गेहूं भाव Wheat price को लेकर आम लोगों से लेकर किसानों एवं व्यापारियों के लिए जरूरी खबर..
Wheat price | गेहूं भाव को लेकर इस वर्ष स्थितियां बदल चुकी है। सरकार चाहते हुए भी गेहूं का आयात नहीं कर पा रही है, जबकि इस वर्ष गेहूं का भंडार पिछले 16 साल में सबसे न्यूनतम स्तर पर हो गया है। जिसके चलते गेहूं एवं आटे के दाम बढ़ने लगे हैं। दूसरी और इस वर्ष समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी एवं बोनस के बावजूद सरकारी खरीद 29% कम हुई है। केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य पर खरीदी हेतु अंतिम तिथि 22 जून निर्धारित की है, किंतु अब खरीदी केदो पर बहुत कम मात्रा में गेहूं पहुंच रहा है।
इस वर्ष बाजार भाव Wheat price अधिक होने के कारण गेहूं बाजार में अधिक बिका। पिछले वर्ष जून महीने में ही सरकार ने खुले बाजार में गेहूं रिलीज किया था लेकिन इस वर्ष यह स्थितियां भी बनती हुई नजर नहीं आ रही है, क्योंकि सरकारी बफर स्टॉक कम है। ऐसे में गेहूं के भाव Wheat price को लेकर आगे क्या स्थिति रहेगी, आइए जानते हैं..
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गेहूं की पैदावार घटी
कृषि विश्लेषकों के अनुसार गेहूं के फसल चक्र के दौरान कोहरे और हवा के कारण इसकी प्रति एकड़ उत्पादकता 5 क्विंटल तक कम हो गई। सामान्य स्थिति में पैदावार 20 क्विंटल तक होती है। मप्र में पिछली बार से 22.67 लाख टन कम खरीद हुई है। आटे के बढ़ते दामों को थामने के लिए सरकार ने व्यापारियों के लिए स्टॉक लिमिट लगा दी थी। वे 5000 क्विंटल से ज्यादा का भंडारण नहीं कर सकते थे। नतीजतन, व्यापारियों के पास गेहूं नहीं है। हर साल उनके पास पुराना गेहूं रहता है। इसलिए वे भी ज्यादा गेहूं खरीद रहे हैं। Wheat price
कितने बढ़े गेहूं के भाव
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष गेहूं के भाव Wheat price की क्या स्थिति रही, इसका अंदाजा इस बात से लगाए जा सकता है कि गेहूं एक साल में 8% महंगा हुआ है। पिछले 15 दिन में ही कीमतें 7% बढ़ चुकी हैं, जो अगले 15 दिन में 7% और बढ़ सकती हैं। दरअसल, गेहूं के सरकारी भंडारों में हर वक्त तीन महीने का स्टॉक (138 लाख टन) होना चाहिए। मगर इस बार खरीद सत्र शुरू होने से पहले यह सिर्फ 75 लाख टन था।
इससे पहले 2007-08 में 58 लाख टन रहा था यानी अभी यह 16 साल के न्यूनतम स्तर पर है। 2023 में यह 84 लाख टन, 2022 में 180 लाख टन और 2021 में 280 लाख टन स्टॉक था। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से दुनिया में गेहूं का सरकारी स्टॉक घटता जा रहा है। हालांकि, सरकार अभी तक कुल 264 लाख टन गेहूं खरीद चुकी है, लेकिन सरकारी लक्ष्य 372 लाख टन का है। यही कारण है कि गेहूं भाव Wheat price में वृद्धि हो रही है।
क्या गेहूं आयात होगा
Wheat price केंद्र सरकार ने सरकारी दाम पर गेहूं खरीद का समय 22 जून तक बढ़ा दिया है, लेकिन खरीद केंद्रों में नगण्य गेहूं ही आ रहा है। ऐसे में ‘मुफ्त अनाज योजना’, बीपीएल की जरूरतें पूरी करने के लिए तत्काल गेहूं का आयात करना पड़ सकता है, हालांकि इसमें भी अड़चनें आ रही है। शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबीओटी) पर गेहूं की कीमतें 6.84 डॉलर प्रति बुशल यानी 21,000 रुपये प्रति टन पर चल रही हैं।
रूसी गेहूं 235 डॉलर प्रति टन यानी 19,575 रुपये के आसपास चल रहा है, अर्थात दूसरे देशों में 2000 से 2100 रुपये प्रति क्विंटल का भाव है। इस पर 40 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी और ढुलाई का खर्च लगने के बाद वह भारतीय गेहूं से महंगा हो जाएगा। ऐसी स्थिति में सरकार गेहूं का आयात नहीं कर रही है।
