धान में जस्ते की कमी से होगा खैरा रोग, जानें इसके बचाव के लिए कौन सा खाद कब व कितना डालें

जस्ते की कमी से धान की फसल (Zinc Deficiency In Rice) में लग सकता है भयानक रोग, जान लें इसके लक्षण बचाव के लिए किसानों को क्या करना होगा।

Zinc Deficiency In Rice | धान एक प्रमुख खाद्य फसल है, जो विश्व की आधी से अधिक आबादी को भोजन प्रदान करती है। चावल के उत्पादन में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर आता है। इस समय पूरे देशभर में खरीफ फसलों की बुवाई कार्य चल रहा है। खरीफ सीजन में अधिकतर किसान धान की खेती करते है।

धान की अच्छी पैदावार के लिए किसानों को बुवाई से लेकर कटाई तक विशेष ध्यान रखना पड़ता है। इनमें खासकर पोषक प्रबंधन है। ऐसे में आज हम बताने वाले धान में जस्ते की कमी Zinc Deficiency In Rice से धान की फसल में कौन सा रोग लगेगा? जानें इसके बचाव के लिए कौन सा खाद कब व कितना डालें…

धान में जस्ते की कमी से ये रोग लगेगा

धान में जस्ते की कमी Zinc Deficiency In Rice से खेरा रोग लग जाता है। इस रोग मे पत्तियों पर हल्के पीले रंग के धब्बे बनते है जो बाद मे कत्थई रंग के हो जाते है पौधा बौना रह जाता है। अधिक प्रभावित होने पर पौधे की जड़े भी कत्थई रंग की हो जाती है। यह रोग मिट्टी मे जस्ते की कमी के कारण होता है। इस खेरा रोग का इतिहास बहुत पुराना है।

धान में सूक्ष्म तत्व जस्ते की कमी Zinc Deficiency In Rice के कारण उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र (जो अब उत्तराखंड में है) में महामारी हो चुकी थी। कृषि वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से इसके कारणों की जांच की गई जो ‘खैरा रोग’ के नाम से प्रचलित हुआ, और पाया गया कि सतत धान लगाने से भूमि में जस्ते की कमी होने लगी है जिसका उपचार बहुत सरल ही है।

खैरा रोग की रोकथाम के लिए यह करें..

Zinc Deficiency In Rice ; इस खैरा रोग में पत्तियों पर चाकलेटी रंग के गहरे भूरे धब्बे दिखना शुरू होते हैं और छोटे-छोटे धब्बे मिलकर पूरी पत्ती में फैल जाते हैं ये इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। इसकी रोकथाम के लिए फसल पर 5 कि.ग्रा. जिंक सल्फ़ेट, 2.5 कि. ग्रा मे बुझे चुने के साथ 1000 ली. पानी मे मिलाकर प्रति हकटेरे मे छिड़काव करना चाहिए l बुझा हुआ चूना उपलब्ध न होने पर 2 % यूरीया के साथ जिंक सल्फ़ेट का छिड़काव करना चाहिए।

इसके अलावा बुआई पूर्व धान लगने वाले खेत में 40-50 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से जिंक सल्फेट भूमि में आखिरी बखरनी के समय डालें और अच्छी तरह मिलाए।

साथ ही खड़ी फसल पर 0.5 प्रतिशत जिंक सल्फेट का घोल तैयार करें। 400 लीटर पानी में 2 किलो जिंक सल्फेट Zinc Deficiency In Rice डाले साथ में 1 किलो चूना भी डाले। घोल तैयार करके छान कर खड़ी फसल पर 15 दिनों के अंतर से दो छिड़काव (रोगग्रस्त क्षेत्रों में) किए जाए। इसके अलावा धान की रोपाई के पहले 2-4 प्रतिशत जिंक सल्फेट के घोल में जड़ों को डुबोकर उपचारित करके ही रोपाई करें। धान में लगने वाले अन्य रोग एवं उनके नियंत्रण की जानकारी देखें। Zinc Deficiency In Rice

