मानसून के पूर्व सोयाबीन की अच्छी किस्म Top soybean varieties का चयन करने में लगे किसानों के लिए यह खबर बहुत फायदेमंद रहेगी..
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Top soybean varieties | मानसून के आगमन की तारीखों का ऐलान हो चुका है। मौसम विभाग ने इस वर्ष मानसून के जल्दी आने एवं औसत से अधिक बारिश होने का पूर्वानुमान लगाया है। मानसून के आगमन को देखते हुए किसान भी अब खरीफ सीजन की खेती के लिए तैयारीयों में जुट गए हैं। खरीफ सीजन में धान के बाद सोयाबीन की खेती सर्वाधिक होती है।
किसानों ने नई उपज सोयाबीन की तैयारी जोरों पर शुरू कर दी है। किसान साथी सोयाबीन बीज की तलाश में जुटे हुए हैं, ऐसे में किसानों के लिए यह खबर बहुत फायदेमंद रहेगी। इस खबर में सोयाबीन की नवीनतम वैरायटियों की जानकारी दी जाएगी एवं यह बताया जाएगा की सोयाबीन की कौन सी वेरायटी जल्दी पकती है एवं कौन-कौन सी वेरायटियां अधिक उत्पादन देती है, आईए पढ़ते हैं पूरी जानकारी..Top soybean varieties
सोयाबीन की कई वैरायटियों में से चयन करना मुश्किल भरा
पिछले कुछ वर्षों से सोयाबीन की कई वैरायटियां मार्केट में आ चुकी है इन सभी वैरियटयों के बीच किसानों के लिए सोयाबीन की अच्छी किस्म Top soybean varieties का चयन करना बहुत मुश्किल भरा हो गया है। देखा जाए तो अभी मार्केट में सोयाबीन की लगभग 20 वैरायटियां प्रमुख रूप से चलन में है। कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित की गई किस्मों के अलावा प्राइवेट स्तर पर रिसर्च कंपनियों ने भी सोयाबीन की कई किस्में रिलीज की है।
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई लगभग सभी वैरायटी क्षेत्र भूमि जलवायु के अनुसार विकसित की गई है। सही जानकारी के अभाव में किसानों को गलत किस्म का चयन करने पर या तो नुकसान उठाना पड़ता है या पर्याप्त फायदा नहीं हो पाता। ऐसे में किसानों के लिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि अपने क्षेत्र के हिसाब से सोयाबीन के कौन सी Top soybean varieties किस्मों को बोएं।
किसान कौन सी सोयाबीन की किस्मों को बोएं
Top soybean varieties सोयाबीन की सबसे अधिक की खेती मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में होती है। इन सभी राज्यों की भूमि जलवायु के अनुसार कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की अलग-अलग इसमें विकसित की है। मध्य प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में सोयाबीन की लंबी अवधि वाली किस्मों को बोया जा सकता है, वहीं पश्चिम मध्य प्रदेश में सोयाबीन की कम अवधि वाली किस्मों को बोना उचित रहता है।
इसी प्रकार महाराष्ट्र के किसान सोयाबीन की लंबी अवधि वाली किस्मों को बोकर अच्छा फायदा ले सकते हैं, वहीं दूसरी ओर राजस्थान के किसानों के लिए कम अवधि वाली सोयाबीन की किस्मों का चयन करना उचित रहेगा।
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सोयाबीन की अधिक पैदावार कौन सी वेरायटी देती है
आमतौर पर सोयाबीन की जल्दी पकने वाली वैरायटी या Top soybean varieties सोयाबीन की पैदावार कम देती है वहीं देर से पकाने वाली वैरायटी सोयाबीन की अधिक पैदावार देती है। सोयाबीन की अधिक पैदावार देने वाली वैरायटी में आरवीएस 1135, जेएस 2172, जेएस 9305, एनआरसी 152, आर.वी.एस. 2001-4 एवं केडीएस 726 (फूले संगम) प्रमुख है।
सोयाबीन की जल्दी पकने वाली वैरायटियां कौन-कौन सी है
Top soybean varieties मध्य प्रदेश, राजस्थान के अधिकांश क्षेत्र में सोयाबीन की जल्दी पकने वाली वैरायटी को बोया जाता है। सोयाबीन की जल्दी पकने वाली वैरियटयों का औसत उत्पादन 4 से 6 क्विंटल प्रति बिघा तक रहता है, अर्थात यह किस्में प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल की पैदावार देती है। सोयाबीन की जल्दी पकने वाली वैरायटियां यह है :–
- जे.एस. 20-34 अवधि 88-90 दिवस।
- जे. एस. 95-60 अवधि 85-88 दिवस।
- जे.एस. 20-98 अवधि 90 दिवस।
- जे.एस. 20-69 अवधि 90 दिवस।
- जे.एस 23-03 अवधि 88 दिवस।
- एनआरसी 150 अवधि अवधि 90 दिवस।
- एनआरसी 181 अवधि 88 से 90 दिवस।
- अंकुर अग्रसर अवधि अवधि 90 दिवस।
- M-85 अवधि अवधि 90 दिवस।
- आरवीएसएम 18 अवधि 90 दिवस।
- जे.एस. 21-17अवधि 90 दिवस।
- जे.एस. 22-18 अवधि 90 दिवस।
- जे.एस. 20-69 अवधि 90 से 92 दिवस।
- Ruchi 1516 अवधि 90 दिवस।
सोयाबीन की अधिक पैदावार देने वाली वैरायटियां
सोयाबीन की देर से पकाने वाली वैरियटयों की पैदावार क्षमता अधिक रहती है Top soybean varieties की यह किसने औसत रूप से 30 से 35 कुंतल प्रति हेक्टेयर का उत्पादन देती है। यह है प्रमुख वैरायटियां:–
- जे.एस 53-15 अवधि 92 दिवस।
- एनआरसी 152 अवधि 92 दिवस
- जे.एस. 93-05 अवधि 90-92 दिवस।
- आर.वी.एस. 2001-4 अवधि लगभग 93 दिवस।
- आर.वी.एस.- 24:अवधि लगभग 91-94 दिवस।
- जे. एस. 21-72 अवधि 95 दिवस।
- आरवीएसएम 1135 अवधि 95 से 98 दिवस।
- आरवीएसएम 1210 अवधि 92 से 95 दिवस। Top soybean varieties
- केडीएस 726 (फूले संगम) अवधि 95 से 100 दिवस। केडीएस 726 अवधि 95 से 98 दिवस।
सोयाबीन का बीज खरीदते समय यह ध्यान रखें
Top soybean varieties आमतौर पर अधिकांश किसान सोयाबीन का ग्रेडिंग किया हुआ माल बीज के लिए उपयोग में लेते हैं, जबकि ऐसा करना उचित नहीं रहता है। कृषि उपज मंडियों में भी ग्रेडिंग किए हुए सोयाबीन को बीज के रूप में बेचा जाता है। खुला बीज मंडी क्षेत्र में अधिक बिकता है। यह प्रमाणित बीज नहीं होता है। उत्पादन क्षमता कमजोर होने के साथ ही स्वस्थ सोयाबीन बीज की गारंटी नहीं होने से अच्छी खेती भी बिगाड़ देती है। किसानों को प्रमाणित बीज ही खेतों में डालना चाहिए।
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