ़कर 1800 रुपए हो गई है।

इस हिसाब से देखा जाए तो गेहूं का समर्थन मूल्य 2700 रुपए प्रति क्विंटल होना चाहिए। स्वामीनाथन आयोग के हिसाब से सरकार यदि गेहूं का समर्थन मूल्य तय करती है तो गेहूं के समर्थन मूल्य में 30% तक की बढ़ोतरी होगी। Wheat MSP Price

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