धान मे लगने वाले रोग, किट एवं उनका नियंत्रण

1. जीवाणु झुलसा रोग :- धान का जीवाणु रोग मुख्यत पर्णीय रोग है जो धन की पत्तियों पर लगता है इस रोग के प्रभाव के कारण पौधों की पत्तिया झुलस जाती है जिसके कारण इस रोग को धन का झुलसा रोग के नाम से जाना जाता है। पत्तियों के ऊपरी सिरों पर हल्के हरे व पीले रंग के 5 से 10 से. मी. लंबे धब्बे दिखाई देते है जो की पत्तियों के ऊपरी सिरे पर दिखते है। Zinc Deficiency In Rice

यह धब्बे अनुकूलित वातावरण मिलने पर समय के साथ पीले रंग से बदलकर भूरे रंग मे परिवर्तित होकर पत्तियों मे फेल जाते है। जीवाणु झुलसा रोग का नियंत्रण :- इस रोग के बचाव के लिए खेत मे उचित जल निकास का प्रबंध करना चाहिए। v नाइट्रोजनिक उर्वरकों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए। v रोग का प्रकोप दिखने पर कापर आक्सीक्लोराइड के साथ स्ट्रेप्टोसाइक्लिन रसायन का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए।

2. धान का झुलसा (फफूंद) रोग :- यह रोग पौधे के लगभग सभी भागों को क्षति पहुँचाता है किन्तु खास तौर पर पौध और पुष्प गुच्छ अवस्था मे मुख्य पत्तियों बाली पर आँख के आकार के धब्बे बनते है, बीच मे राख के रंग का ब किनारों पर गहरे भूरे धब्बे लालिमा लिए हुए होते है कई धब्बे मिलकर कथई सफेद रंग के बड़े धब्बे बना लेते है, जिससे पौधा झुलस जाता है। Zinc Deficiency In Rice

धान का झुलसा (फफूंद) रोग का नियंत्रण :- फसल मे लक्षण दिखने पर ट्राईसाइक्लाज़ोल 75% डब्लयूपी 150 ग्राम या आइसोप्रोथियोलेन 300 मि. ली या 400 ग्राम पानी मे घोल बनाकर प्रति एकरे की दर से छिड़काव करना चाहिए। धान मे लगने वाले प्रमुख कीट एवं प्रबंधन 3. गंधी बग किट :- धान के इस कीट के बारे मे कहा जाता है की यह कीट खेत मे अधिक गंध होने से आती है इस कारण इसे गंधी बग कहा जाता है। इस कीट का प्रभाव दूधिया व दाने भरने की अवस्था मे होता है। इनके रस चूसने के कारण तना सूख जाता है। गंधी बग रोग नियंत्रण :- इसकी रोकथाम के लिए मेलथिऑन 50 ई. सी. का 625 मि. ली. / हकटेरे का प्रयोग कर सकते है। Zinc Deficiency In Rice

4. तना छेदक किट :- इस कीट की सूडियाँ पत्तियों को छेदकर अंदर घुस जाती है तथा अंदर ही अंदर पौधे के तने को खाती हुई गांठ तक पहुँच जाती है। पौधे की बढ़ने की अवस्था मे इस कीट का प्रयोग होता है तो पौधे मे बालियाँ नहीं निकलती है। तना छेदक किट नियंत्रण :- जिंक सल्फेट + बुझा हुआ चूना (100 ग्राम + 50 ग्राम) प्रति नाली की दर से 15 – 20 ली. पानी में घोलकर छिडकाव करें।

5. पत्ती लपेटक कीट :- मादा पत्तियों की सिराओ के पास झुंड मे अंडे देती है जो अंडे 6-8 दिन मे सूडियों को जन्म देते है और सूडियाँ मुलायम पत्तियों को खाती है तथा बाद मे लार द्वारा रेशमी धागा बनाकर पत्तियों के किनारों को मोड देती है जिससे धान की पत्तिया सफेद व झुलसी हुई दिखाई देती है। पत्ती लपेटक कीट नियंत्रण :- मालाथियान 5 प्रतिशत विष धूल की 500 – 600 ग्राम मात्रा प्रति नाली की दर से छिडकाव करें। Zinc Deficiency In Rice

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