वहीं दूसरी ओर सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी हटाने से साफ इनकार कर दिया है इसके बाद गेहूं का आयात अब नहीं होगा। इसके पहले भारत ने आखिरी बार ऑस्ट्रेलिया और यूक्रेन से 2017-18 में 15 लाख टन गेहूं आयात किया था। 2021-22 में कुल 80 लाख टन, 2022-23 में 55 लाख टन और 2023-24 में 5 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था। Wheat price
स्टॉक लिमिट से व्यापारियों के पास पुराना गेहूं खत्म
Wheat price सरकार ने दामों पर नियंत्रण के लिए एक साल में कई बार गेहूं ओपन मार्केट में बेचा। इससे सरकारी स्टॉक में कमी आई। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, देश में 2023-24 में 11.2 करोड़ मीट्रिक टन गेहूं की पैदावार का अनुमान है, जो पिछले साल करीब 11 करोड़ मीट्रिक टन था। यानी 20 लाख मीट्रिक टन तक बढ़ने का अनुमान है। वहीं सरकार द्वारा व्यापारियों के लिए स्टाफ लिमिट तय किए जाने के पश्चात व्यापारियों के पास भी पुराना गेहूं खत्म हो चुका है।
गेहूं आयात के पक्ष में व्यापारी
पिछले कुछ सप्ताहों से उद्योग- व्यापार क्षेत्र द्वारा विदेशों से गेहूं के आयात की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है क्योंकि मंडियों में इसकी बहुत कम आवक हो रही है और खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की दोबारा बिक्री शुरू नहीं की गई है। लेकिन सरकार की ओर से किसी मुद्दे पर कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया गया है। Wheat price
हैरत की बात यह है कि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने तीसरे अग्रिम अनुमान 2023-24 के रबी सीजन में गेहूं का घरेलू उत्पादन बढ़कर 1129 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की है जो दूसरे अग्रिम अनुमान के आंकड़े 1120.20 लाख टन तथा 2022-23 सीजन के समीक्षित उत्पादन 1105.56 लाख टन से काफी अधिक है।
Wheat price अब सवाल उठता है कि यदि देश में 1129 लाख टन से अधिक गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है तो वह गया कहां ? सरकारी खरीद 264-265 लाख टन के बीच अटकी हुई है जो पिछले रबी मार्केटिंग सीजन खरीद 262 लाख टन से महज 2-3 लाख टन ज्यादा है। जब मध्य प्रदेश और राजस्थान में किसानों से 2400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदा जा रहा है तो वहां किसान अपना उत्पाद बेचने से हिचक क्यों रहे हैं।
क्या किसानों के पास इतनी मजबूत क्षमता है कि वह साढ़े आठ करोड़ टन से अधिक गेहूं का स्टॉक अपने पास लम्बे समय तक सुरक्षित रख सके। गेहूं पर अभी 40 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा हुआ है।
आगे क्या रहेंगे गेहूं के भाव
उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि सरकार के पास गेहूं का पर्याप्त भंडार है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 80 करोड़ लोगों को फ्री गेहूं बांटने के बावजूद अच्छी मात्रा में गेहूं बचेगा, जो बढ़ते दाम को कंट्रोल करने के काम आ सकता है। इसलिए सरकार गेहूं की इंपोर्ट ड्यूटी में कोई बदलाव नहीं करेगी। Wheat price
इधर फ्लोर मिल एसो. भोपाल के सुनील अग्रवाल का कहना है कि मिल वाले राखी से शुरू होने वाले त्योहारी सीजन से पहले सरकारी स्टॉक की ओपन मार्केट में नीलामी का इंतजार कर रहे हैं। खुले बाजार में गेहूं 2600-2700 रु. क्विंटल है। ऐसे में 15 दिन में दाम 3 रु. बढ़ सकते हैं। महंगा गेहूं खरीदकर बना आटा 30-31 रु. किलो बेचना पड़ेगा। अभी 28 रु. है।
किसानों का होगा फायदा
अगर गेहूं की इंपोर्ट ड्यूटी कम कर दी जाती तो इससे भारत के किसानों को नुकसान उठाना पड़ता, क्योंकि निजी क्षेत्र दूसरे देशों से आयात करता और उससे यहां दाम कम हो जाता। सरकार द्वारा यह साफ किए जाने के पक्ष की गेहूं की इंपॉर्टेंट ड्यूटी किसी भी स्तर पर कम नहीं की जाएगी। सरकार के इस निर्णय से किसानों का फायदा होगा। Wheat price
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